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09 January 2014

मूक लोगों के लिए 'बोलेगा' मोबाइल ऐप

कल्पना कीजिए कि आपकी एक मूक व्यक्ति से मुलाक़ात होती है और और उन्हें न तो लिखना-पढ़ना आता है और न ही मूक-बघिर लोगों की हाथ के इशारे से होने वाली सांकेतिक भाषा.
ये व्यक्ति अपना रास्ता भटक गया है और इसे अपने घर वालों को इस बात की ख़बर देनी है.
परेशान होने की आव्यशकता बिलकुल भी नहीं है, क्योंकि इस मूक व्यक्ति के मोबाइल फ़ोन में अगर 'विष्णु दर्शन' नामक है तो ये शख्स आपसे इसके ज़रिये अपनी परेशानी बयान कर सकता है.
भारत के आंध्र प्रदेश के एक इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने अपनी रिसर्च के लिए जब इस ऐप को तैयार करने की सोची तब उनके शिक्षकों को भी थोड़ा अचम्भा हुआ था. अब नहीं.
क्योंकि हिंदी, तमिल, तेलुगु, मलयाली, कन्नड़ और अंग्रेजी भाषाओँ वाला ये ऐप दक्षिण भारत में ज़बरदस्त लोकप्रियता बटोर रहा है.
ख़ास बात ये भी है कि 'विष्णु दर्शन' नामक इस ऐप को आप मुफ़्त में डाऊनलोड कर सकते हैं और इसके इस्तेमाल पर कोई पैसे भी नहीं खर्च करने होंगे क्योंकि ये बिना इंटरनेट के भी चलता है.

लोकेशन

21 वर्षीय साहिती उस छह सदस्यीय टीम का हिस्सा हैं जिन्होंने इस ऐप का निर्माण किया है.
उन्होंने बताया, "अगर किसी मूक व्यक्ति के पास ये ऐप है और उसके फ़ोन में इंटरनेट की है तो वो कहीं खो जाने की स्थिति में गूगल मैप के ज़रिये अपनी लोकेशन और उसके साथ जुड़ा हुआ एक संदेश परिवार वालों को भेज सकता है."
साहिती और उनकी टीम पिछले दिनों दिल्ली के इंडिया हैबिटैट सेंटर में आयोजित की गई एक 'डिजिटल कॉन्फ्रेंस' में भाग ले रहीं थी जहाँ लोगों में एस ऐप को लेकर ख़ासी दिलचस्पी दिखी.
साहिती ने कहा, "कोशिश यही थी कि एक ऐसा ऐप बनाया जाए जिसे लेकर मूक लोगों को कहीं भी आने-जाने में मुश्किल न हो. भारत ऐसे देश में ज़्यादातर लोग इनकी सांकेतिक भाषा को नहीं समझ पाते. अब इन्हे कोई दिक्कत नहीं आएगी".
वैसे इस ऐप का एक फ़ायदा ये भी है कि भारत जैसे बड़े और विभिन्न भाषाओं वाले देश में मूक लोगों के लिए छेत्रीय बंदिशें ख़त्म हो सकेंगी.
उत्तर प्रदेश के रहने वाले किसी मूक व्यक्ति को अकेले जाकर केरल जैसे राज्य में भी इस ऐप के चलते अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा, क्योंकि ऐप की छह में मलयाली भी है.
इस टीम के गठन और 'विष्णु दर्शन' ऐप के निर्माण की देख रेख करने वाले श्रीनिवास वर्मा ने अपना अनुभव भी बताया.
उन्होंने कहा, "मेरे एक मूक मित्र को इतनी दिक्कतें आईं थीं कि वे डिप्रेशन के शिकार तक हो गए थे. अब ऐसा नहीं होगा".
ये ऐप फिलहाल तो अंग्रेजी समेत छह भारतीय भाषाओँ में चल रहा है, लेकीन साहिती को यकीन है कि इसकी लोकप्रियता के साथ उनकी टीम दूसरी भाषाओँ को भी इसमें शामिल कर सकेंगे.

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