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28 February 2018

कथावाचक अश्विनी शास्त्री ने सुनाया भक्त प्रह्लाद का वृतांत

बाबा भानी गिर जी महाराज आश्रम नौरंग में चल रही है श्रीमद्भागवत कथा
ओढ़ां
खंड के गांव नौरंग स्थित बाबा भानी गिर जी महाराज आश्रम के प्रांगण में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दौरान कथावाचक अश्विनी शास्त्री ने उपस्थित महिला पुरूष श्रद्धालुओं को भक्त प्रह्लाद का वृतांत सुनाया।

उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर जिस समय असुर संस्कृति शक्तिशाली हो रही थी ठीक उसी समय असुर कुल में एक अद्भुत बालक प्रह्लाद का जन्म हुआ। प्रह्लाद का पिता असुरराज हिरण्यकशिपू देवताओं से वरदान प्राप्त कर के निरंकुश हो गया था। उसने आदेश दिया कि उसके राज्य में कोई भी विष्णु की पूजा नही करेगा। परंतु प्रह्लाद विष्णु भक्त था और ईश्वर में उसकी अटूट आस्था थी। इस पर क्रोधित होकर हिरण्यकशिपू ने उसे मृत्यु दंड दिया। हिरण्यकशिपू की बहन होलिका जिसको आग से न जलने का वर था वो प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गई परंतु ईश्वर की कृपा से प्रह्लाद को कुछ न हुआ और वह स्वयं भस्म हो गई। भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकशिपू को मारकर सृष्टि को उसके अत्याचारों से मुक्ति प्रदान की। इस अवसर पर उन्होंने कथावाचन के साथ साथ 'मेरा कोई ना सहारा बिन तेरे प्रभु सारे संसार में, सारी दुनिया नूं तारन वालेया तैनू मेरी लख वंदना और गोबिंद मेरो है गोपाल मेरो हैÓ आदि भजन सुनाकर श्रद्धालुओं को निहाल किया। इस मौके पर क्षेत्र भर के गणमान्य लोगों सहित अनेक महिला पुरूष श्रद्धालु मौजूद थे।

महिला कॉलेज में होली मिलन उत्सव आयोजित

ओढ़ां
माता हरकी देवी महिला शिक्षण महाविद्यालय ओढ़ां में बुधवार को होली मिलन उत्सव का आयोजन किया गया जिसमें सभी छात्राओं ने उत्साह के साथ भाग लिया। कार्यक्रम के शुभारंभ में रंगो के त्यौहार होली पर डीएड व बीएड की छात्राओं ने रंगारंग प्रस्तुति दी।छात्राध्यापिकाओं ने सभी स्टाफ सदस्यों व छात्राओं को तिलक लगाया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्राचार्या डॉ. सुनीता स्याल ने बताया कि यह त्यौहार समाज में समरसता का संदेश देता है जो हमारे सामाजिक ताने बाने के लिए आवश्यक है। संस्था सचिव मंदर सिंह सरां ने सभी छात्राओं व स्टाफ सदस्यों को होली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह समय आपसी मतभेद भुलाकर गले मिलने का है। इस मौके पर डीएड व बीएड का समस्त कर्मचारी वर्ग मौजूद रहा।

ग्राम पंचायतों का दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

ओढ़ां
हरियाणा ग्रामीण विकास संस्थान नीलोखेड़ी द्वारा ग्राम पंचायत विकास योजना के तहत संस्थान के प्रशिक्षक बलवान सिंह और विनोद कुमार ग्राम पंचायतों को दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 26 फरवरी से 10 मार्च तक आयोजित किया जा रहे इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत खंड ओढ़ां की सभी ग्राम पंचायतों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण के अंतर्गत गांव के सतत् विकास के लिए गरीबी दूर करने, शून्य भुखमरी, पशुपालन व खेती बाड़ी, अच्छा स्वास्थ्य, लिंग समानता, स्वच्छ पेयजल, सफाई, रोजगार, सामाजिक समानता, बदलता वातावरण तथा विकास के लक्ष्य में सबकी भागीदारी, गांव के विकास के लिए आमदन के संसाधनों, मनरेगा, राज्य योजना स्कीम तथा सामुदायिक सहयोग आदि के बारे में बताया जा रहा है। ग्राम पंचायत योजना बनाने के लिए गांव में कार्य समूह का गठन भी होगा। इस प्रशिक्षण में पंच, सरपंच, स्कूल अध्यापक, लाइन विभागों के एडीओ, पटवारी, फॉरेस्ट गार्ड, आशा वर्कर, एएनएम, साक्षर महिला समूह, स्वयं सहायता समूह और सेवानिवृत कर्मचारी भाग ले रहे हैं। इन प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत हर ग्राम पंचायत के 10-12 लोगों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस मौके पर एसईपीओ भूपसिंह, क्र्लक राजेश शर्मा, सचिव रामचंद्र व देवीलाल, सरपंच लखबीर कौर ओढ़ां, शाम लाल पिपली, मैंगल सिंह, अमनदीप सिंह, गुरमीत सिंह, धमेंद्र पाल टप्पी सहित गांव जंडवाला जाटान, सालमखेड़ा, किंगरे, मिठडी आदि अनेक गांवों के पंच व सरपंच मौजूद थे।

ओढ़ां की बाबा संतोखदास गऊशाला के श्री राधाकृष्ण मंदिर में दुर्लभ सत्संग

ओढ़ां
ओढ़ां की श्री श्री 108 बाबा संतोखदास गऊशाला में स्थित श्री राधाकृष्ण मंदिर परिसर में आयोजित दुर्लभ सत्संग के दौरान तीसरे दिन कथा का शुभारंभ हरि शरणम् हरी शरणम् के उच्चारण से करते हुए स्वामी विजयानंद गिरी ने कहा कि धन दौलत जायदाद तो कम ज्यादा हो सकती है लेकिन समय नहीं, समय हमारे पास सीमित है अत: शीघ्रता के साथ प्रभु को अपना मान लो जो कहीं अन्यत्र न होकर आपके भीतर ही है। उन्होंने कहा कि भगवान को पाने के लिए कहीं जाने अथवा कठिन तपस्या करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि भगवान तो भक्त की सेवा हेतु स्वयं ललायित रहते हैं, आप सच्चे दिल से पुकार कर तथा अपना मानकर तो देखें। द्रोपदी ने पुकारा तो वस्त्रावतार हो गया, बाद में द्रोपदी ने जब भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि इतनी देर क्यूं लगाई आने में तो श्रीकृष्ण बोले कि बिलंब तो आपने किया। मुझसे पूर्व आपने भीष्म पितामह और अपने पतियों को पुकारा और फिर अपने हाथों और दांतों से वस्त्र थामने का प्रयास किया, अंत में मझे पुकारा भी तो द्वारकाधीश कहा जिस कारण मुझे द्वारिका होकर आना पड़ा। स्वामी जी ने बताया कि गजराज और ग्राह में संघर्ष एक हजार वर्ष तक चला, इस दौरान हथनियां और गजराज के बच्चे भी ये सोचकर चले गए कि संर्घष जाने कब तक चलेगा, उसके बाद गजराज ने अपने बल पर ग्राह का मुकाबला किया लेकिन जब निर्बल पड़ गया तब भगवान को पुकारा तथा भगवान उसकी पुकार पर अबिलंब चल पड़े। भगवान के समान उपकार करने वाला कोई नहीं है लेकिन उन्हें सच्चे मन से पुकारना और उनकी शरण में जाना आवश्यक है। वे स्मरण मात्र और पुष्प अर्पण जैसे सरल कार्यों से प्रसन्न हो जाते हैं फिर भी वर्तमान में श्रद्धालु इस प्रकार के हो गए हैं कि कठिन उनसे होता नहीं तथा सरल वे करते नहीं तो कल्याण कैसे हो? जिस प्रकार गूंगे की बात को उसकी मां या पत्नी ही समझ सकती है बच्चे की इच्छा को उसकी मां ठीक उसी प्रकार हमारी हर बात, हर इच्छा को हम चाहे जिस भाषा अथवा अंदाज में व्यक्त करें भगवान उसे बाखूबी समझ लेते हैं बस आप भगवान पर अपनी मां जैसे विश्वास तो करके देखो हमारी हर चेष्टा का प्रभु को ज्ञान है। नरसी भक्त की पुकार पर उस समय भगवान ने उनका मुनीम बनकर 56 करोड़ का मायरा भर दिया था क्योंकि नरसी को अपने भगवान पर विश्वास था। इस मौके पर पवन गर्ग, जोतराम शर्मा, मंदर सिंह सरां, अमर सिंह गोदारा, भूपसिंह मल्हान, महावीर गोदारा, विनोद गोयल, पलविंद्र चहल, रामकुमार गोदारा, इंद्रसैन व सूरजभान कालांवाली, दलीप सोनी, राजेंद्र नेहरा व महेंद्र सिंह नुहियांवाली, मक्खन सिंह, अजयपाल, कालूराम, सतपाल, रिशव, मंगल, रमेश और रामप्रताप सहित क्षेत्र के अनेक गांवों से महिला पुरूष श्रद्धालु मौजूद थे।