मोबाइल इंडियन: पाँच बड़े मोबाइल इनोवेशन
जनवरी, 2014 को 07:20 IST तक के समाचार
भारत में स्मार्टफ़ोन तेज़ी से
लोगों के जीवन का हिस्सा बन रहा है या यूँ कहें कि बन चुका है और इसी
ट्रेंड ने मौका दिया है आम लोगों और विशेषज्ञों को मिलकर कुछ नया करने का.
भारत में तेज़ी से पैर पसारते स्मार्टफ़ोन और नई
ऊर्जा और विचारों के संचार ने जन्म दिया कई ऐसे ऐप्स को जिनके ज़रिए चाहे
तो ट्रेन और फ़िल्मों की टिकट बुक करा लें या देश-विदेश की जानकारी जुटा
लीजिए.
गांवों में बच्चों की पढ़ाई में
सूत्रधार बनना हो या कृषि का ताज़ा जानकारियां किसानों तक पहुंचाना, मोबाइल
के विभिन्न आयामों ने हर क्षेत्र को लाभ पहुंचाया है.
एक नज़र उन पांच बड़े मोबाइल इनोवेशन पर जिन्होंने खींचा सबका ध्यान.
फ़ाइट बैक
शहरों में महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ते अपराध के
ग्राफ़ ने उनमें असुरक्षा की भावना पैदा की है. भारत के महानगरों में देर
रात तक काम करने वाली ज़्यादातर महिलाएं अब घर अकेले वापस जाने से परहेज़
करने लगी हैं.
इसी असुरक्षा के भाव को समझते हुए कैनवासएम टेक्नॉलॉजी ने ‘फ़ाइट बैक’ ऐप बनाया.
जीपीएस तकनीक पर काम करने वाला ये ऐप यूज़र को
ख़तरे में या आपातकालीन परिस्थिति में परिजनों को मदद के लिए सूचित करने का
विकल्प देता है.
एक पैनिक बटन दबाते ही यूज़र के पहले से दिए हुए
मोबाइल नंबरों पर, फ़ेसबुक पन्नों पर और ईमेल पते पर लोकेशन सहित सूचना
पहुंचा दी जाती है.
इंडिया अगेंस्ट स्पैम
आपका मोबाइल चाहे जितना भी महंगा हो और आपने उसे
चाहे जितने जतन से रखा हो, एक– दो ऐसे कॉल सभी को आते हैं जिनका नंबर दिखते
ही आप अपने मोबाइल को चिढ़ से देखने लगते हैं. जी हाँ, हम बात कर रहे हैं
मार्केटिंग कॉल्स की.
कोई ज़बरदस्ती लोन दिलवाना चाहता है तो कोई घर
खरीदवाने पर तुला है. रिपोर्ट करने की धमकी तो इनके लिए बच्चों को सुनाए
जाने वाले भूतों के किस्से जैसा है. कोई डरता ही नहीं! ऐसा इसलिए भी है
क्योंकि मार्केटिंग कॉल ट्राई को रिपोर्ट करने की प्रक्रिया जटिल है और
ज़्यादातर यूज़र्स इस पर समय नहीं बर्बाद करना चाहते.
इसी रिपोर्टिंग को आसान बनाने के लिए बना है एक
मोबाइल ऐप जो एक क्लिक/टच में स्पैम रिपोर्ट करने का दावा करता है. इस ऐप
को बनाने वालों का दावा है कि ये किसी रिपोर्ट को तुरंत 1909 यानी ऑपरेटर
के पास भेज देता है.
एसएमएस नियंत्रित सिंचाई
कृषि की सबसे ज़रूरी मांग सिंचाई होती है और किसी सूखे इलाक़े के खेत को कृषि योग्य पानी पहुँचाना किसी बड़ी जद्दोजहद से कम नहीं है.
पानी और ऊर्जा बचाना वक़्त की अहम मांग है जिसके लिए एक कृषि कंपनी ने बनाई है एसएमएस नियंत्रित सिंचाई प्रणाली.
भारत में आम तौर पर खेतों में भूमिगत जल स्रोतों
का प्रयोग होता है और इसके लिए वॉटर पंप लगाए जाते हैं जो ईंधन या बिजली से
चलते हैं. ऐसे में 2-5 मिनट की देरी भी रोकना बूंद-बूंद से घड़ा भरने जैसा
होता है.
‘नैनो गणेश’ नाम का ये सिस्टम एक एसएमएस से वॉटर
पंप बंद कर सकता है. इसके लिए ना तो बहुत पढ़े-लिखे होने की ज़रूरत होती है
और ना ही किसी महंगे स्मार्टफ़ोन की. एक सस्ता सा बेसिक मोबाइल ही काफ़ी
होता है.
ब्रिज-इट (मोबाइल एजुकेशन)
मोबाइल उन प्रयासों के लिए भी एक वरदान सरीखा
साबित हो रहा है, जो शिक्षा को देश के दूर-दराज़ के इलाक़ों में पहुंचाने
के लिए काम कर रहे हैं.
नोकिया और पीयरसन फाउंडेशन ने मिलकर बनाया है एक
ऐसा सिस्टम जो डिजिटल इंटरैक्टिव शिक्षा को उन क्लासरूमों तक पहुंचा रहा
है, जहां टीवी लगे हुए हैं.
स्कूलों में टीचर्स मोबाइल के ‘टीवी-आउट’ फ़ीचर के
ज़रिए बच्चों को टीवी पर सैकड़ों ज्ञानवर्धक वीडियो दिखा सकते हैं. फिलहाल
'ब्रिज इट' तीन भाषाओं में करीब 15,000 बच्चों तक पहुंचता है.
देख-सुन नहीं पाने वालों के लिए एसएमएस
कैसा होता होगा जीवन उन लोगों का जो ना देख पाते हैं और ना ही सुन पाते हैं? आखिर समाज से कैसे जुड़ पाते होंगे ये लोग?
ऐसे ही लोगों की मदद के लिए बाइडायरेक्शनल एक्सेस
प्रमोशन सोसाइटी ऑफ़ इंडिया ने बनाया है एसएमएस और क्लाउड कंप्यूटिंग पर
आधारित एक सिस्टम, जो चलेगा सभी एंड्रॉएड मोबाइलों पर.
देख-सुन नहीं पाने वाले लोगों के लिए इस ऐप में
ब्रेल तकनीक जैसी सुविधा है और यूज़र हर अक्षर को मोबाइल स्क्रीन पर छूकर
अलग-अलग तरह का कंपन संदेश महसूस करेगा.
इस तरह से यूज़र उनको भेजा गया संदेश, हर अक्षर को छूकर महसूस कर पाएंगे और पढ़ पाएंगे .
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