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08 January 2014


डा. के.वी. सिंह ने ओढां मे किया नहरी खाल का शिलान्यास
ओढां-सतीश गर्ग

    मुख्यमन्त्री हरियाणा के ओएसडी डा. केवी सिंह ने ओढां में माईनर से निकलने वाले खाल नं. 24925 लेफ्ट के नवनिर्माण का शिलान्यास किया जिस पर लगभग 94 लाख रूपये खर्च होंगे। उन्होंने गांव ओढां, रामनगर व रोहिड़ावाली गांव के किसानो को लाभ होगा व इस खाल के बनने से जहां सिंचाई के पानी की बर्बादी रूकेगी वहीं किसानो को सिंचाई के लिऐ उचित मात्रा मे पानी उपलब्ध हो सकेगा। डा. सिंह ने गांव ओढां ब्लॉक कांग्रेस की मासिक बैठक में भाग लेते हुए अपने संबोधन में कहा कि 13 जनवरी को जिला फतेहाबाद के गांव गोरखपुर में प्रधानमन्त्री सरदार मनमोहन सिंह भारत की सबसे बड़ी परियोजना गोरखपुर परमाणु संयत्र का शिलान्यास करने के लिऐ पधार रहे है, इस परियोजना से 2800 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा व इस परियोजना 23500 करोड़ रूपये खर्च होगे और इस संयत्र मे उत्पादित 50 प्रतिशत बिजली हरियाणा को मिलेगी। इसके साथ साथ 1000 बेरोजगार युवाओं को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिलेगा अत: आप सभी कार्यकर्ता 13 जनवरी को ज्यादा से ज्यादा संख्या में गोरखपुर पंहुचे। डा. सिंह आगे कहा कि वर्तमान यूपीए सरकार व हरियाणा सरकार ने विकास के नये आयाम स्थापित किये है इसी के साथ जनहित व समाज कल्याण की बहुत सी योजनाएं शुरू की है जिनके बारे में आप कार्यकर्ता भली भांति जानते है, आज जरूरत है तो इन योजनाओ को आम जनता तक पहुंचाने की जिसे पार्टी कार्यकर्ता ही कर सकता है। डा. सिंह ने कार्यकर्ताओ से अनुरोध किया कि वे आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अभी से कमर कस लें और पार्टी के प्रचार मे जुट जाएं।
    इस अवसर पर ब्लॉक ओढां के प्रधान जगसीर सिंह मिठड़ी, परमजीत सिंह माखा, कौर सिंह, दर्शन  सरपंच  जगराज सिंह सरपंच, सरपंच जगविंद्र सिंह खतरावां, पूर्व सरपंच मलकीत सेखों, सतिन्द्र सोनी, विजय सहारण, रूपिन्द्र कुंडर, नहरी विभाग के कार्यकारी अभियन्ता वी.के. जग्गा, इकबाल सरपंच, डा. कृष्ण चोरमार, हीरा कुंडर सहित अनेक कांग्रेस कार्यकर्ता उपस्थित थे।

छायाचित्र:  माइनर के पुनर्निमाण के कार्य का शिलान्यास करते डॉ. केवी सिंह।


कुम्हारा व खाईशेरगढ़ की टीमें अगले दौर में
ओढां-सतीश गर्ग
    ओढां स्कूल के खेल मैदान में शहीद भगत सिंह युवा क्लब द्वारा करवाई जा रही क्रिकेट प्रतियोगिता मे कुम्हारा और खाईशेरगढ की टीमों ने घुकांवाली और किंगरा की टीमों को हराकर अगले दौर में प्रवेश किया। कुम्हारा और घुकांवाली के मध्य मैच में कुम्हारा की टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 6 ओवरों में 4 विकेट के नुकसान पर कुल 81 रन बनाए जिसमें कालिया ने 4 छक्कों व 4 चौकों सहित 46 रनों तथा गोगी ने एक छक्के व 2 चौकों सहित 17 रनों का योगदान दिया। घुकांवाली के गेंदबाज हरदीप ने 2 ओवरों में 21 रन देकर 2 विकेट तथा बग्गा ने 2 ओवरों में 25 रन देकर एक विकेट लिया। इसके जवाब में बल्लेबाजी करते हुए घुकांवाली की टीम 6 ओवरों में 7 विकेट खोकर मात्र 47 रन ही बना सकी जिसमें पवन ने एक छक्के व 3 चौकों सहित 25 रनों तथा बग्गा ने 2 चौकों सहित 8 रनों का योगदान दिया। कुम्हारा के गेंदबाज सुरेंद्र 2 ओवरों में 13 रन देकर 3 विकेट तथा लोधी ने 2 ओवरों में 16 रन देकर 2 विकेट लिए। इस प्रकार कुम्हारा की टीम ने यह मैच 34 रनों से जीत लिया जिसका मैन आफ दी मैच 46 रन बनाने वाले कालिया को दिया गया। वहीं दूसरी ओर खाईशेरगढ की टीम ने टॉस हारकर किंगरा के खिलाफ बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 8 ओवरों में 8 विकेट के नुकसान पर कुल 56 रन बनाए जिसमें धर्मबीर ने 2 छक्कों व एक चौके सहित 21 रनों का योगदान दिया। किंगरा के गेंदबाज जगजीत ने 2 ओवरों में 12 रन देकर 3 विकेट तथा पांडे ने 2 ओवरों में 5 रन देकर 2 विकेट लिए। इसके जवाब में बल्लेबाजी करते हुए किंगरा की टीम 8 ओवरों में 8 विकेट खोकर 42 रन ही बना सकी जिसमें पांडे 2 चौकों सहित 14 रनों का योगदान दिया। खाईशेरगढ़ के गेंदबाज दलबीर ने 2 ओवरों में 11 रन देकर 3 विकेट तथा राजेश ने 2 ओवरों में 10 रन देकर एक विकेट लिया। इस मौके बलौर कुंडर, हनी कुंडर, राजपाल मल्हान, रवि सिधू, अमनदीप, स्वर्ण सिंह और राजा राम सहित काफी संख्या में क्रिकेट प्रेमी गांववासी मौजूद थे।


स्वयंसेविकाओं ने सड़क व नालियों की सफाई की
ओढां-सतीश गर्ग

    राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय नुहियांवाली में चल रहे सात दिवसीय राष्ट्रीय सेवा योजना शिविर के तीसरे दिन की शुरूआत स्वयंसेवकों ने प्रतिदिन की भांति मां सरस्वती वंदना व हल्के फुल्के व्यायाम के साथ की। श्रमदान के तहत स्वयंसेवकों ने विद्यालय परिसर में नालियों के दोनों ओर मिट्टी लगाते हुए ईंटों की पटरी बनाई। स्वयंसेविकाओं ने स्कूल के मुख्य द्वार तक सड़क की सफाई की और कार्यालय व साथ लगते मैदान की सफाई की। आज के मुख्यातिथि गौशाला के प्रधान महेंद्र सिंह निमिवाल ने स्वयंसेवकों को गौसेवा के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि गौसेवा सबसे बड़ी सेवा है। हिंदू धर्म में गाय को माता माना जाता है। गायों का दूध व घी हमारे शरीर के लिए लाभदायक है। उन्होंने कहा कि हमें अपने माता पिता की सेवा करनी चाहिए। स्वयंसेवकों के मध्य नशा विषय पर प्रतियोगिता भी करवाई गई जिसमें बीरपाल ने प्रथम, बिंदू ने द्वितीय व सूरजपाल ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। पवन देमीवाल व राजकुमार कस्वां ने कहा कि किसी भी देश का भविष्य उसकी युवा पीढ़ी के हाथों में होता है और जिस देश का युवा अपने भविष्य को ही सुरक्षित नहीं कर सकता वह भला देश के बारे में कैसे सोचेगा। जो शब्द युवाओं के भविष्य को असुरक्षित कर रहा है वह है नशा और नशे के मकडज़ाल में फंसकर हमारी युवा पीढ़ी अपनी सही दिशा से भटक गई है जिसका केवल एक ही अंत मौत है। नशे से सामाजिक व आर्थिक हानि तो होती ही है बल्कि यह हमारे शरीर को खोखला कर देता है तथा नशा करने वाला व्यक्ति समाज में अपना मान सम्मान भी खो बैठता है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में गणपतराम, राजकुमार, बूटा सिंह, पवन देमीवाल, हनुमान परिहार, माडूराम, मंगतराम सहित सभी सदस्य मौजूद थे।

छायाचित्र:  नाली की सफाई करती स्वयंसेविकाएं चंद्रकांता, अनीता, ममता व कमलेश।


झूटी और गंगा की टीमें अगले दौर में पहुंची
ओढां-सतीश गर्ग

    गांव मिठडी में ग्राम पंचायत द्वारा करवाई गई क्रिकेट प्रतियोगिता में बुधवार को झूटी और गंगा की टीमों ने अपने विरोधियों टप्पी व मटदादू को पछाड़कर अगले दौर में प्रवेश किया। झूटी और टप्पी के मध्य मैच में झूटी की टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 8 ओवरों में 5 विकेट के नुकसान पर कुल 63 रन बनाए जिसमें सतबीर ने एक छक्के व 3 चौकों सहित 17 रनों तथा चौधरी ने 2 चौकों सहित 10 रनों का योगदान दिया। टप्पी के गेंदबाज मनदीप ने 2 ओवरों में 4 रन देकर 2 विकेट लिए। इसके जवाब में बल्लेबाजी करते हुए टप्पी की टीम 8 ओवरों में 8 विकेट खोकर 50 रन ही बना सकी जिसमें हिंद ने 2 चौकों सहित 15 रनों तथा मनदीप ने एक चौके सहित 10 रनों का योगदान दिया। झूटी के गेंदबाज सुरेश ने 2 ओवरों में 8 रन देकर 3 विकेट लिए। इस प्रकार झूटी की टीम ने यह मैच 13 रनों से जीत लिया जिसका मैन आफ दी मैच 17 रन बनाने वाले सतबीर को मिला।
    वहीं दूसरी ओर मटदादू की टीम ने गंगा के खिलाफ टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 8 ओवरों में 6 विकेट के नुकसान पर कुल 60 रन बनए जिसमें लाली ने 3 चौकों सहित 18 रनों तथा बंटी ने एक छक्के सहित 12 रनों का योगदान दिया। गंगा के गेंदबाज गुरप्रीत ने 2 ओवरों में 10 रन देकर 4 विकेट लिए। इसके जवाब में बल्लेबाजी करते हुए गंगा की टीम ने 7.5 ओवरों में 5 विकेट खोकर 61 रन बना लिए जिसमें गुरप्रीत ने 2 छक्कों सहित 15 रनों तथा गोरा ने एक छक्के सहित 12 रनों का योगदान दिया। मटदादू के गेंदबाज बंटी ने 2 ओवरों में 10 रन देकर 2 विकेट लिए। इस प्रकार गंगा की टीम ने यह मैच 5 विकेट से जीत लिया जिसका मैन आफ दी मैच 15 रन बनाने के साथ साथ 4 विकेट लेने वाले गुरप्रीत को मिला।
    इस मौके पर कुलदीप सिंह सेक्ट्री, मघर सिंह सरां, रवि सरां, बहाल सिंह बराड़, भूपेंद्र सिंह गिल और बब्बी बराड़ सहित काफी संख्या में क्रिकेट प्रेमी गांववासी मौजूद थे।


श्रीमद्भागवत कथा के शुभारंभ पर निकाली कलश यात्रा
ओढां-सतीश गर्ग

    गांव बनवाला में बुधवार को श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ समारोह शुरू किया गया जिसके शुभारंभ पर 108 महिलाओं ने भव्य कलश यात्रा निकाली। महिलाओं ने रावतराम समाधी स्थल से मंत्रोचार के साथ कलश यात्रा शुरू की। कलश यात्रा गांव की गलियों व बस स्टैंड से होते हुए कथा स्थल पर पहुंची। इस दौरान ग्रामीणों ने पुष्पवर्षा कर यात्रा का स्वागत किया। कथा का वाचन करते हुए शास्त्री जगदेश दाधीच ने कहा कि भजन कीर्तन करना चाहिए और श्री मद्भागवत कथा का आयोजन पावन कार्य है। उन्होंने कहा कि आधुनिक दौर में मानव क्रोध, लोभ, मोह व माया के अहंकार में पड़ा हुआ है जिसके कारण जीवन में भगवत भजन की ओर मनुष्य का ध्यान कम होता जा रहा है और दुखों की भरमार हो रही है। उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि सच्चा मनुष्य वही है जो दूसरों के लिए जीता है और गरीब व जरूरतमंद लोगों की सेवा जीवन में सबसे बड़ी सेवा है। इसके बाद प्रवचन करते हुए ने कहा कि भागवत कथा श्रवण से मनुष्य को ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है और यह कथा ज्ञान का भंडार है। जो मनुष्य इसका सच्चे मन से श्रवण करता है उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं। इस मौके पर प्रेमकुमार, रोहताश, राजीव, गंगाराम, जगदीश, महावीर, राजपाल, मदनलाल, सोहनलाल, इन्द्रराज, लिछमा देवी, कौशल्या देवी, रेशमा, सुमीत्रा, सरोज, राजबाला सहित अनेक ग्रामीण मौजूद थे।
छायाचित्र: कलश यात्रा निकालती महिलाएं।


सात दिवसीय एनएसएस कैंप सम्पन्न
ओढां-सतीश गर्ग

    गांव रिसालियाखेड़ा के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में लगाया गया एनएसएस का सात दिवसीय कैंप संपन्न हो गया। स्कूल के प्राचार्य जयपाल नैण की देखरेख में सप्ताह भर चले इस कैंप में वालंटियरों ने एनएसएस के उद्देश्यों की पूर्ति के गुर सीखे। उन्होंने कैंप के दौरान स्कूल व आसपास के क्षेत्र में सफाई अभियान चलाया। समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए विद्यालय के प्राचार्य ने स्वयंसेवकों द्वारा किए गए कार्यों की प्रशंसा की और उनकी अन्य गतिविधियों को भी सराहा। उन्होंने कहा कि यह कैंप पूरी तरह से सफल रहा है। इस दौरान विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया। जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर धनपत सिंह प्रधान एसएमसी कमेटी उपस्थित हुए। कार्यक्रम में स्वयंसेवकों ने अपनी अनेक सुंदर प्रस्तुतियां दी जो सभी उपस्थितजनों के मन को मोह लेने वाली थी। मुख्यातिथि ने कहा कि समय-सयम पर ऐसे कैंपों के आयोजन से समाज को अच्छी दिशा मिल सकती है तथा इसमें विद्यार्थियों को आपसी भाईचारा बनाए रखने व कुछ नया सीखने को मिलता है। कैंप में 11वीं व 12वीं के विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस मौके पर एनएसएस कैंप प्रभारी जगदीश प्रसाद, देवेन्द्र शर्मा, लालचंद, सुनील वर्मा, अनिल कुमार, ओमप्रकाश, कशमीर चंद, मदनलाल, मनोज, रतीराम व कृष्ण लाल सहित अन्य विद्यार्थी मौजूद थे।




ऑनलाईन मेनेजमैंट एवं मॉनिटंरिंग सिस्टम शुरू
सिरसा, 8 जनवरी
: हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा उद्यमियों एवं उद्योग लगाने वाले लोगों की सुविधा को मद्देनजर रखते हुए प्रदूषण से सम्बन्धित अनापत्ति एवं क न्सेंट लेने के लिए ऑनलाईन मेनेजमैंट एवं मॉनिटंरिंग सिस्टम शुरू किया गया है। यह जानकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हिसार कार्यालय से आए अस्सिटेंट एनवायरमेंटल इंजीनियर दिनेश कुमार ने आज स्थानीय पंचायत भवन में आयोजित पर्यावरण जागरूकता शिविर में दी। इस शिविर का आयोजन आमजन को पर्यावरण के प्रति जागृत करने के लिए किया गया था। शिविर में आसपास के किसानों, स्थानीय नागरिकों को आमंत्रित किया गया था। उन्होंने जागरूकता शिविर में लोगों क ो धान व गेंहू की पराली व भूसा न जलाने बारे बताया। इसके साथ-साथ पराली व भूसा जलाने पर पर्यावरण में होने वाले नुकसान के बारे में बताया। पर्यावरण प्रदूषण के सम्बन्ध में कानूनी पहलूओं की भी जानकारी दी।
    उन्होंने बताया कि हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा उद्योग लगाने से सम्बन्धित सभी प्रकार की औपचारिकताओं की प्रक्रिया सरल करने के लिए मैनेजमेंट एवं मॉनिटरिंग सिस्टम स्थापित किया गया है। अब कोई भी व्यक्ति जो क्षेत्र में उद्योग लगाना चाहता है या उद्योग चला रहे हैं, वे पर्यावरण से सम्बन्धित www.hspcb.gov.in पर जरूरी कागजात डालकर पर्यावरण बारे उद्योग की क न्सेंट या अनापत्ति प्रमाण पत्र ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि बोर्ड द्वारा प्रदूषण नियंत्रण के लिए समय समय पर विशेष अभियान चलाया जा रहा है। वर्ष में एक बार ज्यादा प्रदूषण पैदा करने वाले सभी प्रकार के उद्योगों की जांच की जाती है और इसके साथ-साथ यह भी सुनिश्चित किया गया है कि सभी उद्योगों में एफ्यूलेंट प्लांट भी लगे हों और वे सही स्थिति में काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सिरसा में पडऩे वाली घग्गर नदी के पानी में बीओडी और सीओडी की मात्रा की जांच करने के लिए पानी के नमूने लेकर प्रयोगशाला में भेजे गए हैं। नमूनों की रिपोर्ट आने के बाद बीओडी और सीओडी की मात्रा की रिपोर्ट मुख्यालय एवं केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजी जाएगी।
    श्री दीपक कुमार ने बताया कि जिला में प्रदूषण नियंत्रण से सम्बन्धित और भी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे जिनमें चण्डीगढ़ मुख्यालय के अधिकारी कर्मचारी भी शिरकत करेंगे। आज के इस जागरूकता शिविर में थिराज के सरपंच सोहन सिंह, हरभजन सिंह, अतर सिंह, पूर्णराम, सरपंच सहारणी सुरेश कुमार व अन्य गांवों के लोग उपस्थित थे।


जिन व्यक्तियों की ऋण राशि 31 मार्च 2013 को मूलधन अतिदेय है उनका ब्याज व दंड माफ किया जाएगा
सिरसा 8 जनवरी

    राज्य सरकार  के निर्णयानुसार हरियाणा अनूसूचित जाति वित एवं विकास निगम के  उन ऋणियों का ब्याज व दंड माफ किया जाएगा। जो आगामी 30 जून तक अपने ऋण की बकाया राशि एकमुश्त या किस्तों में जमा करवा देंगे।
    यह जानकारी देते हुए उपायुक्त डा जे गणेसन ने बताया कि जिन व्यक्तियों की ऋण राशि 31 मार्च 2013 को मूलधन अतिदेय है उनका ब्याज व दंड माफ किया जाएगा। उन्होंने बताया कि ऋणी को ब्याज व दंड माफी का लाभ केवल पूर्ण समस्त बकाया पड़ी मूलधन राशि की अदायगी पर ही दिया जाएगा। जिन ऋणिओं की वसूल भू राजस्व अधिनियम के अंतर्गत दंड ब्याज का लाभ लेने की इच्छुक है उन्हें पुर्ण समस्त बकाया पड़ी मूलधन राशि की किस्त या एकमुश्त अदायगी 30 जून तक करनी होगी। इस योजना की समय सीमा छह माह यानि एक जनवरी से 30 जून 2014 तक है। उपायुक्त ने जिला में हरियाणा अनुसूचित जाति वित एवं विकास निगम के सभी ऋणिओं/ ऋणिओं के उतराधिकारियों/जमानतदारों से अपील की है कि वे सरकार की इस योजना का लाभ उठाए और अपने समस्त बकाया पड़े मूलधन ऋण की 30 जून 2014 तक पूर्ण अदायगी कर शत प्रतिशत ब्याज तथा दंड ब्याज माफी का लाभ लें। इस सम्ंबध में किसी भी जानकारी के लिए हरियाणा वित विकास निगम के कार्यालय  या मुख्यालय चंडीगढ़ से  सम्पर्क किया जा सकता है।


साक्षात्कार को आगामी 17 जनवरी के लिए स्थगित
सिरसा, 8 जनवरी
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    अतिरिक्त उपायुक्त श्री शिवप्रसाद शर्मा ने बताया कि आगामी 10 जनवरी को निर्मल भारत अभियान के तहत प्रेरक के पद हेतू होने वाले साक्षात्कार को आगामी 17 जनवरी केलिए स्थगित किया गया है। अब यह साक्षात्कार 17 जनवरी  को लिए जाएंगे। उन्होंने सभी आवेदनकर्ताओं से कहा है कि निर्मल भारत अभियान के तहत अनुबंधित आधार पर प्रेरक पद हेतू अब 17 जनवरी को ही साक्षात्कार के लिए पहुंचे।
   

'मोदी के सामने कहीं नहीं ठहरते राहुल'

Rahul no match to Modi popularity says Shatrughan Sinha
राहुल गांधी बंद मुठ्ठी की तरह हैं और नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता से उनकी तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि इस समय मोदी की लोकप्रियता शिखर पर है।

- शत्रुघ्न सिन्हा

भाजपा के वरिष्ठ नेता शत्रुघ्न सिन्हा का मानना है कि नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के सामने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी कहीं भी नहीं ठहरते।

उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा मोदी को देश के लिए खतरनाक कहने पर भी आलोचना की।

पढ़ें, 'शिवाजी ने सूरत को नहीं लूटा था'
अभिनेता व पटना साहिब से सांसद सिन्हा ने मंगलवार को कहा, ‘राहुल गांधी बंद मुठ्ठी की तरह हैं और नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता से उनकी तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि इस समय मोदी की लोकप्रियता शिखर पर है। गुजरात जैसे अहम राज्य में जीत की हैट्रिक लगाने वाले मोदी ने सुशासन को लेकर खुद को साबित किया है।’

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राहुल गांधी को पीएम पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार बताया था, इस पर शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि पीएम सपना देख रहे हैं, जो सच नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा, ‘आइए प्रार्थना करते हैं कि प्रधानमंत्री का रात का सपना कहीं देश के लिए खौफनाक सपना न बन जाए।’

मोदी पर पीएम की टिप्पणी का जवाब देते हुए सिन्हा ने कहा कि इस तरह के शब्द उस व्यक्ति के सही नहीं लगते, जिसने पिछले 10 साल से देश के सर्वोच्च पद पर बैठकर उसकी गरिमा कम की है।

उन्होंने कहा कि हाल ही में गुजरात कोर्ट ने 2002 के दंगा मामले में मोदी को क्लीन चिट दी है और आज वह देश में सम्मान हासिल करने वाले नेता बन चुके हैं।

सिन्हा यहां आम चुनावों से पहले पार्टी की समीक्षा बैठक में हिस्सा लेने के लिए आए थे। उन्होंने आम आदमी पार्टी की भी तारीफें करते हुए कहा कि उम्मीद है कि हमारी पार्टी भी उनसे कुछ प्वाइंट सीखेगी।

मनमोहन जो नहीं कर सके

manmohan singh could not do
मनमोहन सिंह को लेकर एक शिकायत खुद उनकी कैबिनेट और पार्टी के बाहर के हर शख्स को रही है कि वह बोलते बहुत कम हैं। पूरे देश में एक मजाक काफी चर्चित रहा हैः अर्थव्यवस्था कवरेज क्षेत्र के बाहर है, मनमोहन सिंह साइलेंट मोड में हैं, कांग्रेस नेता एसएमएस मोड में हैं, विपक्ष वाइबरेशन मोड पर है और लोग एसओएस यानी गहरी हताशा में हैं। पिछले हफ्ते जब मनमोहन सिंह प्रेस के सामने आए, तो वाकई उनके पास कहने को कुछ खास नहीं था।

हालांकि तकरीबन सवा घंटे चली इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्हें 42 सवालों का सामना करना पड़ा। लेकिन इस दौरान प्रधानमंत्री पूरे विश्‍वास के साथ देश की खस्ता हालत की वजह बताने में असमर्थ रहे। बावजूद इसके कि संप्रग के पास क्षमता या अनुभव की कोई कमी नहीं थी। इसमें शामिल तीन मंत्री पिछले तीस वर्षों में कुल 20 बजट पेश कर चुके हैं। इतना ही नहीं, नौ पूर्व मुख्यमंत्री संप्रग के पिछले दो कार्यकालों में उसकी कैबिनेट का हिस्सा रह चुके हैं। फिर भी कुल मिलाकर संप्रग का कार्यकाल ऐसा नहीं रहा, जिस पर कांग्रेस इठला सके।

संप्रग के शासन के पिछले दस वर्षों में आम आदमी की चिंताओं को लेकर किस कदर लापरवाही बरती गई है, यह समझना मुश्किल नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि सरकार आम आदमी की तकलीफों से अनजान रही हो। बीते एक दशक में प्रधानमंत्री ने कुल 1,369 भाषण दिए, जिनमें 500 से ज्यादा बार उन्होंने आधारभूत ढांचे से जुड़ी समस्याओं का जिक्र किया। इसी दशक के दौरान भारत की शहरी जनसंख्या में तकरीबन दस करोड़ का इजाफा हुआ। देश के नगरीय इलाकों में साढ़े सैंतीस करोड़ से ज्यादा लोग बेहद अनियोजित ढंग से विकसित स्थानों में रह रहे हैं।

इतना ही नहीं, इनमें से करीब सात करोड़ लोग (फ्रांस की कुल जनसंख्या के बराबर) तो झुग्गियों में रहने को मजबूर हैं। इससे निपटने के लिए संप्रग ने 2005 में बड़े जोर-शोर से जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीकरण मिशन की शुरुआत की थी। उस समय सरकार ने 62,253 करोड़ रुपये की 554 परियोजनाओं को मंजूरी भी दी थी, जिन्हें 2012 में पूरा होना था। पर 2014 तक इनमें से केवल 146 ही पूरे हो सके हैं।� मजे की बात है कि इसमें सबसे फिसड्डी राज्य कांग्रेस शासित दिल्ली और महाराष्‍ट्र रहे हैं। हालत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि वित्त मंत्री तक को यह कहना पड़ा कि 11वीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) के दौरान बुनियादी संरचना से जुड़े सभी प्रमुख लक्ष्यों को पूरा करने में सरकार नाकाम रही है।

वाजपेयी सरकार के कार्यकाल के अंत में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर 8.5 प्रतिशत थी। बावजूद इसके, पहले तीन वर्षों में जीडीपी की विकास दर को नौ प्रतिशत तक ले जाने का श्रेय संप्रग को मिलना चाहिए। पर बात अतीत की नहीं है, सवाल तो भविष्‍य की संभावनाओं पर खड़े हैं। बढ़ती महंगाई और रुकी हई परियोजनाएं विकास की राह में रोड़ा बनी हुई हैं।

हालांकि प्रधानमंत्री के भाषणों में कुल 88 बार महंगाई का जिक्र आया, पर हुआ कुछ नहीं। प्रधानमंत्री का तर्क है कि अंतरराष्‍ट्रीय स्तर पर कीमतों में बढोतरी की वजह से उनके हाथ बंधे हुए हैं। ईंधन के दामों में बढ़ोतरी को लेकर प्रधानमंत्री का तर्क समझा जा सकता है, लेकिन खाद्य मूल्यों में वृद्धि को समझना मुश्किल है। पिछले पांच वर्षों में खाद्य पदार्थों की महंगाई दर 10 प्रतिशत से ज्यादा रही है।

आंतरिक सुरक्षा की बात करें, तो आतंकवादियों और माओवादियों का खतरा लगातार सिर उठा रहा है। प्रधानमंत्री खुद माओवादी हिंसा को आंतरिक सुरक्षा के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती बताते आए हैं। छत्तीसगढ़ में सरकारी व्यवस्‍था का मखौल उड़ाते हुए जिस तरह सुरक्षा बलों पर बार-बार माओवादी हमले हुए हैं, आश्चर्य यह है कि प्रधानमंत्री ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन समस्याओं का उल्लेख करना तक जरूरी नहीं समझा।

प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान यात्रा की अधूरी रह गई इच्छा का जिक्र तो किया, लेकिन पाकिस्तान को सबक सिखाने में नाकाम रहने पर खेद जैसी कोई भावना नहीं दिखाई। मुंबई हमले के पांच वर्ष बीत जाने के बावजूद दोषियों को लेकर भारत अब तक पाकिस्तान पर जरूरी दबाव नहीं बना पाया है। इसके अलावा आतंकवादी धमकियों से निपटने के लिए पी. चिदंबरम ने जो तीन-सूत्री रणनीति सुझाई थी, वह भी राजनीतिक आलस की भेंट चढ़ गई।� दुर्भाग्य यह भी है कि पाकिस्तान, चीन और अमेरिका के साथ भारत के रिश्ते 2004 की तुलना में खराब ही हुए हैं।

दरअसल दिक्कत यह है कि संप्रग ने योजनाओं के प्रचार को जमीनी स्तर पर उनके क्रियान्वयन से ज्यादा महत्व दिया। बार-बार यह कहा गया कि विकास से ज्यादा जरूरी समावेशी विकास है। यह सच है कि संप्रग ने राष्‍ट्रीय ग्रामीण स्वास्‍थ्य मिशन, मनरेगा, शिक्षा का अधिकार जैसी कई योजनाओं की शुरुआत की। इसके अलावा केंद्र और राज्यों के बीच सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं पर हर वर्ष छह लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हुआ। लेकिन इसके बावजूद संयुक्त राष्‍ट्र मानव विकास सूचकांक में भारत की रैंकिंग 127 से 136 पर खिसक गई।

यह देखते हुए कि नेहरू और इंदिरा के बाद मनमोहन सिंह देश के एकमात्र प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने लगातार दो कार्यकाल पूरे किए, कहा जा सकता है कि कुछ बेहतर करने का एक अच्छा मौका उन्होंने खो दिया है। परमाणु समझौते को वह सबसे महत्वपूर्ण क्षण बताते हैं। शायद वह सही हैं, क्योंकि इसके बाद लगातार यह संदेश दिया जाता रहा कि वह चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री पद पर जमे रहने के पीछे उनकी क्या मजबूरी थी, यह सवाल जरूर इतिहासविदों और खुद मनमोहन सिंह को कचोटता रहेगा।

शंकर अय्यर अर्थशास्‍त्र की राजनीति के विशेषज्ञ और एक्सीडेंटल इंडिया के लेखक हैं।

अर्थव्यवस्था पर बोझ बनती राजनीति

Politics as a burden over economy
नए वर्ष में देश के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की है। घटती आर्थिक विकास दर, बढ़ता राजकोषीय और चालू खाते का घाटा, लगातार चिंता का कारण बना हुआ है। यही नहीं, पिछले दिनों खुदरा मुद्रास्फीति की दर 14 महीने के उच्चतम स्तर तक पहुंच गई। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियां ने भी आगाह किया है कि यदि समय रहते आर्थिक निर्णय नहीं लिए गए तो भारत की साख और गिर सकती है।

2014 में आम चुनाव भी हैं, इसके मद्देनजर इसकी संभावनाएं कम ही हैं कि अगले कुछ महीनों के दौरान आर्थिक नीतियों से संबंधित दूरगामी निर्णय लिए जाएंगे। बल्कि इसके विपरीत चुनावी माहौल में विभिन्न तबकों के लिए आर्थिक पैकेज और राहत पैकेज की घोषणाएं हो सकती हैं। असल में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद स्थितियां यूपीए सरकार के खिलाफ ही गई हैं। ऐसे में सरकार कठोर आर्थिक फैसलों के बजाए लोकलुभावन घोषणाएं कर सकती है।

खासकर तब जब राजनीतिक परिस्थितियों अनुकूल न हों और राजनीतिक उठा पटक का माहौल हो, सभी पार्टियां अपने आम को आम आदमी का रहनुमा बनाने के लिए लोकलुभावन नीतियों और वायदों का पिटारा खोल देती हैं। मगर इसका खामियाजा अर्थव्यवस्था को उठाना पड़ता है। पिछले आम चुनावों से पहले यूपीए सरकार ने किसानों के 60 करोड़ रुपये के कर्जमाफी की घोषणा की थी। इसी तरह अभी जो खाद्य सुरक्षा कानून पारित किया गया है, उससे भी अर्थव्यवस्था पर बोझ पड़ेगा। इस मामले में कोई भी दल पीछे नहीं है।

छत्तीसगढ़ में दो या एक रुपये किलो चावल देने वाली योजना भी इसी का एक रूप है। तमिलनाडु में तो मतदाताओं को टीवी, लैपटॉप के साथ ही मंगलसूत्र वगरैह देने की होड़ लग जाती है। उत्तर प्रदेश में भी लैपटाप और साइकिलें बांटी जा चुकी हैं। अभी दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पहली बार सत्ता संभालने वाली आम आदमी पार्टी ने भी अपने चुनावी वायदों के अनुरूप बिजली की दरें आधी कर दी हैं और दिल्लीवासियों को 666 लीटर पानी मुफ्त देने का ऐलान किया है। बिजली की बढ़ती उत्पादन लागत, निरंतर बढ़ती मांग और अपर्याप्त आपूर्ति के बावजूद सस्ती बिजली का पैकेज देश के कमजोर आर्थिक हालात में समझ से परे है। बिजली की दरें आधी करने पर मांग और आपूर्ति में अंतर और भी बढ़ेगा। जिसको पाटने के लिए किसी गांव में अंधेरा किया जाएगा या फसलों को बिजली-पानी के लिए तरसता छोड़कर राजधानी में एयरकंडीशन चलाया जाएगा। यह नीति किसी दल को सत्ता तो दिला सकती है, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम भावी पीढ़ी के लिए घातक होंगे।

असल में जिस बात की जरूरत है वह यह कि सब्सिडी का सही वितरण होना चाहिए। चूंकि देश के एक बड़े तबके के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, उसे बुनियादी चीजें नहीं मिल पाती हैं, ऐसे में सब्सिडी पूरी तरह खत्म नहीं की जा सकती, मगर इसे खैरात नहीं बनाना चाहिए। अनुत्पादक सब्सिडी एक तरफ सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़ाएगी, वहीं दूसरी तरफ संसाधनों का मुफ्त वितरण भी करेगी। संसाधनों से वंचित व्यक्ति के लिए सब्सिडी आवश्यकता है, लेकिन संपन्न लोगों को भी बिजली पानी, डीजल, गैस पर सब्सिडी देना अवांछनीय है। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक व आधारभूत संरचना जैसे अतिआवश्यक उत्पादक क्षेत्रों में निवेश में कमी करनी पड़ती है।

राजनीतिक दलों की प्राथमिकताएं सत्ता के इर्द-गिर्द घूमती हैं, जबकि देश की प्राथमिकता टिकाऊ आर्थिक विकास होना चाहिए। राजनीतिक दलों और सरकारों की प्राथमिकताएं ऐसी होनी चाहिए कि विकास का फायदा अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। देश को ‘चुनावी पैकेज’ नहीं, बल्कि सशक्त नेतृत्व चाहिए, जो जनता के भरोसे पर खरा उतर सके। जिसकी प्राथमिकताएं समग्र विकास हो। जो युवाओं में निवेश करे। उनका कौशल निखारे, उन्हें रोजगार प्रदान करे, न कि उन्हें सस्ती सुविधाओं का आदी बनाकर गुमराह करे। वास्तव में कृषि, उद्योग, व्यापार में उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाकर ही हम आर्थिक महाशक्ति बन सकते हैं।

आखिर क्या चाहते हैं रामदेव?

What is the intention of Ramadev
योग गुरु स्वामी रामदेव ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए इस समय सर्वाधिक उपयुक्त व्यक्ति न जाने कितनी बार घोषित किया है। जब भी उनसे इस संबंध में प्रश्न किया गया, उन्होंने यही कहा कि मोदी की लोकप्रियता देश में चारों ओर है और उनके जैसे व्यक्ति को ही प्रधानमंत्री होना चाहिए। राजधानी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित रैली में इसके ऐलान का महत्व है। यह उनके भारत स्वाभिमान मंच की पांचवीं वार्षिकी पर आयोजित कार्यक्रम था। लोकसभा चुनाव आसन्न है, ऐसे में स्वामी रामदेव की इस राय के राजनीतिक निहितार्थ हैं। लेकिन इसके पूर्व उन्होंने सारे कर समाप्त कर ‘एक व्यक्ति एक कर’ (बैंक ट्रांजेक्शन टैक्स) का सिद्धांत लागू करने तथा काला धन वापस लाने की जो शर्त रखी, उसका अभिप्राय क्या था?

स्वामी रामदेव एक दशक से योग के साथ देश में बदलाव के लिए सक्रिय हैं। इसलिए उनके पास समस्याओं के समाधान के असंख्य नुस्खे भी पहुंचे हैं। यह बात ठीक है कि पांच जून, 2011 को केंद्र सरकार द्वारा उनके साथ रामलीला मैदान में की गई बर्बरता के कारण कांग्रेस के खिलाफ उनके मन में गुस्सा है। कांग्रेस की उत्तराखंड सरकार ने उन पर जिस तरह मुकदमे लादे हैं और आम कांग्रेसी सार्वजनिक बयानों में उनकी जैसी कठोर आलोचना करते हैं, उन सबके मद्देनजर उनका कांगेस को समर्थन करने का कोई कारण नहीं हो सकता। तीसरे मोर्चे के कई दल उनकी सोच से भिन्न मत वाले हैं। इस नाते भाजपा एवं नरेंद्र मोदी ही उनके लिए सबसे अनुकूल हो सकते हैं। हालांकि उन्होंने कई बार कहा है कि मोदी को समर्थन देने का अर्थ भाजपा को समर्थन नहीं है, पर लोकसभा चुनाव में यदि मोदी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं, तो फिर भाजपा और मोदी को अलग करके नहीं देखा जा सकता। बावजूद इसके निश्चित रूप से वह चाहेंगे कि जो उनके विचार हैं, खासकर अर्थव्यवस्था के बारे में उनको स्वीकृति मिले। इसलिए उन्होंने जो शर्तें रखीं, उसमें अस्वाभाविक जैसा कुछ नहीं है।

हालांकि इसकी उपयोगिता, प्रासंगिकता और व्यावहारिकता पर बहस हो सकती है। खुद भाजपा काला धन वापस लाने की मांग करती रही है। पिछले आम चुनाव में उसने इसे प्रमुख मुद्दा बनाया था। पार्टी ने स्वयं एक टास्क फोर्स बनाकर इसकी पूरी रिपोर्ट जारी की। उसके सभी सांसद पहले ही लोकसभा अध्यक्ष को लिखकर दे चुके हैं कि विदेशी बैंकों में उनका काला धन नहीं है। पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी रथयात्रा के दौरान काले धन को प्रमुख मुद्दा बनाया था। राजनाथ सिंह ने भी कहा है कि भाजपा काले धन को वापस लाने के प्रति प्रतिबद्ध है। भाजपा के दृष्टिकोण पत्र तैयारी समिति ने एक कर के सुझाव को स्वीकार किया है। खुद मोदी ने कर के बारे में कहा है कि वर्तमान कर प्रणाली आम लोगों पर बोझ बन गई है। इसमें सुधार कर एक नई व्यवस्था पेश किए जाने की जरूरत है।

वस्तुतः मौजूदा ढांचे में एकाएक सारे करों का अंत कर ऐसी एक कर व्यवस्था लागू करना कठिन है। इसके लिए व्यापक परिवर्तन करना होगा। फिर राज्यों की कर व्यवस्था में केंद्र बदलाव नहीं ला सकता है। बावजूद इसके मोदी के आश्वासन से रामदेव को संतुष्ट होना चाहिए।

यहां यह महत्वपूर्ण बात ध्यान रखने की है कि स्वामी रामदेव ने भ्रष्टाचार विरोधी अभियान भी शुरू किया। इस मुद्दे पर अन्ना हजारे और रामदेव शुरू में साथ-साथ थे। आज अन्ना हजारे एवं आम आदमी पार्टी के शोर में यह सच नजरंदाज किया गया है कि रामदेव ने इसके पूर्व चार वर्षों तक देशव्यापी यात्रा की थी। आम आदमी पार्टी का जन्म भी भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से हुआ है। अन्ना का आंदोलन हो या आप को दिल्ली में मिली जीत, यह इस बात की पुष्टि है कि देश के लोग भ्रष्टाचार से आजिज आ चुके हैं। ऐसे में रामदेव द्वारा काले धन पर मोदी से वचन लेने के बाद देशभर के उनके समर्थकों का भ्रम और हिचक दूर हो गई है। हालांकि यह देखना वाकई दिलचस्प होगा कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर रामदेव किस तरह की गोलबंदी कर पाते हैं और उससे नरेंद्र मोदी को कितना लाभ मिलता है।

मोबाइल इंडियन: क्या ऐप बचा सकती है लड़की की आबरू?

आपात स्थितियों में जरूरतमंद को मदद

आपात स्थितियों में जरूरतमंद को मदद

दिसंबर 2012 की 16 तारीख़ भारत के लिए अहम है। दिल्ली में एक लड़की के साथ हुए सामूहिक बलात्कार समाज को झिंझोड़ कर रख दिया तो टेक्नोलॉजी की दुनिया को भी लोगों की सुरक्षा के लिए क़दम उठाने को मजबूर हो गई।

सवाल यह है कि अगर वह लड़की अपने मोबाइल के ज़रिए आपात सूचना भेज पाती तो क्या उसकी मदद की जा सकती थी? पुलिस ने पिछले साल मोबाइल कंपनियों और सॉफ़्टवेयर डेवेलपरों से ऐसे ऐप्स तैयार करने की गुज़ारिश की जिससे ऐसी आपात स्थितियों में ज़रूरतमंद को मदद मुहैया कराई जा सके।

इसका कारण यह है कि भारत में लोगों की ज़िंदगी में उनका मोबाइल फ़ोन अहम रोल अदा कर रहा है। रिश्ते-नाते, दोस्त, संबंध, यादें और बेहद ज़रूरी नंबर और कई तरह का डेटा उसकी पनाहगाह है।

नोकिया का आखिरी फोन, आखिरी सलाम

RIP Symbian! Nokia ends support
और आखिर वह दिन आ ही गया जब सिंबियन ने बाय-बाय कह दिया। नोकिया का माइक्रोसॉफ्ट के हाथों में चले जाने के बाद से ही चर्चा थी कि नोकिया का अाखिरी फोन कौन सा होगा।

हालांकि यह बात तो अब तक साफ नहीं हुई है कि सिंबियन (Symbian) आखिरी फोन कौन सा होगा लेकिन अधिकारिक रूप से इस बात की घोषणा कर दी गई है कि सिंबियन आपरेटिंग पर अब किसी भी फोन का निर्माण नहीं होगा।

ये हैं टॉप पैसा वसूल लेटेस्ट स्मार्टफोन

कंपनी ने यह जानकारी अपने ट्विटर https://twitter.com/SymbianSigned/status/418679886220234752 अकाउंट के माध्यम से दी है। इसके साथ ही कंपनी ने सिंबियन एप्लिकेशन डेबलप्मेंट बंद करने की घोषणा कर दी है।

हालांकि सिंबियन फोन पर अभी सपोर्ट दिया जाएगा। कंपनी ने यह जानकारी दी है कि 1 जनवरी से सिंबियन आधारित किसी भी नए एप्लिकेशन और एप्लिकेशन का अपडेट मुहैया नहीं कराएगी।

अच्छी बात यह कही जा सकती है कि नोकिया आशा फोन पर अब भी सपोर्ट जारी रहेंगे। कंपनी ने आशा फोन के लिए सिंबियन से हटकर आशा प्लेटफार्म का नाम दिया है जो नोकिया के कम रेंज के फोन में उपलब्ध हैं। नोकिया आशा फोन का निर्माण और सपोर्ट आगे भी जारी रहेगा।

मोबाइल इंडियन: पाँच बड़े मोबाइल इनोवेशन

इस घोषणा के बाद सिंबियन, सिंबयिन बैले (Symbian Belle) और मिगो (Meego) आपरेटिंग आधारित फोन पर नए एप्लीकेशन और ऑपरेटिंग सिस्टम अपडेट पूरी तरह से बंद हो जाएगा।

कंपनी ने ऐसा इसलिए किया है क्योकिं पूरी तरह से वह माइक्रोसॉफ्ट विंडोज फोन और कम रेंज के आशा फोन पर अपना ध्यान केंद्रित कर सके।

ब्लैकबेरी ने मोबाइल फोन ‌किया 4,000 रुपए तक सस्‍ता

Blackberry mobile phone cheaper by Rs 4,000
मोबाइल फोन निर्माता कंपनी ब्लैकबेरी ने अपने फोन की कीमत 4,000 रुपए तक घटा दी है।

नई दिल्ली। स्मार्ट फोन बनाने वाली कनाडा की कंपनी ब्लैकबेरी ने अपने क्यू-5 हैंडसेट की कीमत 20 फीसदी घटा दी है।

इस कटौती के बाद क्यू-5 की कीमत 19,990 रुपये हो गई है। स्मार्ट फोन बाजार में अपनी घटती बाजार हिस्सेदारी को बिक्री में तेजी लाकर बढ़ाने के लिए ब्लैकबेरी ने यह कदम उठाया है।

ब्लैकबेरी ने नए साल पर बोनांजा ऑफर पेश करके इसके तहत 19,990 रुपये की कीमत पर क्यू-5 हैंडसेट खरीदने का ऑफर दिया है। क्यू-5 ब्लैकबेरी के नए ऑपरेटिंग सिस्टम बीबी-10 पर आधारित है।

इस ऑफर से पहले क्वार्टी की पैड वाले इस फोन की कीमत 24,990 रुपये थी।

ब्लैकबेरी इंडिया के डायरेक्टर, डिस्ट्रीब्यूशन समीर भाटिया ने कहा कि कंपनी ग्राहकों को वाजिब कीमत पर लेटेस्ट ओएस और उन्नत टेक्नोलॉजी वाला फोन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यह बोनांजा ऑफर लेकर आई है।

ये हैं टॉप पैसा वसूल लेटेस्ट स्मार्टफोन

मुश्किल है सही चुनाव

मुश्किल है सही चुनाव

स्‍मार्टफोन तो बहुत हैं, लेकिन कौन सा ब्रांड लें या फिर मॉडल कौन सा चुनें, इसका फैसला आसान नहीं होता। टेक यूजर्स के फेवरेट्स में शुमार रहने वाले एप्पल की जगह एंड्रॉयड ने ली है, वहीं नोकिया को भी बाजार में कड़ी प्रतिस्‍पर्धा का सामना करना पड़ा।

इस बीच सैमसंग ने स्मार्टफोन यूजर्स के बीच अपनी अहम जगह बनाई। दूसरे ब्रांड भी छाए रहे। इन सबके बीच बाजार के बेहतरीन फोन पर बात करें तो कुछ ऐसी तस्‍वीर बनती है...

अगले चार रविवार ऐसे करें सूर्य पूजा होगा बड़ा लाभ

surya puja sunday
रविवार सूर्य देव का दिन है। अगर पूरे साल रविवार के दिन सूर्य की पूजा करें तो इससे अच्छी बात नहीं लेकिन अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो माघ मास के प्रत्येक रविवार को सूर्य की पूजा करें।

माघ मास मकर संक्रांति से फाल्गुन संक्रांति तक के बीच के समय को कहा जाता है। 14 जनवरी को मकर संक्रांति है। इस दिन सूर्य की पूजा आरंभ करें। माघ महीना 13 फरवरी को समाप्त होगा इस बीच कुल चार रविवार आएंगे।

हर रविवार के दिन प्रातः स्नान करके ताबे के बर्तन में जल भरकर इसमें गुड़ मिलाएं। इससे सूर्य को अर्ध्य दें। इसके बाद 108 बार ओम वरुणाय नमः मंत्र का जप करें।

सूर्य देव को केला एवं चावल और चावल का खीर अर्पित करें। रविवार के दिन स्वयं भी मीठा भोजन करें।

इस तरह से चार रविवार सूर्य की पूजा करने से सूर्य बलवान होगा और आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। ज्योतिषशास्त्र में सूर्य को सरकारी क्षेत्र एवं अधिकारियों का कारक ग्रह बताया गया है।

सूर्य बलवान होने से सरकारी क्षेत्र में सफलता मिलेगी एवं अधिकारियों से सहयोग मिलेगा। सामाजिक प्रतिष्ठा एवं कैरियर में उन्नति के लिए भी सूर्य की अनुकूलता प्राप्त होगी।

रुठ जाएगी आपकी भी पत्नी करेंगे ब्रह्मा जी जैसी यह गलती

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सृष्टि के आरंभ में ही आदि शक्ति ने अपने स्वरुप से सरस्वती को उत्पन्न करके ब्रह्मा जी को पत्नी स्वरुप भेंट किया ताकि ब्रह्मा जी सृष्टि निर्माण का काम पूरा कर सकें। सृष्टि निर्माण का काम पूरा होने के बाद एक दिन पवित्र उद्देश्य को पूरा करने के लिए ब्रह्मा जी ब्रह्मलोक से निलकर पृथ्वी पर पधारे।

पृथ्वी पर आकर इन्होंने सबसे उत्तम मुहूर्त में यज्ञ का आयोजन किया। लेकिन एक समस्या यह थी कि बिना पत्नी के यज्ञ पूरा नही हो सकता था। ब्रह्मा जी शुभ मुहूर्त को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहते थे। इसलिए संसार के कल्याण हेतु एक ऐसी कन्या से विवाह कर लिया जो बुद्धिमान होने के साथ ही शास्त्रों का भी ज्ञान रखती थीं।

इस कन्या का नाम शास्त्रों और पुराणों में गायत्री बताया गया। गायत्री से विवाह करने के बाद ब्रह्मा जी ने यज्ञ करना शुरु कर दिया। देवी सरस्वती ब्रह्मा जी को तलाश करते हुए तीर्थ नगरी पुष्कर में पहुंची जहां ब्रह्मा जी गायत्री के साथ यज्ञ कर रहे थे।

ब्रह्मा जी के साथ दूसरी स्त्री को देखकर देवी सरस्वती क्रोधित हो उठी और ब्रह्मा जी को शाप दे दिया कि कि पृथ्वी के लोग ब्रह्मा को भुला देंगे और कभी इनकी पूजा नहीं होगी।

किन्तु अन्य देवताओं की प्रार्थना पर सरस्वती का क्रोध कम हुआ और उन्होने कहा कि ब्रह्मा जी केवल पुष्कर में पूजे जाएंगे। इसीलिए पृथ्वी पर केवल पुष्कर में ही ब्रह्मा जी का प्राचीन मंदिर है।

कृष्ण ने जो गीता में कहा वही एक खास बात ईसा अक्सर कहते थे

you cann't destroy the soul
ईसा मसीह ने अपने शिष्यों को आदेश दिया, अच्छाई का प्रचार-प्रसार करो। केवल उपदेश देने में समय न गंवाकर रोगियों, असहायों और अनाथों की सेवा का आदर्श उपस्थित करो। अपना उद्देश्य निर्धारित करो कि बीमारों को निरोग बनाना है, दुष्टात्माओं को दुर्व्यसनों से मुक्ति दिलाकर अच्छे रास्ते पर चलाना है।

किसी के घर में प्रवेश करते ही प्रेमपूर्वक उसकी सहायता की पेशकश करनी है। यदि कोई स्वागत न करके कटु वचन बोले, तो भी उस पर क्रोध न करना।

ईसा जानते थे कि धन संग्रह की प्रवृत्ति भय, कलह आदि को जन्म देती है। इसलिए उन्होंने कहा, अपने बटुओं में सोना, चांदी, सिक्के आदि बिल्कुल न रखना। अधिक वस्त्र का संग्रह न करना। भिक्षा में जो भोजन मिल जाए, उसी से संतुष्ट रहना।

ईसा को यह भी मालूम था कि जब दुष्ट प्रवृत्ति के लोग उनका उत्पीड़न करने से बाज नहीं आए, तो शिष्यों को भी ऐसे कष्टों का सामना करना पड़ सकता है।

इसलिए उन्होंने कहा, लोग तुम्हारा विरोध करेंगे, पर शांति और धैर्य बनाए रखना। यह समझ लेना कि वह शरीर को क्षति पहुंचा सकते हैं, आत्मा को नहीं। सत्य, अहिंसा पर अटल रहने वाले को कोई नहीं मार सकता।

ईसा ने कहा था, यह जान लो कि जो तुम्हारा तिरस्कार करता है, वह मेरा तिरस्कार करता है और जो मेरा तिरस्कार करता है, वह उसका तिरस्कार करता है, जिसने मुझे भेजा है।

144 साल बाद बना मकर संक्रांति पर यह संयोग, ऐसे लाभ उठाएं

बना दुर्लभ संयोग 144 साल बाद

बना दुर्लभ संयोग 144 साल बाद

अंकों के आधार पर देखें तो वर्ष 2014, तारीख 14 जनवरी और हिंदू तिथि के अनुसार चतुर्थी। यही नहीं मकर संक्रांति के दिन मंगलवार पड़ रहा है। ज्योतिषियों की मानें तो यह दुर्लभ संयोग 144 साल बाद पड़ रहा है।

हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति पर खिचड़ी और तिल के पदार्थ खाने और दान देने की विशेष मान्यता है। मान्यता है कि इस दिन तीर्थ स्थलों एवं नदियों में स्नान से अनंत पुण्य फल की प्राप्ति होती है।