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01 March 2018

खंड के नोडल अधिकारियों की बैठक आयोजित

ओढ़ां
साक्षर भारत मिशन के तहत खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय ओढ़ां में खंड के सभी स्कूलों के नोडल अधिकारियों की बैठक आयोजित की गई।

खंड शिक्षा अधिकारी ओढ़ां मधु जैन और साक्षर भारत मिशन के जिला मिशन समन्वयक हरमेल सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में बुनियादी परीक्षा 25 मार्च 2018 को सफलतापूर्वक सम्पन्न करवाने के लिए सभी नोडल अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए कि वे निरक्षरों की पहचान कर उनका पंजीकरण फार्म भरें और परीक्षा में बैठाने का प्रयास करें। 25 मार्च को बुनियादी परीक्षा हरियाणा के 11 जिलों में आयोजित की जाएगी  जिसमें कोई भी निरक्षर बैठ सकता है। इस परीक्षा में जो निरक्षर बैठते हैं उन्हें ओपन इंस्टीटयूट ऑफ ओपन लर्निंग की तरफ से ओपन लर्निंग का प्रमाण पत्र दिया जाता है। इस स्कीम के खंड समन्वयक दीपक सिंगला द्वारा सभी नोडल अध्यापकों को आवश्यक सामग्री वितरित की गई। इस मौके पर सभी स्टाफ सदस्य मौजूद रहे।

छायाचित्र: बैठक लेते मधु जैन व हरमेल सिंह एवं उपस्थित नोडल अधिकारी।

विद्यार्थी समाज व देश का नाम रोशन करें : जगदीश नेहरा

ओढ़ां
श्री बालाजी चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष व पूर्व मंत्री जगदीश नेहरा ने ट्रस्ट की ओर से सीनियर सैकेंडरी स्कूल पन्नीवाला मोटा के मैट्रिक के विद्यार्थियों और हाई स्कूल पन्नीवाला मोटा के प्राइमरी में जो विद्यार्थी कक्षा में सबसे ज्यादा नंबर लेंगे उनको प्रोत्साहन के रूप में 3100 रुपये व 1100 रुपये की प्रोत्साहन राशी देने की घोषणा की।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस तरह की मदद के लिए सामाजिक संस्थाएं व समाजसेवी आगे आएं ताकि बच्चों में कम्पीटिशन की भावना पैदा हो तथा वे जीवन मे सफल हो सकें। उन्होंने कहा विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि परीक्षाएं शुरू होने वाली है इसलिए पढ़ाई की तरफ ज्यादा ध्यान दें ताकि विद्यार्थी अच्छे नम्बर लेकर समाज व देश का नाम रोशन करें। इस मौके पर स्कूल प्रिंसिपल करतार सिंह व विनोद थाकन, सुभाष गोदारा, हरिंद्र शर्मा, राजकुमार, शीशपाल गोदारा, पूर्व सरपंच सरवन डूडी, भजन लाल नेहरा, रायसिंह कस्वां, महेंद्र डूडी, आत्माराम सहारण, देवीलाल गोदारा, आदराम सहारन, बलबीर बिरड़ा, सुभाष कस्वां, मनोज कस्वां और सुरजीत कस्वां सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे।

छायाचित्र: पन्नीवाला मोटा में विद्यार्थियों को संबोधित करते जगदीश नेहरा।

जिनके हृदय में परहित का भाव बसता है वे प्रभु को प्राप्त कर लेते हैं : विजयानंद गिरी

ओढ़ां की बाबा संतोखदास गऊशाला के श्री राधाकृष्ण मंदिर में दुर्लभ सत्संग
ओढ़ां
ओढ़ां की श्री श्री 108 बाबा संतोखदास गऊशाला में स्थित श्री राधाकृष्ण मंदिर परिसर में आयोजित दुर्लभ सत्संग के दौरान स्वामी विजयानंद गिरी ने कहा कि कलियुग में भगवान को प्राप्त करने की विधि बहुत आसान है, जिसके लिए कुछ ज्यादा करने की आवश्यकता नहीं तथा कल्याण की भी गारंटी है। उन्होंने बताया कि कल्याण हेतु प्रभु ने मनुष्य को तीन शक्तियां प्रदान की हैं जिनका सही उपयोग करके भव सागर को पार किया जा सकता है। ये शक्तियां हैं करने की, जानने की और मानने की शक्ति। करने के तहत सबकी सेवा करो, प्रभु को स्मरण रखो और किसी को दुख मत दो। दूसरी शक्ति है जानने की तो जानना ये है कि मेरा यहां कुछ नहीं तथा मुझे कुछ नहीं चाहिए। तीसरी मानने की शक्ति के तहत ये मानना कि भगवान हैं और वे मेरे हैं। लेकिन वर्तमान दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति ये है कि इतना आसान काम भी करना कोई नहीं चाहता क्योंकि सबकी सेवा कौन करता फिरे? स्वामी जी ने कहा कि भगवान के समक्ष सच्चे मन से प्रार्थना तो कर सकते हैं कि हे प्रभु संसार के सभी जीवों के दुखों को दूर करदो। ध्यान रखो की आपके मन, वचन, व्यवहार या कर्म से किसी को दुख ना पहुंचे क्योंकि तन, मन और हृदय से किसी को दुख ना पहुंचाने वाले व्यक्ति के दर्शन मात्र से कष्ट दूर हो जाते हैं। 
स्वामी जी ने बताया कि भगवान कहते हैं कि जिनके हृदय में परहित का भाव बसता है वे मुझे प्राप्त कर लेते हैं अत: हमेशा दूसरों के हित में सोचो। परहित की सीख हमें जटायु देते हैं जिन्होंने सीता जी को बचाने के प्रयास में अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए लेकिन अपने जीते जी रावण को नहीं जाने दिया। ये जटायु में बसे परहित के भाव का ही प्रभाव था कि त्रिलोकी नाथ भी जटायू का सिर अपनी गोद में रख फूट फूटकर रोए। कबीर जी ने कहा था कि जब हम आए जगत में जग हंसा हम रोए, ऐसी करनी कर चलो हम हंसे जग रोए। अब उस जटायु की महानता के बारे में सोचो जिसके चले जाने पर जग ही नहीं भगवान भी रो पड़े। स्वामी जी ने कहा कि कभी असत्य मत बोलो क्योंकि झूठ बोलने के समान दुनिया में कोई पाप नहीं हैं। धर्मराज युधिष्ठर के सत्य बोलने का इतना प्रभाव था कि उनका रथ हमेशा पृथ्वी से चार अंगुल ऊपर चलता था लेकिन महाभारत के युद्ध में उनके द्वारा मात्र ये बोला जाना कि अश्वथामा मर चुका है, का इतना प्रभाव पड़ा कि उनका रथ जमीन पर आ गया था। इसलिए हमेशा सोच समझकर बोलना चाहिए ताकि मिथ्या की गुंजाइश ना रहे।
इस मौके पर पवन गर्ग, जोतराम शर्मा, मंदर सिंह सरां, अमर सिंह गोदारा, भूपसिंह मल्हान, महावीर गोदारा, विनोद गोयल, रामकुमार गोदारा, इंद्रसैन व सूरजभान कालांवाली, दलीप सोनी, राजेंद्र नेहरा व महेंद्र सिंह नुहियांवाली, मक्खन सिंह, अजयपाल, कालूराम, सतपाल, रिशव और रमेश कुमार सहित क्षेत्र के अनेक गांवों से महिला पुरूष श्रद्धालु मौजूद थे।