Loading

06 December 2010

तीसरा विश्वयुद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा—रमेश गोयल

 ओढ़ां न्यूज़ :-

    जल विद्युत बचत अभियान को एक मिशन के रूप में लेते हुए शिक्षण संस्थानों में प्रार्थना सभाओं में जाकर अब तक 70000 से भी ज्यादा विद्यार्थियों को प्रत्यक्ष रूप से बिजली व पानी को बचाने का संदेश दे चुके भारत विकास परिषद केंद्रीय टीम के क्षेत्रीय संयोजक रमेश गोयल ओढ़ां पहुंचे और उन्होंने यहां स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थियों को ज्यादा से ज्यादा जल व विद्युत बचाने के उपाय सुझाए।
    उन्होंने कहा कि अपना वंश चलाने के लिए इंसान क्या नहीं करता, उनके लिए जो धन संपत्ति जोडऩे में व्यक्ति पूरी जिंदगी लगा रहता है लेकिन नहीं सोचता कि धन संपत्ति ज्यादा कीमती जल भी उनके लिए बचाया जाए जो किसी फैक्टरी में नहीं बनता जो बल्कि प्रकृति की देन है और सीमित मात्रा में उपलब्ध है। जल की बचत करने की बजाय उसे बर्बाद करते समय ये नहीं सोचते कि हमारी आने वाली पीढ़ी को घोर संकट में धकेल रहे हैं। आज विश्व के एक अरब से ज्यादा लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिलता जबकि प्रत्येक व्यक्ति को निर्जलीकरण से बचने के लिए प्रतिदिन कम से कम 6-7 गिलास पानी की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि भारत, चीन व अमेरिका जैसे देशों में अत्यधिक जलदोहन से भूजल स्तर में तेजी से आई गिरावट संकेत देती है कि तीसरा विश्वयुद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा। सन 2031 तक हमें आज के मुकाबले 4 गुणा अधिक पानी की आवश्यकता होगी। पानी के लिए लड़ाई गली मोहल्लों तक ही नहीं बल्कि हरियाणा व पंजाब, कर्नाटक व तामिलनाडु और हरियाणा व दिल्ली के मध्य तनाव जगजाहिर है। पिछले 200 वर्षों के मुकाबले आने वाले 20 वर्ष में हमें जल प्रबंधन की आवश्यकता कहीं अधिक होगी। अर्थात यदि यही हाल रहा तो आने वाले समय में हमारे नाती पोते बिन पानी सब सून के अनुसार जल के बिना तड़पते नजर आएंगे। हरियाणा में नजर दौड़ाएं तो प्रांत के कुल 119 खंडों में से 55 डार्क जोन में हैं और 43 की स्थिति चिंताजनक है।
    उन्होंने कहा कि जल को लेकर वर्तमान स्थिति इतनी विस्तृत है कि जाने कितना समय लगे अत: बात करते हैं पानी की बचत करने की। पानी की बचत हेतु कभी नल को खुला न छोड़े और सार्वजनिक नल खुला देखें तो बंद करदें, शेव, पेस्ट करते या हाथ मुंह धोते समय नल बंद करके मग का प्रयोग करें और पुश बटन वाली टोंटी लगवाएं। नहाते समय छोटे आकार की बाल्टी का प्रयोग करें और दिन में एक बार ही नहाएं। कपड़े मशीन की बजाय बाल्टी में खंगाले, पाइप से जल रिसाव तुरंत बंद करें, पानी की टंकी या कूलर में गुब्बारा लगवाएं ताकि भरने पर पता चल जाए, बर्तन साफ किए, टब के पानी व कपड़े खंगाले पानी को पौधों आदि में डालें। उन्होंने कहा कि मिट्टी वाले स्थान को साफ करने के बाद पोचा लगाएं, फर्श व वाहन धोने का काम पाइप की बजाय पोचा लगाकर करें। अनावश्यक छिड़काव न करें और पेयजल से पशु न नहलाएं, पौधों को भी पाइप की बजाय आवश्यकतानुसार बाल्टी से पानी दें और संभव हो तो फब्बारा या ड्रिप सिस्टम अपनाएं तथा वर्षा जल संग्रहण तकनीक अपनाएं। गांव के तालाब में पानी एकत्र करें। उन्होंने कहा कि शौचालय के बाहर हाथ धोने के बाद खोली गई टोंटी हम हाथ धोने बाद बंद करते हैं, हाथ गीला करने, साबून लगाने और हाथ मलते समय पानी व्यर्थ बहता है अत: हाथ गीला करके टोंटी बंद करदें और हाथ धोते समय ही खोलें। इसी प्रकार दंतमंजन करते समय ब्रश गीला करने के लिए खोली गई टोंटी कुल्ला करने के बाद ही बंद की जाती है, स्नानगृह में बाल्टी में नल छोड़कर नहाने से एक दो बाल्टी की बजाय 5-7 बाल्टी पानी खर्च कर दिया जाता है। इसी प्रकार बर्तन साफ करते समय तथा अन्य कार्य करते समय हम जरा सा ध्यान रखें तो प्रतिदिन काफी पानी बचा सकते हैं और हमारी आने वाली नस्लों को बचा सकते हैं।
                               स्वयं करें, परिवार व नौकर को समझाएं, समाज को जगाए तथा देश बचाएं।

No comments:

Post a Comment