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24 February 2017

चारों धाम, सातों पुरी एवं अनंत तीथयात्राओं का संपूर्ण फल गोसेवा में : नित्यानंद गिरी

ओढ़ां के राधाकृष्ण मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह

ओढ़ां
ओढ़ां की श्री श्री 108 बाबा संतोखदास गोशाला में स्थित राधाकृष्ण मंदिर में जारी श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के दौरान ऋषिकेश से आमंत्रित कथा व्यास स्वामी नित्यानंद गिरी ने बृहस्पतिवार को प्रवचन सुनाते हुये कहा कि हरिद्वार में गंगा, मथुरा में कृष्ण, काशी में शिव, पुष्कर में ब्रह्मा, जम्मू में वैष्णो देवी और अमृतसर में श्री हरिमंदिर साहिब आदि सब जगह एक तीर्थ और एक देव लेकिन अकेली गोमाता में सभी तीर्थ व देवी देवता एकसाथ विराजमान हैं अत: चारों धाम, सातों पुरी एवं अनंत तीथयात्राओं का संपूर्ण फल गोसेवा करके पाया जा सकता है तभी तो संपूर्ण जगत के इष्ट श्रीकृष्ण जी की इष्ट गोमाता हैं जिन्हें भगवान स्वयं वृंदावन में नंगे पांव चराते हैं।
 स्वामी जी ने कहा कि पुत्र संस्कारवान हों तो वे केवल अपने पिता के कुल का उद्धार करते हैं लेकिन यदि बेटियां संस्कारी, धार्मिक व सेवा परायण हैं तो वे पिता व पति दो कुलों का उद्धार करती हैं। आज की बालिका कल की मां है जो महापुरुषों व महान नारियों को जन्म दे सकती हैं जिससे देश व समाज सबका भला होता है। आज लड़कियां शिक्षित तो हो रही हैं परंतु संस्कारवान नहीं बन रही। उन्हें चाहिये कि अच्छी संगति व महापुरुषों का संग कर सद्गुण संचित करें।
स्वामी जी ने बताया कि यह सोच ही अहंकार है कि हमें हमारे गुणों से भक्ति और शांति मिली तथा यह सोच कि हममें कोई योग्यता नहीं और हमें सब संत व भगवंत की कृपा से मिला भक्त की विनम्रता है। इस भाव से संत ही नहीं भगवान भी प्रसन्न होते हैं अर्थात अहंकार हमें शांति, परतात्मा व संतों से दूर करता है तथा विनम्रता हमें उनका कृपापात्र बनाती है।
इस अवसर पर वृंदावन धाम से पधारे भजन गायन मंडल में शामिल पुरूषोत्तम दास, अवधेश शास्त्री व विनोद कुमार ने सबके संकट दूर करेगी वो बरसाने वाली, बजाओ राधा नाम की ताली तथा लिखन वालेया तूं होके दयाल लिखदे, मेरे दिल विच गुरां दा प्यार लिखदे आदि भजनों से श्रद्धालुओं में आध्यात्मिकता का संचार किया। इस मौके पर गोशाला प्रधान रूपिंद्र कुंडर, अमर सिंह गोदारा, तेजाराम, भगवान दास, केवल मल्हान, सालासर यात्री संघ से सुरेंद्र बांसल व सतीश गर्ग, कृष्ण शर्मा, विजय गोयल, हंसराज, मदन गोदारा, कृष्ण गोयल, दुलाराम नुहियांवाली,बसंत लाल शर्मा, जीत सिंह कुंडर, महावीर प्रसाद, दर्शन सिंह और राजबाला गोदारा सहित बड़ी संख्या में महिला पुरूष श्रद्धालु मौजूद थे।

वहीं बुधवार की रात्रि नंद बाबा गऊ सेवा संस्थान में कालांवाली के श्रद्धालुओं को मानव जीवन के लक्ष्य की प्राप्ति का मूल मंत्र देते हुये स्वामी नित्यानंद गिरी ने कहा कि मन, वचन व कर्म से किसी का बुरा ना करो तथा सेवा, सुमिरन व सत्संग को धारण करो तो लक्ष्य की प्राप्ति निश्चित है। उन्होंने का कि कंचन, कामिनी और कीर्ति में उलझा विषयी जीव जब ईश्वर व संत कृपा से बैरागी हो जाता है तो साधक कहलाता है और विषयानंद छोड़ ब्रह्मानंद का आस्वादन करता है। लेकिन जब जीव ब्रह्मानंद से भी मुक्त हो जाये तो सिद्ध कहलाता है और वो पूर्ण प्रमानंद को प्राप्त करता है तथा यही जीवन की पूर्णता है। स्वामी जी ने बताया कि ब्रह्मानंद से भी मुक्त सिद्ध कोटि के संत प्रेमानंद की चाह में गोपियों के रूप में जन्म लेकर जब श्रीकृष्ण संग रासलीला रचाते हैं तो प्रभु उन्हें रस के भंडार अर्थात प्रेमानंद प्रदान करते है। वहीं दूसरी ओर विषयानंद में आकंठ डूबे बुद्धिहीन जीव प्रभु की इस दिव्य लीला के बारे में गलत धारणा रखते हैं। इस मौके पर सूरजभान सहित गऊ सेवा संस्थान के पदाधिकारी तथा काफी संख्या में महिला पुरूष श्रद्धालु मौजूद थे।

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