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09 January 2014

प्रवास हेतु ओढां पहुंची इलाहाबाद के संतों की जमात
ओढां-सतीश गर्ग
    श्री पंचायती अखाड़ा बाबा उदासीन निर्वाण इलाहाबाद से ओढां पधारी संतों की जमात का गांववासियों ने गांव के बस स्टेंड पर गहरा स्वागत किया और उन्हें डेरा बाबा संतोखदास में लाया गया। डेरा में पधारने पर गद्दीनशीन संत बाबा करतार दास ने उनका फूलमालाओं से आदर सत्कार किया। जमात के मुखी श्रीमत बाबा संतोष मणी डेरा बाबा ब्रह्मदास डयोडख़ेड़ी कैथल के नेतृत्व में करीब 70 साधू एक सप्ताह के प्रवास हेतु ओढां स्थित डेरा बाबा संतोखदास में ठहरेंगे। बाबा संतोष मणी ने बताया कि उनकी जमात भारत के समस्त उदासीन बड़े डेरों का भ्रमण करते हुए ओढां पहुंचे हैं और 14 जनवरी तक यहां रूकेंगे। इसके उपरांत वे डेरा बकील दास मिठडी जाएंगे। साधूओं की जमात सुबह शाम आरती के साथ साथ दिन में श्रद्धालुओं के साथ धार्मिक चर्चा करते हैं। इस अवसर पर उनके साथ गौशाला के प्रधान रुपेंद्र सिंह कुंडर, पूर्व सरपंच पलविंद्र चहल, बलदेव ढिल्लों, रामकुमार गोदरा, कौर सिंह मिस्तरी, अमर सिंह गोदारा, रमेश बाटू सहित अनेक ग्रामीण मौजूद थे।

छायाचित्र: संतों की जमात का स्वागत करते रुपेंद्र कुंडर, पलविंद्र सिंह व अन्य।


ओढां ने कालांवाली को 48 रनों से मात दी
ओढां-सतीश गर्ग

    ओढां स्कूल के मैदान में शहीद भगत सिंह युवा क्लब द्वारा करवाई गई क्रिकेट प्रतियोगिता में गुरुवार को अनेक रोचक मुकाबले हुए। कालांवाली और शहीद भगत सिंह क्लब के मध्य मैच में ओढां की टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 6 ओवरों में 5 विकेट के नुकसान पर कुल 72 रन बनाए जिनमें हरजिंद्र ने 2 छक्कों व 3 चौकों सहित 26 रनों तथा संजय ने 2 चौकों सहित 15 रनों का योगदान दिया। कालांवाली के गेंदबाज शंटी ने 2 ओवरों में 10 रन देकर 3 विकेट तथा चमकीला ने 2 ओवरों 32 रन देकर 2 विकेट लिए। इसके जवाब में बल्लेबाजी करते हुए कालांवाली की पूरी टीम 6 ओवरों में मात्र 24 रनों पर सिमट गई। ओढ़ां के गेंदबाज खतरा ने एक ओवर में 5 रन देकर 3 विकेट तथा कुलदीप ने 2 ओवरों में 10 रन देकर 2 विकेट लिए। इस प्रकार ओढां की टीम ने यह मैच 48 रनों से जीत लिया जिसका मैन आफ दी मैच 26 रन बनाने वाले हरजिंद्र को दिया गया। एक अन्य मैच में झूटीखेड़ा की टीम ने ताज इलेवन ओढां की टीम के खिलाफ टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 6 ओवरों में 4 विकेट के नुकसान पर कुल 43 रन बनाए जिसमें सुनील ने 2 चौकों सहित 23 रनों तथा सतबीर ने एक छक्के व एक चौके सहित 16 रनों का योगदान दिया। ताज इलेवन के गेंदबाज रवि ने 2 ओवरों में 14 रन देकर 3 विकेट तथा काकू ने 2 ओवरों में 18 रन देकर एक विकेट लिया। इसके जवाब में बल्लेबाजी करते हुए ताज इलेवन की टीम ने 6 ओवरों में 4 विकेट खोकर 44 रन बना लिए जिसमें दीपू ने एक छक्के व एक चौके सहित 17 रनों तथा प्रिंस ने 2 चौकों सहित 10 रनों का योगदान दिया। झूटीखेड़ा के गेंदबाज भीमसैन ने 2 ओवरों में 10 रन देकर 2 विकेट लिए। इस प्रकार ताज इलेवन की टीम ने यह मैच 6 विकेट से जीत लिया जिसका मैन आफ दी मैच 17 रन बनाने वाले दीपू को दिया गया। इस मौके पर हनी कुंडर, सांईदास, बलौर कुंडर, मोडी सिंह, प्रिंस गोयल, रवि, राजेंद्र, मनमोहन, लवजीत, फकीरा, गोपी और टोनी सहित काफी संख्या में क्रिकेट प्रेमी गांववासी मौजूद थे।


कलियुग से पूर्व भगवान 25 अवतार धारण कर चुके हैं : जगदीश दाधीच
ओढां-सतीश गर्ग

    गांव बनवाला में रावत भगत के समाधि स्थल पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ समारोह में गुरुवार को कथा का वाचन करते हुए शास्त्री जगदीश दाधीच ने  कहा कि शास्त्रों में 4 वेद व 18 पुराण बताए गए हैं और कलियुग से पूर्व भगवान 25 अवतार धारण कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि जब जब धरती पर अत्याचार बढ़ते हैं तब तब संसार के पालनकर्ता सच्चिदानंद स्वरूप भगवान धरती पर अवतरित होकर पापियों का नाश करते हैं तथा नवयुग की स्थापना करते हैं। कलियुग में संत महात्माओं का संग करना चाहिए जो जीवन को भक्ति मार्ग की ओर ले जाता है। इसके अलावा कलियुग में दुख, दरिद्रता, दुर्भाग्य तथा पापों से मुक्ति का अन्य साधन नहीं है। अंत में राम राम कृष्ण कृष्ण की धुन पर सभी श्रद्धालुगण नाच उठे। इस अवसर पर साहबराम नंबरदार, प्रेम कुमार, मोहन लाल, सुभाष, कृष्णा, सुमित्रा, रामप्यारी, सरोज, सुमन और शकुंतला सहित अनेक श्रद्धालु ग्रामीण मौजूद थे।


स्वयंसेविकाओं ने उतारे छतों से जाले
ओढां-सतीश गर्ग

    नुहियांवाली के सीनियर सैकंडरी स्कूल में चल रहे सात दिवसीय एनएसएस कैंप में चौथे दिन स्वयंसेवकों ने बस स्टेंड पर सफाई की। इसके अलावा उन्होंने स्कूल की चारदीवारी के साथ उगे घासफूस व झाडिय़ों की सफाई करते हुए चारदीवारी के साथ मिट्टी लगाई। वहीं दूसरी ओर स्वयंसेविकाओं ने स्कूल में दीवारों व छतों पर से मकड़ी के जालों को उतारकर छतों को साफ किया। आज के मुख्यातिथि गांव आनंदगढ़ के मिडल हैड राजेंद्र कुमार डुडी ने समय के महत्व के बारे में बताते हुए समय के सदुपयोग करने पर जोर दिया। सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत बीरपाल कौर ने गीत ये तो सच है कि भगवान है गाया तथा चंद्रकांता, बलदेव व सुदेश ने चुटकले सुनाकर स्वस्थ मनोरंजन किया। आज के कार्यक्रम को सफल बनाने में पवन देमीवाल, राजकुमार कस्वां, बूटा सिंह, हनुमान परिहार, प्रीतम सिंह और माडूराम ने सहयोग दिया।

छायाचित्र: दीवारों व छतों से मकड़ी के जाले साफ करती स्वयंसेविकाएं बिंदू, कविता व ममता।


किसान ब्लैक में खरीद रहे हैं यूरिया
ओढां-सतीश गर्ग

    ओढां क्षेत्र में यूरिया खाद की कमी के चलते किसानों को यूरिया ब्लैक में खरीदनी पड़ रही है। किसान महावीर जांगू, मदन लाल गोदारा, हरद्वारी लाल, जसवंत सिंह, रामकुमार और ओमप्रकाश ने बताया कि गेहूं की फसल में खाद प्रति एकड़ में एक थैला डालना जरूरी है। कमी के कारण किसानों को बाजार से यूरिया का 271 रुपये वाला थैला करीब 290 रुपये में खरीदना पड रहा है। उन्होंने बताया कि खद की कमी से गेहूं की फसल पीली पड़ रही है और उसका झाड़ भी कम होगा। कोआप्रेटिव सोसाइटी के डायरेक्टर गुरचरण कौर कुंडर व जीवन सिंह ने बताया कि पैक्स कार्यालय ओढां, नुहियांवाली, ख्योवाली, चोरमार, जलालआना व मिठडी में खाद तो पड़ी है लेकिन हड़ताल के कारण सैल्जमैन किसानों को खाद नहीं बांट रहे जिस कारण खाद की ब्लैक हो रही है। पैक्स प्रबंधक चंद्रपाल ने माना कि खाद है लेकिन उन्होंने बताया कि पैक्स के गोदाम की चाबी सैल्जमैनों के पास है और वे हड़ताल पर चल रहे हैं इसलिए किसानों को खाद नहीं मिल रही।


जस्सी बागवाली ने मसीतां को 22 रनों से पछाड़ा
ओढां-सतीश गर्ग

    गांव मिठडी में ग्राम पंचायत द्वारा गांव के मैदान में करवाई जा रही क्रिकेट प्रतियोगिता में गुरुवार को जस्सी बागवाली की टीम ने मसीतां की टीम को 22 रनों से पछाड़कर अगले राऊंड में प्रवेश पा लिया। मसीतां की टीम ने टॉस जीतकर फील्डिंग करने का निर्णय लिया जिसके तहत जस्सी बागवाली की टीम ने निर्धारित 6 ओवरों में एक विकेट के नुकसान पर कुल 65 रन बनाए। इन 65 रनों में भाऊ ने एक छक्के व 4 चौकों सहित 34 रनों तथा बब्बू ने एक छक्के व 2 चौकों सहित 18 रनों का योगदान दिया जबकि मसीतां के एकमात्र सफल गेंदबाज धर्मा ने 2 ओवरों में एक विकेट प्राप्त करने में सफलता पाई। इसके जवाब में बल्लेबाजी करते हुए मसीतां की टीम 6 ओवरों में 5 विकेट खोकर 43 रन ही बना सकी जिसमें धर्मा ने एक छक्के सहित 11 रनों तथा सुमित ने एक चौके सहित 11 रनों का योगदान दिया। जस्सी बागवाली के गेंदबाज मणी ने 2 ओवरों में 13 रन देकर 4 विकेट लिए। इस प्रकार जस्सी बागवाली की टीम ने यह मैच 22 रनों से जीत लिया जिसका मैन आफ दी मैच 34 रन बनाने वाले बल्लेबाज भाऊ को दिया गया। इस अवसर पर इस मौके पर मघर सिंह सरां, रवि सरां, बहाल सिंह बराड़, भूपेंद्र सिंह गिल और बब्बी बराड़ सहित काफी संख्या में क्रिकेट प्रेमी गांववासी मौजूद थे।
जमना लाल बजाज पुरस्कार 2014 के लिए आवेदन आमंत्रित
सिरसा, 9 जनवरी।
       हरियाणा महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से जमना लाल बजाज पुरस्कार 2014 के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इसके लिए योग्य प्रार्थी 15 जनवरी 2014 तक तीन राष्ट्रीय पुरस्कारों तथा अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए 28 फरवरी 2014 तक आवेदन जमा करवा सकता है।
    यह जानकारी देते हुए उपायुक्त डा जे गणेसन ने बताया कि ग्रामीण परिवेश में जाकर क्षेत्र में सकारात्मक काम करने वाले व्यक्तियों को राष्ट्रीय पुरस्कार, ग्रामीण विकास में साईंस और टेक्नोलोजी में काम करने वाले तथा महिला और बच्चों के कल्याण और विकास में योगदान देने वाले व्यक्तियों को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि गांधीवादी विचारधारा के प्रचार के लिए भारत से बाहर किसी अन्य देश में काम करने वाले व्यक्ति को अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इन सभी राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए 15 जनवरी 2014 तथा अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड के लिए 28 फरवरी 2014 तक आवेदन कर सकते है।


12 जनवरी को गांव बनसुधार में लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा
सिरसा, 9 जनवरी।
        जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान में  12 जनवरी को गांव बनसुधार के राजीव गांधी सेवा केंद्र में 11 बजे लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। इस बारे जानकारी देते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री अक्षदीप महाजन ने बताया कि इस लोक अदालत में एम आई टी सी, घरेलु हिंसा जैसे विभिन्न प्रकार के लम्बित पड़े मामलों का मौके पर निपटारा किया जाएगा।

अधिकारियों कर्मचारियों को निर्देश-
निर्मल भारत अभियान के तहत कार्यो में तेजी लाए  = अतिरिक्त उपायुक्त
सिरसा, 9 जनवरी।
        अतिरिक्त उपायुक्त श्री शिव प्रसाद शर्मा  ने निर्मल भारत अभियान में लगे सभी अधिकारियों कर्मचारियों को निर्देश दिए कि वे गांव में निजि घरों , स्कूलों व आंगनवाड़ी केंद्रों में बनाए जाने वाले कार्यो में तेजी लाए। श्री शर्मा आज स्थानीय डी आर डी ए के कांफ्रेस हॉल में अधिकारियों की बैठक ले रहे थे। इस बैठक में सभी खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी, पंचायती राज विभाग के एस डी ओ, जेई, एबी पी ओ व निर्मल भारत अभियान के ब्लाक कोर्डीनेटर उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी / कर्मचारी आपस में समन्वय से कार्य करें। जिला में निर्मल भारत अभियान के तहत कुल 11 हजार 877 शौचालयों का निर्माण किया जाना है। इसके साथ-साथ 293 आंगनवाड़ी केन्द्रों में, 143 लड़कियों के स्कूलों में शौचालय बनाए जाने हैं। उन्होंने कहा
कि शीघ्र ही अभियान के तहत चयन किए गए 60 प्रतिशत घरों में शौचालयों का निर्माण करवा लिया जाएगा। 

जिला में 11 जनवरी से 17 जनवरी तक 25 वां सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जाएगा
सिरसा, 9 जनवरी।
  सड़क दुर्घटनाओं को रोकने एवं आमजन में को सड़क सुरक्षा नियमों की जानकारी देने के उद्देश्य से जिला में आगामी 11 जनवरी से 17 जनवरी तक 25 वां सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जाएगा। इस बार सड़क सुरक्षा एक विशेष थीम के आधार पर मनाया जाएगा। सप्ताह को जब सड़क पर हो तो पहले आप नामक थीम दिया गया है। आज सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाने के सम्बंध में  उपायुक्त डा जे गणेसन ने आज सम्बंधित विभागों के अधिकारियों  की बैठक आयोजित की। इस बैठक में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री सौरभ सिंह, नगराधीश श्री प्रेमचंद, उपमंडलाधिकारी डबवाली श्री सतीश कुमार व विभिन्न विभागो के अधिकारी, स्वंय सेवी संस्थाओं तथा स्कूलों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान जिला में प्रतिदिन सड़क सुरक्षा से सम्बंधित विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जिनमें स्कूली बच्चो की रैली,  क्विज कम्पीटिशन,  भाषण प्रतियोगिता व अन्य प्रकार के कार्यक्रम आयोजित होंगे। सप्ताह में एक दिन स्कूली बच्चों की जिला स्तरीय क्विज कम्पीटिशन भी होगा, जिसमें बच्चो को आकर्षित ईनाम भी दिए जाएंगे। इस क्विज प्रतियोगिता में सड़क सुरक्षा से सम्बंधित प्रश्न ही रखे जाएंगे। उन्होंने बताया कि 11 जनवरी को स्थानीय टे्रफिक पार्क में स्कूली बच्चो की रैली भी निकाली जाएगी।  12 जनवरी को वॉक आथ करवाई  जाएगी।
    उपायुक्त ने कहा कि सभी विभागों के अधिकारियों से कहा कि वे  सुनिश्चित करें कि सड़क सुरक्षा नियमों को
उनसे सम्बन्धित जो भी कार्य करने हैं, वे बिना किसी देरी से पूरा करें। राष्ट्रीय राजमार्ग एवं  अन्य सड़कों पर सड़क सुरक्षा नियमों के तहत विभिन्न प्रकार के संकेतकों की पैंटिंग आदि करवाई जाए।  उन्होंने लोकनिर्माण,  वन,  बिजली,  नगरपरिषद,  परिवहन व राष्ट्रीय राजमार्ग अथोरिटी के अधिकारियों से कहा कि जिला में अपने-अपने कार्यक्षेत्रों के तहत दुर्घटना संभावित क्षेत्रों की पहचान करें और ये भी बताएं कि इन दुर्घटनाओं को किस प्रकार से रोका जा सकता है।
    डा. गणेसन ने कहा कि सम्बन्धित अधिकारी ट्रैफिक लाईट लगाने से सम्बन्धित जगहों का भी चयन करें।
स्पीडब्रेकर, मोड़, पुल, डाइवर्जन व निर्माण कार्य चल रहे स्थानों से पूर्व चेतावनी नोटिस भी लगाना सुनिश्चित किया जाए। राष्ट्रीय व राज्य मार्गो पर बने अनाधिकृत कटों को भी बंद किया जाए। इन कटों पर दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है।
     जिला की सीमा में कोई भी ओवरलोडिंग वाहन प्रवेश न कर पाए इसके लिए सम्बन्धित अधिकारियों को
सख्त हिदायतें दी गई है कि वे इन ओवरलोडिंग वाहनों का चालान कर जब्त करें।  अवैध रूप से चल रहे स्कूल वाहनों पर भी शिकंजा कसा जाएगा और स्कूल खुलने के बाद सुबह के समय इन वाहनों की चैकिंग की जाएगी। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि स्कूल वाहन सभी तरह के नियम बरत रहे हों । पूर्व की भान्ति इस वर्ष भी उपमण्डल स्तर पर वाहन चालकों का प्रशिक्षण व पासिंग की जाएगी। स्कूल बसों की निरीक्षण के लिए जगह भी सुनिश्चत की गई है सिरसा में आगामी 15 जनवरी का सावन स्कूल के सामने दशहरा ग्रॉंऊड में, ऐलनाबाद में नचिकेतन स्कूल में 16 जनवरी को और डबवाली में खालसा स्कूल में 17 जनवरी को स्कूल वाहनों का निरीक्षण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान और  आगे भी सड़क दुर्घटना को नियत्रण करने के लिए सड़क सुरक्षा संगठन एवं अन्य सामाजिक संस्थाओं का सहयोग लिया जाएगा। पब्लिक यातायात वाहनों पर रिफलैक्टर व अन्य प्रकार के संकेतक भी लगाए गए और वाहन चालकों को अपने वाहनों पर लगाने के लिए बंाटे गए।  इस अवसर पर स्कूली बच्चों जिनमें स्काउट्ट, एनसीसी के बच्चे थे, ने यातायात सुरक्षा को लेकर रैली भी निकाली। इन बच्चों ने हाथों में सड़क सुरक्षा को लेकर लिखे नारों की तख्तियां भी पकड़ी हुई थी।
    वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री सौरभ सिंह ने कहा कि आमजन की भागीदारी से जिला के सभी स्कूलों कालेजों
के साथ-साथ ट्रक एवं टैक्सी यूनियनों में जागरूकता शिविर आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जिला पुलिस द्वारा यातायात सुरक्षा के साथ-साथ महिलाओं की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी इसके लिए 1091 हैल्प लाईन भी स्थापित की गई है। कोई भी महिला किसी प्रकार की शिकायत 1091 तथा 100 नम्बर पर कर सकती है। पुलिस द्वारा सम्बन्धित महिला को तत्काल सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी। उन्होंने बताया कि जिला के सभी थानों व पुलिस चौकियों में शिकायत पेटी लगवाई गई हैं। इन शिकायत पेटियों में महिलाएं अपनी शिकायतें डाल सकती हैं। इन शिकायतों का निपटारा भी प्राथमिकता के तौर पर किया जाएगा।

इन खतरों से कैसे बचेगा आपका मोबाइल?

रात को सोने से पहले गूगल कीप पर अगले दिन का डे प्लान, ई-वॉलेट से मोबाइल रिचार्ज, यू-ट्यूब पर नई पिक्चर का ट्रेलर देखना, दोस्तों के व्हाट्स ऐप मैसेजेस का जवाब और रही-सही कसर पूरी करने के लिए फ़ेसबुक – एक स्मार्टफ़ोन यूज़र का दिन बहुत ‘व्यस्तता’ के साथ बीतता है.
लेकिन जैसे-जैसे आपकी स्मार्टफ़ोन से दोस्ती बढ़ती जाती है वैसे-वैसे ही ये आपका राज़दार होता चला जाता है.
फ़ेसबुक पासवर्ड से लेकर गैलरी में मौजूद पारिवारिक तस्वीरें और वीडियो, बैंकिंग जानकारी, फ़ोनबुक के नंबर समेत सभी संवेदनशील जानकारी आपके फ़ोन पर सुरक्षित रहे उसके लिए भी ऐहतियात बरतना ज़रूरी है.
एक अच्छा एंटीवायरस पैक आपको कई तरह के वायरस और डाटा चोरी करने वाले मालवेयर से बचा सकता है.
लेकिन अगर फ़ोन चोरी हो जाए या खो जाए, तो फ़ोन के जाने के अफ़सोस से ज़्यादा ख़तरा उसमें स्टोर जानकारी के किसी ग़लत आदमी के हाथों पड़ने से हो सकता है.
ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए गूगल ने खुद ही एंड्रॉएड फ़ोन्स के लिए एक सर्विस ‘एंड्रॉएड डिवाइस मैनेजर’ लॉन्च कर दी.
इस ऐप के ज़रिए आप अपने खोए हुए एंड्रॉएड फ़ोन का पता लगा सकते हैं और बुरी से बुरी स्थिति में फोन की गोपनीय जानकारियों को डिलीट कर सकते हैं ताकि वो किसी ग़लत हाथ में न चला जाए.
घर में कही भी फ़ोन रखकर भूल जाने वाले भुलक्कड़ों के लिए भी इस ऐप में एक खास फ़ीचर है. आपको बस अपने कंप्यूटर तक जाना है और वहां गूगल पर लॉग-इन करके ‘रिंग’ बटन दबाना है. सब ठीक रहा तो इतने में आपका फ़ोन बज उठेगा.
ऐसे फ़ीचर आई-फ़ोन में पहले ही उपलब्ध हैं, लेकिन एंड्रॉएड में अब तक इसकी कमी खलती थी.
कुछ एंटीवायरस ऐप, जैसे ‘मैकअफ़े’ और ‘क्विक हील’ भी फ़ोन फ़ाइंडर और रिमोट डाटा इरेज़र जैसी सुविधाएं प्रदान करते हैं, लेकिन सभी फ़ीचरों से युक्त ऐसे ज़्यादातर ऐप पेड होते हैं.
स्मार्टफ़ोन एक तरफ जहां बहुत से काम चुटकियों में कर देता है, जैसे कि ट्रेन और फिल्मों की टिकट बुक करना, पैसा ट्रांसफ़र करना, वहीं ये आपको अनचाहे कॉल और मैसेज से भी बचा सकता है. आइए नज़र डालते हैं ऐसे ही कुछ मोबाइल टूल्स पर.

फ़ोन वॉरियर

आपको कॉल या मैसेज जिन नंबरों से आ रहे हैं उन्हें ये ऐप अपने 30 करोड़ नंबरों के डेटाबेस से मैच करता है और उनके बारे में जो भी जानकारियां हैं, उसे वो आपके फ़ोन स्क्रीन पर उपलब्ध कराता है.
इस तरह से आप किसी भी नए नंबर से कॉल करने वाले का नाम जान सकते हैं और अगर किसी व्यक्ति का कॉल नहीं लेना चाहते हैं, तो बस ब्लॉक बटन दबा दें. बाक़ी काम ऐप कर लेता है.
कई बार लोग किसी बैंक, रेस्त्रां, रिटेल स्टोर का फीडबैक फॉर्म या डिजिटल फॉर्म भरते समय ठीक से नहीं पढ़ते और मोबाइल पर सूचना पाने का ऑप्शन टिक कर देते हैं. ऐसे में ‘डीएनडी’ यानी डू नॉट डिस्टर्ब स्थिति में भी कुछ मार्केटिंग कॉलर्स को छूट मिल जाती है और आप चाहे-अनचाहे मार्केंटिंग कॉल्स को न्यौता दे देते हैं.
इस तरह के कॉलर से भी निपटने के लिए फ़ोन वॉरियर में एक स्पैम फ़िल्टर ऑप्शन मौजूद है, जो अपने रिसर्च के आधार पर कोई कॉल आते ही बता देता है कि कॉल स्पैमर का है या साधारण है.

ट्रू कॉलर

ये ऐप काफ़ी समय से बाज़ार में है और बीते कुछ हफ्तों में इसमें कई नए प्रयोग भी किए गए हैं.
ट्रू कॉलर अपने तमाम यूज़र के फ़ोनबुक से ली गई जानकारी के आधार पर बता सकता है कि जिस अनजान नंबर से यूज़र को कॉल आ रही है, वो किसका है.
इस ऐप पर लोग अपना प्रोफ़ाइल भी बना सकते हैं और तस्वीर भी लगा सकते हैं.
ट्रू कॉलर फ़ोन पर इंस्टॉल होने के साथ ही फ़ेसबुक, लिंक्ड-इन और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया टूल्स से भी जुड़ जाता है. ऐसे में अगर फ़ोन करने वाले का नंबर आपके मोबाइल पर सेव नहीं है, लेकिन उस व्यक्ति से आप फ़ेसबुक पर जुड़े हैं तो उनका नाम, विवरण और उनकी बड़ी तस्वीर आपके फ़ोन की स्क्रीन पर छा जाएगी.

मिस्टर नंबर

ये ऐप काफ़ी सरल, साधारण लेकिन प्रभावशाली है. इसमें यूज़र को किसी नंबर को ब्लॉक या अनब्लॉक का ऑप्शन मिलता है.
नंबर ब्लॉक करने के लिए उसे ऐप में सीधे दर्ज भी किया जा सकता है और फ़ोनबुक से चुना भी जा सकता है.
स्मार्टफ़ोन जैसे-जैसे हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे इनकी सुरक्षा भी ज़रूरी होती जा रही है, क्योंकि अगर ये ग़लत हाथों में पड़ जाए तो जानकारी का दुरुपयोग हो सकता है.

मोबाइल इंडियन: पाँच बड़े मोबाइल इनोवेशन

जनवरी, 2014 को 07:20 IST तक के समाचार

भारत में स्मार्टफ़ोन तेज़ी से लोगों के जीवन का हिस्सा बन रहा है या यूँ कहें कि बन चुका है और इसी ट्रेंड ने मौका दिया है आम लोगों और विशेषज्ञों को मिलकर कुछ नया करने का.
भारत में तेज़ी से पैर पसारते स्मार्टफ़ोन और नई ऊर्जा और विचारों के संचार ने जन्म दिया कई ऐसे ऐप्स को जिनके ज़रिए चाहे तो ट्रेन और फ़िल्मों की टिकट बुक करा लें या देश-विदेश की जानकारी जुटा लीजिए.
गांवों में बच्चों की पढ़ाई में सूत्रधार बनना हो या कृषि का ताज़ा जानकारियां किसानों तक पहुंचाना, मोबाइल के विभिन्न आयामों ने हर क्षेत्र को लाभ पहुंचाया है.
एक नज़र उन पांच बड़े मोबाइल इनोवेशन पर जिन्होंने खींचा सबका ध्यान.

फ़ाइट बैक

शहरों में महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ते अपराध के ग्राफ़ ने उनमें असुरक्षा की भावना पैदा की है. भारत के महानगरों में देर रात तक काम करने वाली ज़्यादातर महिलाएं अब घर अकेले वापस जाने से परहेज़ करने लगी हैं.
इसी असुरक्षा के भाव को समझते हुए कैनवासएम टेक्नॉलॉजी ने ‘फ़ाइट बैक’ ऐप बनाया.
जीपीएस तकनीक पर काम करने वाला ये ऐप यूज़र को ख़तरे में या आपातकालीन परिस्थिति में परिजनों को मदद के लिए सूचित करने का विकल्प देता है.
एक पैनिक बटन दबाते ही यूज़र के पहले से दिए हुए मोबाइल नंबरों पर, फ़ेसबुक पन्नों पर और ईमेल पते पर लोकेशन सहित सूचना पहुंचा दी जाती है.

इंडिया अगेंस्ट स्पैम

आपका मोबाइल चाहे जितना भी महंगा हो और आपने उसे चाहे जितने जतन से रखा हो, एक– दो ऐसे कॉल सभी को आते हैं जिनका नंबर दिखते ही आप अपने मोबाइल को चिढ़ से देखने लगते हैं. जी हाँ, हम बात कर रहे हैं मार्केटिंग कॉल्स की.
कोई ज़बरदस्ती लोन दिलवाना चाहता है तो कोई घर खरीदवाने पर तुला है. रिपोर्ट करने की धमकी तो इनके लिए बच्चों को सुनाए जाने वाले भूतों के किस्से जैसा है. कोई डरता ही नहीं! ऐसा इसलिए भी है क्योंकि मार्केटिंग कॉल ट्राई को रिपोर्ट करने की प्रक्रिया जटिल है और ज़्यादातर यूज़र्स इस पर समय नहीं बर्बाद करना चाहते.
इसी रिपोर्टिंग को आसान बनाने के लिए बना है एक मोबाइल ऐप जो एक क्लिक/टच में स्पैम रिपोर्ट करने का दावा करता है. इस ऐप को बनाने वालों का दावा है कि ये किसी रिपोर्ट को तुरंत 1909 यानी ऑपरेटर के पास भेज देता है.

एसएमएस नियंत्रित सिंचाई


‘नैनो गणेश’ सिस्टम के ज़रिए एक एसएमएस से वॉटर पंप बंद किया जा सकता है.
कृषि की सबसे ज़रूरी मांग सिंचाई होती है और किसी सूखे इलाक़े के खेत को कृषि योग्य पानी पहुँचाना किसी बड़ी जद्दोजहद से कम नहीं है.
पानी और ऊर्जा बचाना वक़्त की अहम मांग है जिसके लिए एक कृषि कंपनी ने बनाई है एसएमएस नियंत्रित सिंचाई प्रणाली.
भारत में आम तौर पर खेतों में भूमिगत जल स्रोतों का प्रयोग होता है और इसके लिए वॉटर पंप लगाए जाते हैं जो ईंधन या बिजली से चलते हैं. ऐसे में 2-5 मिनट की देरी भी रोकना बूंद-बूंद से घड़ा भरने जैसा होता है.
‘नैनो गणेश’ नाम का ये सिस्टम एक एसएमएस से वॉटर पंप बंद कर सकता है. इसके लिए ना तो बहुत पढ़े-लिखे होने की ज़रूरत होती है और ना ही किसी महंगे स्मार्टफ़ोन की. एक सस्ता सा बेसिक मोबाइल ही काफ़ी होता है.

ब्रिज-इट (मोबाइल एजुकेशन)

मोबाइल उन प्रयासों के लिए भी एक वरदान सरीखा साबित हो रहा है, जो शिक्षा को देश के दूर-दराज़ के इलाक़ों में पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं.
नोकिया और पीयरसन फाउंडेशन ने मिलकर बनाया है एक ऐसा सिस्टम जो डिजिटल इंटरैक्टिव शिक्षा को उन क्लासरूमों तक पहुंचा रहा है, जहां टीवी लगे हुए हैं.
स्कूलों में टीचर्स मोबाइल के ‘टीवी-आउट’ फ़ीचर के ज़रिए बच्चों को टीवी पर सैकड़ों ज्ञानवर्धक वीडियो दिखा सकते हैं. फिलहाल 'ब्रिज इट' तीन भाषाओं में करीब 15,000 बच्चों तक पहुंचता है.

देख-सुन नहीं पाने वालों के लिए एसएमएस

कैसा होता होगा जीवन उन लोगों का जो ना देख पाते हैं और ना ही सुन पाते हैं? आखिर समाज से कैसे जुड़ पाते होंगे ये लोग?
ऐसे ही लोगों की मदद के लिए बाइडायरेक्शनल एक्सेस प्रमोशन सोसाइटी ऑफ़ इंडिया ने बनाया है एसएमएस और क्लाउड कंप्यूटिंग पर आधारित एक सिस्टम, जो चलेगा सभी एंड्रॉएड मोबाइलों पर.
देख-सुन नहीं पाने वाले लोगों के लिए इस ऐप में ब्रेल तकनीक जैसी सुविधा है और यूज़र हर अक्षर को मोबाइल स्क्रीन पर छूकर अलग-अलग तरह का कंपन संदेश महसूस करेगा.
इस तरह से यूज़र उनको भेजा गया संदेश, हर अक्षर को छूकर महसूस कर पाएंगे और पढ़ पाएंगे .

मोबाइल इंडियन: आपका मोबाइल फ़ोन, आपका इमरजेंसी दोस्त?

 मंगलवार, 7 जनवरी, 2014 को 11:07 IST तक के समाचार

दिसंबर 2012 की 16 तारीख़ भारत के लिए अहम है. दिल्ली में एक लड़की के साथ हुए सामूहिक बलात्कार ने समाज को झिंझोड़ कर रख दिया तो टेक्नोलॉजी की दुनिया को भी लोगों की सुरक्षा के लिए क़दम उठाने को मजबूर हो गई.
सवाल यह है कि अगर वह लड़की अपने मोबाइल के ज़रिए आपात सूचना भेज पाती तो क्या उसकी मदद की जा सकती थी? पुलिस ने पिछले साल मोबाइल कंपनियों और सॉफ़्टवेयर डेवेलपरों से ऐसे ऐप्स तैयार करने की गुज़ारिश की जिससे ऐसी आपात स्थितियों में ज़रूरतमंद को मदद मुहैया कराई जा सके.
इसका कारण यह है कि भारत में लोगों की ज़िंदगी में उनका मोबाइल फ़ोन अहम रोल अदा कर रहा है. रिश्ते-नाते, दोस्त, संबंध, यादें और बेहद ज़रूरी नंबर और कई तरह का डेटा उसकी पनाहगाह है.
यही नहीं, अलार्म, पेन, नोटबुक और दूसरी ज़रूरतों के लिए मोबाइल का इस्तेमाल होता है. मगर क्या आपका मोबाइल फ़ोन आपात स्थिति में आपके दोस्त की भूमिका भी निभा सकता है?
इसी के मद्देनज़र कई मोबाइल फ़ोनों में एंबेडेड सॉफ़्टवेयर एप्लीकेशन आ रहे हैं. अब तक जिनका मुख्य उद्देश्य खोए हुए फ़ोन का पता लगाना रहा है. मिसाल के लिए ऐपल के आईफ़ोन में 'फ़ाइंड माय फ़ोन' की सुविधा. मगर क्या यह व्यक्तिगत सुरक्षा में भी उतना ही कारगर है?
सेफ़्टी केयर ऐसा ही एक एंबेडेड सॉफ़्टवेयर है, जिसमें इमरजेंसी कॉल फ़ॉर्वडिंग, फ़ोन नॉन यूसेज नोटिस और माय लोकेशन नोटिस जैसे विकल्प हैं. आप इसमें नंबर भरकर आपात सूचना देने वाले नंबर की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं.
मगर एंबेडेड सॉफ़्टवेयर सभी तरह की आपात स्थितियों में आपका मददगार नहीं हो सकता. इसे देखते हुए दिसंबर 2012 की दिल्ली गैंगरेप की वारदात के बाद पुणे की एक कंपनी स्मार्टक्लाउड इन्फ़ोटैक ने ‘निर्भया-बी फ़ीयरलेस’ नाम का ऐप तैयार किया.

निर्भया ऐप और चूड़ी बटन

इस कंपनी के सीईओ गजानन सखारे ने बीबीसी को बताया कि इस ऐप का निर्माण महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर किया गया है, लेकिन इसका प्रयोग दूसरी आपात स्थितियों में भी हो सकता है.
वह बताते हैं कि इसे डाउनलोड करने के बाद "अगर आप फ़ोन ज़ोर से हिलाएं या फ़ोन का पावर बटन पांच बार बंद करें और खोलें, तो यह एप्लीकेशन चालू हो जाती है. इसके अलावा हम स्मार्टफ़ोन के ऑडियो जैक के लिए बटन रूपी एक्सटर्नल डिवाइस भी बना रहे हैं, जिसे अलग से ख़रीदकर लगाया जा सकेगा. इसे सिर्फ़ दबाने मात्र से मैसेज चला जाएगा. हमने इसका पेटेंट भी लिया है."
कंपनी महिलाओं के लिए चूड़ियों में लगाने लायक एक बटन जैसा उपकरण भी बना रही है, जो मोबाइल के ब्लूटूथ की मदद से निर्भया एप्लीकेशन चालू कर देगा.
ऐप बनाने वाली कंपनियां अपनी ऐप को इस्तेमाल करने वालों के अनुरूप बनाने में जुटी हैं. मसलन, अब मैसेज के साथ उस शख़्स का ब्लड ग्रुप, डॉक्टर की जानकारी, लोकेशन संबंधित शख़्स या पुलिस को भेजी जा सकेगी. साथ ही फ़ेसबुक अकाउंट को जोड़कर व्यक्ति के दोस्तों को मैसेज भी भेजा जा सकता है.

आपातकालीन ऐप्स

आधुनिक स्मार्टफ़ोनों में अब मोबाइल ट्रैकर, फ़ेक कॉल और लिसन-इन जैसी ऐप्स मौजूद हैं, जो आपके फ़ोन, उसमें मौजूद डेटा को सुरक्षित बनाने का दावा करती हैं.
मगर क्या ये ऐप्स आपकी ज़िंदगी के ख़तरे में पड़ने पर भी आपकी मददगार होंगी?
इंसान की सुरक्षा के सवाल को हल करने के लिए निर्भया की तरह फ़ाइटबैक अपराधियों से निपटने और आपात स्थिति का सामना करने के लिए बनाई गई है. इसी तरह 'लिव सेफ़' और 'फ़्लिकरफ़्री' (ख़ासकर महिलाओं के लिए), गो सुरक्षित, सेंटिनल, सेफ़ब्रिज, वनटच एसओएस, आइएनई, आयफ़ॉलो, सेफ़ट्रैक जैसी ऐप्स के ज़रिए भी लोकेशन आधारित एसएमएस भेजकर आप आपात स्थिति में आपके अपनों को सूचित कर सकते हैं.

हेल्पलाइन और 'ऐप'

कुछ कंपनियां सरकारी और निजी हेल्पलाइन एजेंसियों के साथ मिलकर अपनी ऐप को और प्रभावी बनाने की कोशिश कर रही हैं.
निर्भया ऐप के सीईओ गजानन कहते हैं कि वे आठ राज्यों में एंबुलेंस सेवा 108 के साथ अपनी ऐप को लॉन्च करने की कोशिश में हैं.
वे बताते हैं, "हाईवे पर दुर्घटना के वक़्त पीड़ित की लोकेशन पता लगाना काफ़ी चुनौतीपूर्ण होता है और वक़्त पर एंबुलेंस नहीं पहुंच पातीं. हम ऐप के ज़रिए कई मैसेज भेजेंगे. पहले में सिर्फ़ सूचना होगी.
दूसरे मैसेज में पीड़ित की लोकेशन सैटेलाइट से ली जाती है. नहीं तो मोबाइल टावर से लोकेशन लेकर भेजते हैं, जिसे ट्राइंगेलुर एल्गोरिदम कहते हैं. फिर सैटेलाइट से मैसेज भेजने की कोशिश होती है. अगर व्यक्ति की लोकेशन बार-बार बदल रही है, तो इसके लिए हर 300 मीटर की दूरी के बाद लोकेशन का नया मैसेज भेजा जाता है."
'निर्भया' ऐप निर्माता कंपनी 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस पर भारत के तीन शहरों में एक ख़ास सुविधा शुरू कर रही है. इसे 'सिटी सेफ़ कैंपेन' का नाम दिया गया है. इसके तहत असुरक्षित जगहों को चिह्नित कर सकते हैं. इससे बने हीट मैप को सरकार को भेजा जाएगा.

'ई-911 जैसी ज़रूरत'

मगर वरिष्ठ तकनीकी लेखक प्रशांतो कुमार रॉय कहते हैं अभी ऐसे प्रयास ज़्यादा कारगर नहीं हैं. ये ऐप आधारित हैं. वह बताते हैं कि नैसकॉम और सरकार दोनों स्तरों पर मोबाइल को आपात स्थिति के लिए तैयार करने वाली डिवाइस में बदलने पर गंभीरता से विचार कर रहा है. मगर यह अभी सिर्फ़ विचार-विमर्श तक सीमित है.
उनके मुताबिक़ "अमरीका में हर फ़ोन की लोकेशन और जीपीएस सूचना ई-911 पर भेजना अनिवार्य है. मगर भारत में यह अभी ज़रूरी नहीं है. कुछ एप्लीकेशन जैसे गूगल लैटीट्यूड और अन्य ऐप्स के ज़रिए आपात स्थिति में एक अकेले बटन या एक्शन से आपका मैसेज जा सकता है."
उन्होंने बताया, "सीनियर सिटीज़ंस के लिए कुछ ऐप्स हैं जिनमें फ़ोन के पीछे लगा लाल बटन दबाने से सूचना चली जाती है और पुलिस सेल्युलर ऑपरेटर से किसी शख़्स की लोकेशन हासिल कर सकती है. मगर स्मार्टफोन में भी जीपीएस चालू न होने पर या इनडोर होने पर सही जगह का पता नहीं लगाया जा सकता. हालांकि जीपीएस आउटडोर में बेहतर काम करता है."
क्या ऐसा कोई मामला आपके ध्यान में आया है, जहां भारत में किसी व्यक्ति को इन ऐप्स की मदद से आपात स्थिति से निकलने में मदद मिली हो? इस सवाल पर प्रशांतो कहते हैं कि ऐसा तो हुआ है कि पुलिस मोबाइल की लोकेशन हासिल कर आपात व्यक्ति तक पहुंचने में सफल रही है, पर ऐसा देखने में नहीं आया कि किसी शख़्स ने मदद मांगी हो और वह कामयाब रहा हो.
आपातकालीन मोबाइल ऐप्स को लेकर सरकारी हस्तक्षेप कितना कारगर हो सकता है, इसके लिए अमरीका का 911 उदाहरण काफ़ी है. हो सकता है भविष्य में इस जैसी किसी हेल्पलाइन के होने पर आपका स्मार्टफ़ोन भी आपका आपातकालीन दोस्त बन जाए. फ़िलहाल उन ऐप्स से ही काम चलाना होगा, जो 'आईट्यूंस' और 'गूगल प्ले' आपको ऑफ़र करते हैं, या जो एंबेडेड सॉफ़्टवेयर मोबाइल हैंडसेट कंपनियां फ़ोन पर उपलब्ध करा रही हैं.

मूक लोगों के लिए 'बोलेगा' मोबाइल ऐप

कल्पना कीजिए कि आपकी एक मूक व्यक्ति से मुलाक़ात होती है और और उन्हें न तो लिखना-पढ़ना आता है और न ही मूक-बघिर लोगों की हाथ के इशारे से होने वाली सांकेतिक भाषा.
ये व्यक्ति अपना रास्ता भटक गया है और इसे अपने घर वालों को इस बात की ख़बर देनी है.
परेशान होने की आव्यशकता बिलकुल भी नहीं है, क्योंकि इस मूक व्यक्ति के मोबाइल फ़ोन में अगर 'विष्णु दर्शन' नामक है तो ये शख्स आपसे इसके ज़रिये अपनी परेशानी बयान कर सकता है.
भारत के आंध्र प्रदेश के एक इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने अपनी रिसर्च के लिए जब इस ऐप को तैयार करने की सोची तब उनके शिक्षकों को भी थोड़ा अचम्भा हुआ था. अब नहीं.
क्योंकि हिंदी, तमिल, तेलुगु, मलयाली, कन्नड़ और अंग्रेजी भाषाओँ वाला ये ऐप दक्षिण भारत में ज़बरदस्त लोकप्रियता बटोर रहा है.
ख़ास बात ये भी है कि 'विष्णु दर्शन' नामक इस ऐप को आप मुफ़्त में डाऊनलोड कर सकते हैं और इसके इस्तेमाल पर कोई पैसे भी नहीं खर्च करने होंगे क्योंकि ये बिना इंटरनेट के भी चलता है.

लोकेशन

21 वर्षीय साहिती उस छह सदस्यीय टीम का हिस्सा हैं जिन्होंने इस ऐप का निर्माण किया है.
उन्होंने बताया, "अगर किसी मूक व्यक्ति के पास ये ऐप है और उसके फ़ोन में इंटरनेट की है तो वो कहीं खो जाने की स्थिति में गूगल मैप के ज़रिये अपनी लोकेशन और उसके साथ जुड़ा हुआ एक संदेश परिवार वालों को भेज सकता है."
साहिती और उनकी टीम पिछले दिनों दिल्ली के इंडिया हैबिटैट सेंटर में आयोजित की गई एक 'डिजिटल कॉन्फ्रेंस' में भाग ले रहीं थी जहाँ लोगों में एस ऐप को लेकर ख़ासी दिलचस्पी दिखी.
साहिती ने कहा, "कोशिश यही थी कि एक ऐसा ऐप बनाया जाए जिसे लेकर मूक लोगों को कहीं भी आने-जाने में मुश्किल न हो. भारत ऐसे देश में ज़्यादातर लोग इनकी सांकेतिक भाषा को नहीं समझ पाते. अब इन्हे कोई दिक्कत नहीं आएगी".
वैसे इस ऐप का एक फ़ायदा ये भी है कि भारत जैसे बड़े और विभिन्न भाषाओं वाले देश में मूक लोगों के लिए छेत्रीय बंदिशें ख़त्म हो सकेंगी.
उत्तर प्रदेश के रहने वाले किसी मूक व्यक्ति को अकेले जाकर केरल जैसे राज्य में भी इस ऐप के चलते अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा, क्योंकि ऐप की छह में मलयाली भी है.
इस टीम के गठन और 'विष्णु दर्शन' ऐप के निर्माण की देख रेख करने वाले श्रीनिवास वर्मा ने अपना अनुभव भी बताया.
उन्होंने कहा, "मेरे एक मूक मित्र को इतनी दिक्कतें आईं थीं कि वे डिप्रेशन के शिकार तक हो गए थे. अब ऐसा नहीं होगा".
ये ऐप फिलहाल तो अंग्रेजी समेत छह भारतीय भाषाओँ में चल रहा है, लेकीन साहिती को यकीन है कि इसकी लोकप्रियता के साथ उनकी टीम दूसरी भाषाओँ को भी इसमें शामिल कर सकेंगे.

2013: वह साल जिसमें हम मोबाइल हो गए

यह साल इसलिए जाना जाएगा क्योंकि इस साल हम सबके पास मोबाइल आ गया.
और हम सिर्फ़ स्मार्टफ़ोन और टैबलेट्स की बात नहीं कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं ऑफ़िस के अंदर और बाहर कनेक्ट रहने की और अपने उपकरणों का इस्तेमाल काम या खेलने के लिए करने की.
हम बात कर रहे हैं मोबाइल डाटा की जो क्लाउड में स्टोर किया गया हो और मोबाइल कॉर्पोरेट ढांचे की को डाटा को शेयर करने की नई उम्र से सामंजस्य बनाने की कोशिश कर रहा है.
मोबाइल यह सिर्फ़ एक उपकरण नहीं है बल्कि यह एक मनःस्थिति है.
और 4जी नेटवर्क की ताकत वाली इस गतिशीलता में व्यापार की संभावनाएं तो हैं ही लेकिन इसकी अपनी चुनौतियां भी हैं.
लंदन के कैस बिज़नेस स्कूल में इंफ़ॉर्मेशन लीडरशिप नेटवर्क के निदेशक डेविड चान मानते हैं कि मोबाइल ने हमारे व्यवहार में मूलभूत बदलाव कर दिया है.

मौलिक इस्तेमाल

हमारे ख़रीदारी करने, काम करने, रचनात्मकता और संवाद करने को मोबाइल ने बदल दिया है लेकिन बहुत से व्यापार इस नए प्रतिमान को स्वीकार करने में असफल रहे हैं.
जैसे कि पारंपरिक बाज़ार नए ऑनलाइन शॉपिंग के आगे धराशाई हो रहे हैं.
वह कहते हैं, "दुनिया इतनी तेज़ी से बदल रही है कि हमारी बड़ी आईटी योजनाएं शुरू होने से पहले ही पुरानी पड़ जा रही हैं."
फ़्लोरिडा की वर्चुलाइज़ेशन और सॉफ़्टवेयर कंपनी साइट्रिक्स सिस्टम्स के क्लाउड मैनेजिंग डायरेक्टर डेमियन साउंडर्स इससे सहमत हैं.
बीबीसी के बिज़नेस रिपोर्टर पॉल रुबेन्स से बात करते हुए नवंबर में उन्होंने कहा था, "मुझे लगता है कि कटौती की स्थिति में तकनीक की भूमिका होती है लेकिन अगर मैं इसकी जड़ में देखता हूं तो सबसे बड़ी वजह लोग और प्रक्रिया ही नज़र आती है."
दूसरे शब्दों में सॉफ़्टवेयर को अपडेट न करना या फिर सिस्टम का पर्याप्त परीक्षण न करना.
इस साल ने हमारे तकनीकी ढांचे की चरमराहट को, हमारे पुराने कंप्यूटर सिस्टमों और हमारी बेकार पड़ चुकी प्रबंधन सोच को उजागर किया.
साल 2013 में एक्सेलोमीटर, जीपीएस नेविगेशन सिस्टम, हाई डेफ़िनेशन कैमरों, घड़ी और वायरलेस कनेक्टिविटी वाले शानदार स्मार्टफ़ोनों का कई तरह से मौलिक रूप से इस्तेमाल शुरू
हुआ.

ऐप और रफ़्तार

जुलाई में बीबीसी की फ़ियोना ग्राहम ने ख़बर दी कि कैसे कैलिफ़ोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (कालटेक) की टीम ने एक एप तैयार किया, इससे स्मार्टफ़ोन एक सामान्य सिस्मोमीटर में बदल जाता है जो भूकंप की तरंगों की पहचान करने में सक्षम होता है.
एक बड़े समुदाय के बीच डाटा शेयर करके इस तरह के वार्निंग सिस्टम से कई जानें बचाना संभव है.
इसके अलावा हमने देखा कि फ़ोन कैसे स्वास्थ्य की देखरेख कर कर सकते हैं. स्मार्टफ़ोन अब दिल की धड़कनें, रक्तचाप और यह नाप सकते हैं कि कितनी कैलोरीज़ इस्तेमाल हुई हैं. इस डाटा को अपलोड किया जा सकता है, विज़ुअलाइज़ किया जा सकता है, साझा किया जा सकता है और इसे समझा जा सकता है.
शेयर करने और सहयोग करने के इस नए दौर ने कॉर्पोरेट की निर्देश देने और नियंत्रण करने के पारंपरिक तरीके को चुनौती दी है.
क्राउड सोर्सिंग, इंजीनियरिंग और विज्ञान की विशेषज्ञता ने बहुत सी योजनाओं को रफ़्तार दी है जिनमें डीएनए का विश्लेषण से लेकर एप डिज़ाइन तक शामिल है.
इसी दौरान माइक्रो चिप लगी चीज़ें जो रिकॉर्ड करने और वायरलेस के ज़रिए डाटा भेजने में सक्षम हैं और स्मार्ट विश्लेषक सॉफ़्टवेयर के साथ काम करने में सक्षम हैं, वह बहुत तेजी से हमारे आस-पास की दुनिया को बदल रहे हैं.

चुनौतियां

कनेक्टिविटी ने कई चीज़ों- जैसे कि ऐसी गोलियां जिन्हें आप ले लें तो वह आपको मैसेज कर देती हैं, घर को गर्म या ठंडा करने का ऐसा सिस्टम जिसे मोबाइल फ़ोन से नियंत्रित किया जा सकता हो- के ज़रिए संभावनाओं की एक नई दुनिया का रास्ता खोल दिया है.
लेकिन इन सभी डिजिटल सेंसर्स ने डाटा में कई गुना वृद्धि कर दी है जिसे स्टोर करने, विश्लेषण करने और भेदियों से बचाने की ज़रूरत है.
एडवर्ड स्नोडेन ने अमरीकी सुरक्षा एजेंसियों के प्रिज़्म डिजिटल निगरानी कार्यक्रम का खुलासा किया है वह भविष्य में सभी के लिए एक चेतावनी है.
लेकिन 2013 में कॉर्पोरेट डाटा और क्लाउड आधारित स्टोरेज सर्विस दोनों पर व्यापारिक विश्वास को बड़ा आघात लगा है.
मोबाइल फ़ोनों में तेज वृद्धि ने भी इन चिंताओं को बल दिया है और आईटी मैनेजर सुरक्षा उपायों को लागू करने के लिए जूझ रहे हैं.
गार्टनर के स्टीव प्रेन्टिस ने जनवरी में ही अद्भुत पूर्वज्ञान के बूते कह दिया था, "और ज़्यादा क्लाउड कंप्यूटिंग, सेवा और स्टोरेज की ज़रूरत पड़ेगी. ज़्यादा मोबाइल उपकरण आएंगे, ज़्यादा एप्स, ज्यादा गेम, ज़्यादा ब्राउज़िंग, ज़्यादा ख़रीदारी होगी और ज़्यादा लोग सोशल मीडिया पर दोस्तों से साथ शेयर करेंगे. इस सबके ज़्यादा बैंडविड्स की ज़्यादा मांग होगी और तेज़ स्पीड, पूरी दुनिया में कवरेज की ज़रूरत होगी."
और यह था 2013: वह साल जिसमें हम मोबाइल हो गए.

मोबाइल इंडियन: अब तंग नहीं करेंगे ये 30 शब्द

 गुरुवार, 9 जनवरी, 2014 को 08:02 IST तक के समाचार
टेक्नोलॉजी की दुनिया में कुछ भी स्थाई नहीं होता और कोई एक तकनीक लंबे समय तक नहीं टिकती, मोबाइल की दुनिया भी कुछ ऐसी ही है. नई तकनीक के साथ आती है नई शब्दावली जिसे हम सुनी सुनाई बातों के साथ सीखते जाते हैं.
लेकिन कई बार ऐसा होता है कि जिस शब्द का हम जो मतलब जानते है, वो बिल्कुल ग़लत निकल जाता है.
आइए नज़र डालते हैं मोबाइल से जुड़े कुछ ऐसे ही शब्दों पर जिनमें से कई के मतलब आप जानते होंगे, और कई के नहीं.

स्मार्टफ़ोन, फ़ीचर फ़ोन और बेसिक मोबाइल फ़ोन

सेलुलर तकनीक के शुरुआती दिनों में जो फ़ोन बाज़ार में आए उन्हें बेसिक मोबाइल फ़ोन कहा जाता है. इन फ़ोन्स में सिर्फ़ कॉल और एसएमएम की सेवा उपलब्ध थी, फ़िचर्स के मामले में बेहद साधारण होने के कारण इन्हें बेसिक कहा जाता था.
इनके बाद बाज़ार में आया फ़ीचर फ़ोन जिसमें बेसिक से ज़्यादा फ़ीचर्स थे, जैसे एफ़एम रेडियो, बड़ा कलर स्क्रीन, मेमोरी कार्ड, टॉर्च इत्यादी. बीते कुछ वर्षों में भारतीय बाज़ार में जो इंटरनेट युक्त फ़ोन आए उन्हें हम स्मार्टफ़ोन कहते हैं, क्योंकि ये कंप्यूटरों की तरह एक साथ कई काम कर सकते हैं.
आप चाहें तो स्मार्टफ़ोन पर शॉपिंग कर ले, चाहे तो उनपर टीवी देख लें. यानी हाथ में एक शक्तिशाली डिवाइस.

1जी

प्रथम पीढ़ी के मोबाइल फ़ोन सिस्टम और उसकी तकनीक को हम 1जी के रूप में जानते हैं. अब ये तकनीक दुनिया के लगभग सभी देशों से ख़त्म की जा चुकी है, लेकिन यही तकनीक आज की नई तकनीकों का भी आधार है.

2जी

ज़ाहिर तौर पर जैसा कि नाम से अंदाज़ा लग जाता है, 2जी दूसरी पीढ़ी के मोबाइल सिस्टम को कहते है. 2जी मोबाइल तकनीक में कॉल के अलावा डाटा, फ़ैक्स और एसएमएस की सुविधा मिलती है. इसमें नियंत्रित डाटा संचार की भी सुविधा मिलती है.

2.5जी

2जी से उन्नत ये तकनीक बेहतर डाटा सेवा देती है. इसके अलावा इसमें मल्टीमीडिया मैसेजिंग, ईमेल और वेब ब्राउज़िंग के लिए वायरलेस ऐपलिकेशन प्रोटोकॉल यानी वैप की सुविधा होती है.

3जी

तीसरी पीढ़ी के मोबाइल नेटवर्क यानी 3जी वो तकनीक है जो इस वक़्त भारत के ज़्यादातर हिस्सों में यूज़ किया जाता है. इसके ज़रिए बेहतर डाटा ट्रांस्फ़र स्पीड, मोशन वीडियो और हाई-स्पीड इंटरनेट ब्राउज़िंग की जा सकती है.

4जी

इस नवीनतम तकनीक के लिए भारत तैयार हो रहा है. कोलकाता, बंगलौर और पुणे जैसे कुछ शहरों में ये शुरू भी किया जा चुका है.
आने वाले समय में 4जी, मोबाइल नेटवर्किंग का नया स्टैंडर्ड होगा. यूरोप में ये तकनीक बेहद सफल है और कई देशों में ये 300 एमबीपीएस जैसी तूफ़ानी स्पीड भी प्रदान कर रहा है.

जीपीआरएस

जनरल पैकेट रेडियो सर्विस को फ़ोन का ‘सदैव ऑन’ फ़ीचर के रूप में भी जाना जाता है. ये तकनीक 2जी फ़ोन्स की ताक़त बढ़ाती है और डाटा ट्रांस्फ़र में तेज़ी लाता है.
जीपीआरएस कनेक्शन का मतलब है कि फ़ोन नेटवर्क से जुड़ा हुआ है और तुरंत डाटा ट्रांस्फ़र कर सकता है.

रोमिंग

मोबाइल नंबर जिस शहर या सर्किल से जारी करवाया गया हो उस सर्किल के नेटवर्क से बाहर जाने की स्थिती में मोबाइल ‘रोमिंग’ मोड पर आ जाता है यानी मोबाइल गृह नेटवर्क से बाहर 'सैर' पर होता है.
अलग अलग मोबाइल कंपनियों के टॉक प्लान और देशों पर निर्भर करता है कि रोमिंग के लिए यूज़र को कितना अतिरिक्त शुल्क देना पड़ेगा.

सेल ब्रॉडकास्ट

आपका मोबाइल नेटवर्क आपको कभी-कभी एसएमएस के ज़रिए ज़रूरी जानकारियां देता है. जैसे की सरकारी नियमों में फेर-बदल या अन्य सार्वजनिक सूचनाएं.
मोबाइल कंपनियों की ओर से एसएमएस के ज़रिए जानकारियां दिए जाने की प्रक्रिया को सेल ब्रॉडकास्ट कहते है.

कवरेज

कवरेज उस इलाक़े को कहते हैं जिसमें मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध हो. अगर आप कवरेज इलाक़े में हैं, तो आप कॉल, एसएमएस और इंटरनेट का प्रयोग कर सकेंगे.
डुअल बैंड और ट्राई-बैंड मोबाइल नेटवर्क कई अलग-अलग फ्रीक्वेंसियों पर काम करते हैं.
विभिन्न देशों में अलग-अलग फ्रीक्वेंसियों पर मोबाइल चलते हैं. डुअल बैंड फ़ोन उन मोबाइलों को कहते हैं जो दो अलग-अलग फ्रीक्वेंसियों पर काम करने में सक्षम होते हैं.
ठीक ऐसे ही ट्राई-बैंड मोबाइल हैंडसेट जीएसएम तकनीक के तीन बैंड्स पर चल सकते हैं. ट्राई बैंड फ़ोन सौ से ज़्यादा देशों में कारगर होते हैं.

जीएसएम

जीएसएम यानी ग्लोबल सिस्टम फ़ॉर मोबाइल कम्युनिकेशन डिजिटल सेलुलर तकनीक हैं जिसके ज़रिए कॉल और डाटा सेवाएं प्रदान की जाती है.
जीएसएम युक्त फ़ोन्स की ख़ासियत ये होती है कि ये दुनियाभर में स्टैंडर्ड हैं. टेरेस्टेरियल जीएसएम नेटवर्क अब दुनियाभर की 90 फ़ीसदी आबादी तक पहुंचती है.

सीडीएमए

सीडीएमए यानी कोड डिविज़न मल्टीपल एक्सेस जीएसएम की तरह ही एक सेलुसर तकनीक है. दोनों तकनीकों के बीच असल फ़र्क़ इतना ही है कि दोनों अलग-अलग तरीक़े से डाटा प्रोसेस और ट्रांस्मिट करती है. सीडीएमए उत्तरी अमरीका जैसे देशों में काफ़ी लोकप्रिय है.

वॉयस एक्टिवेटेड डायलिंग

आप जिसे कॉल करना चाहते हैं उसका नाम फ़ोन के सामने पुकारकर कॉल लगाने की तकनीक को वॉयस डायलिंग कहते हैं. शर्त सिर्फ़ ये है कि जिनका नाम आप पुकारते हैं उनका नंबर फ़ोनबुक में सेव होना चाहिए. कार चलाने वाले लोगों के बीच ये तकनीक काफ़ी आम है.

वॉयसमेल

ये मोबाइल नेटवर्कों द्वारा दी जाने वाली एक सुविधा है जिसमें आपके कॉल ना उठा पाने की अवस्था में कॉलर का ऑडियो मैसेज रिकॉर्ड हो जाता है.

एयर टाइम

फ़ोन पर जितनी देर बातचीत होती है उसे एयर टाइम कहते हैं. मोबाइल कंपनियां अलग-अलग प्लानों में मिनट्स और सेकंड्स के आधार पर एयर टाइम निर्धारित करती है.

पे एस यू गो (Pay As You Go)

ये आम तौर पर प्रीपेड मोबाइल फ़ोन सर्विस को कहा जाता है. इस सेवा के तहत उपभोक्ता मोबाइल कंपनी को सेवाओं के बदले पहले ही पैसा दे देता है और यूज़र जितना उपयोग करता जाता है, उसके मोबाइल नंबर खाते से उतना पैसा कटता रहता है.

पीसी केबल

ये मोबाइल के साथ मिलने वाला वो तार होता है जिसके ज़रिए आप अपने मोबाइल फ़ोन को कंप्यूटर से कनेक्ट कर सकते हैं.

ब्लूटूथ

छोटी दूरी में डिवाइसों के बीच डाटा ट्रांकस्फ़डर के लिए उपयोग की जाने वाली वायरलेस तकनीक को ब्लूटूथ का नाम दिया गया.
आम तौर पर हम इसे हैंड्सफ्री डिवाइस के तौर पर भी जानते हैं जो फोन से कनेक्ट होकर कॉल करने में मदद करता है.

मल्टीमीडिया मैसेजिंग

मोबाइलों के बीच तस्वीरों, ऑडियो या वीडियो युक्त मैसेजेस के आदान प्रदान को मल्टीमीडिया मैसेजिंग कहते हैं.

डेस्कटॉप चार्जर

हमारे घरों, गाड़ियो और डेस्क पर आम तौर पर दिखने वाले मोबाइल चार्जरों को पारंपरिक तकनीकी लहजे में डेस्कटॉप चार्जर कहा जाता है.

पीक और ऑफ़-पीक

पीक उस समय को कहते हैं जब फ़ोन नेटवर्क सबसे ज़्यादा व्यस्त होते हैं, यानी दिन का सामान्य व्यापारिक समय. कई देशों में मोबाइल कंपनियां पीक टाइम पर कॉल रेट बढ़ा देती है. इसी तरह से ऑफ़-पीक वो समय होता है जब नेटवर्क व्यस्त न हो.

पॉलीफ़ोनिक रिंगटोन

ये शुरूआती दौर के मोबाइलों में प्रयोग होने वाला रिंगटोन है जिसमें 40 अलग अलग तरह म्यूज़िकल नोट्स का प्रयोग होता है.
कुछ साल पहले तक भारत में बॉलीवुड के गानों की धुनों पर पॉलिफ़ोनिक रिंगटोन बनाए जाने का चलन था.

सिम

सिम यानी की सब्स्क्राइबर आइडेंटिटी मॉड्यूल आम सिम कार्ड को कहते हैं. ये वो चिप होता है जिसके ज़रिए मोबाइल कंपनियों के सर्वर मोबाइल नंबर और यूज़र को पहचानते हैं.
सिम कार्ड में बेहद महत्वपूर्ण डाटा होता है जिसमें कॉल इंनकमिंग और आउटगोइंग का भी रिकॉर्ड होता है.

एसएमएस

शॉर्ट मैसेजिंग सर्विस सामान्य फ़ोन मैसेजिंग को कहते हैं. इसके ज़रिए एक फ़ोन से दूसरे तक टेक्स्ट संदेश भेजे जाते हैं. कुछ वर्ष पहले तक भारत में एसएमएस का प्रयोग इतना अधिक होता था कि त्योहारों में मोबाइल नेटवर्क ही बैठ जाते थे.
सरकारी नीतियां और व्हाट्सऐप जैसी सेवाएं एसएमएस के आदान प्रदान में कमी का कारण बनीं हैं.

स्टैंडबाई टाइम

बिना कॉल, एसएमएस या कोई अन्य उपयोग किए मोबाइल फोन की बैटरी जितनी देर चलती है उसे स्टैंडबाई टाइम कहते हैं.

टी9

मोबाइलों में पहले से ही शब्दकोश मौजूद होती है, ये इनपुट किए गए कैरेक्टर से शब्द का अंदाज़ा लगाने की कोशिश करती है.
इस सर्विस का उपयोग किए जाने से शब्द जल्दी टाइप भी हो जाते हैं और शाब्दिक गल्तियां होने की भी संभावनाए कम होती है.

गोरिल्ला ग्लास

आज कल टच स्क्रीन फ़ोन्स चलन में हैं और इसकी बड़ी डिसप्ले स्क्रीन होने की वजह से इसे खासा पसंद भी किया जाता है. लेकिन बड़ी सक्रीन स्क्रैच के खतरे को भी बढ़ाती हैं. गोरिल्ला ग्लास इसी समस्या से निजात दिलाने के लिए बनाई गई मज़बूत स्क्रीन को कहते हैं.
इस तकनीक से बने मोबाइल डिसप्ले स्क्रीनों पर जल्दी स्क्रैच नहीं लगते और ये जल्दी टूटते भी नहीं. लेकिन फिर भी ये सौ फ़ीसदी अनब्रेकेबल नहीं होते.

क्वेर्टी (QWERTY)

अंग्रेज़ी कीबोर्ड की सामान्य रूपरेखा और बटनों के निर्धारित क्रम को आम बोल-चाल की भाषा में क्वेर्टी बोलते हैं. दो-तीन साल पहले तक क्वेर्टी कीपैड वाले फ़ोन्स काफ़ी पसंद किए जाते थे.
मोबाइल निर्माता कंपनी ब्लैकबेरी की अधिकतर हैंडसेट्स क्वेर्टी कीपैड युक्त थी और यही इस कंपनी की ख़ासियत भी थी.

जीपीएस

जीपीएस यानी ग्लोबल पोज़ीशनिंग सिस्टम सैटेलाइट युक्त नेविगेशन सिस्टम को कहते हैं. आम तौर पर सभी नए स्मार्टफ़ोन्स में जीपीएस डाटा रिसीव करते की तकनीक मौजूद होती है.
जीपीएस के ज़रिए यूज़र मोबाइल पर रियलटाइम मैप, यूज़र की सटीक लोकेशन जैसी जानकारियां मिल सकती है.