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09 January 2014

मोबाइल इंडियन: अब तंग नहीं करेंगे ये 30 शब्द

 गुरुवार, 9 जनवरी, 2014 को 08:02 IST तक के समाचार
टेक्नोलॉजी की दुनिया में कुछ भी स्थाई नहीं होता और कोई एक तकनीक लंबे समय तक नहीं टिकती, मोबाइल की दुनिया भी कुछ ऐसी ही है. नई तकनीक के साथ आती है नई शब्दावली जिसे हम सुनी सुनाई बातों के साथ सीखते जाते हैं.
लेकिन कई बार ऐसा होता है कि जिस शब्द का हम जो मतलब जानते है, वो बिल्कुल ग़लत निकल जाता है.
आइए नज़र डालते हैं मोबाइल से जुड़े कुछ ऐसे ही शब्दों पर जिनमें से कई के मतलब आप जानते होंगे, और कई के नहीं.

स्मार्टफ़ोन, फ़ीचर फ़ोन और बेसिक मोबाइल फ़ोन

सेलुलर तकनीक के शुरुआती दिनों में जो फ़ोन बाज़ार में आए उन्हें बेसिक मोबाइल फ़ोन कहा जाता है. इन फ़ोन्स में सिर्फ़ कॉल और एसएमएम की सेवा उपलब्ध थी, फ़िचर्स के मामले में बेहद साधारण होने के कारण इन्हें बेसिक कहा जाता था.
इनके बाद बाज़ार में आया फ़ीचर फ़ोन जिसमें बेसिक से ज़्यादा फ़ीचर्स थे, जैसे एफ़एम रेडियो, बड़ा कलर स्क्रीन, मेमोरी कार्ड, टॉर्च इत्यादी. बीते कुछ वर्षों में भारतीय बाज़ार में जो इंटरनेट युक्त फ़ोन आए उन्हें हम स्मार्टफ़ोन कहते हैं, क्योंकि ये कंप्यूटरों की तरह एक साथ कई काम कर सकते हैं.
आप चाहें तो स्मार्टफ़ोन पर शॉपिंग कर ले, चाहे तो उनपर टीवी देख लें. यानी हाथ में एक शक्तिशाली डिवाइस.

1जी

प्रथम पीढ़ी के मोबाइल फ़ोन सिस्टम और उसकी तकनीक को हम 1जी के रूप में जानते हैं. अब ये तकनीक दुनिया के लगभग सभी देशों से ख़त्म की जा चुकी है, लेकिन यही तकनीक आज की नई तकनीकों का भी आधार है.

2जी

ज़ाहिर तौर पर जैसा कि नाम से अंदाज़ा लग जाता है, 2जी दूसरी पीढ़ी के मोबाइल सिस्टम को कहते है. 2जी मोबाइल तकनीक में कॉल के अलावा डाटा, फ़ैक्स और एसएमएस की सुविधा मिलती है. इसमें नियंत्रित डाटा संचार की भी सुविधा मिलती है.

2.5जी

2जी से उन्नत ये तकनीक बेहतर डाटा सेवा देती है. इसके अलावा इसमें मल्टीमीडिया मैसेजिंग, ईमेल और वेब ब्राउज़िंग के लिए वायरलेस ऐपलिकेशन प्रोटोकॉल यानी वैप की सुविधा होती है.

3जी

तीसरी पीढ़ी के मोबाइल नेटवर्क यानी 3जी वो तकनीक है जो इस वक़्त भारत के ज़्यादातर हिस्सों में यूज़ किया जाता है. इसके ज़रिए बेहतर डाटा ट्रांस्फ़र स्पीड, मोशन वीडियो और हाई-स्पीड इंटरनेट ब्राउज़िंग की जा सकती है.

4जी

इस नवीनतम तकनीक के लिए भारत तैयार हो रहा है. कोलकाता, बंगलौर और पुणे जैसे कुछ शहरों में ये शुरू भी किया जा चुका है.
आने वाले समय में 4जी, मोबाइल नेटवर्किंग का नया स्टैंडर्ड होगा. यूरोप में ये तकनीक बेहद सफल है और कई देशों में ये 300 एमबीपीएस जैसी तूफ़ानी स्पीड भी प्रदान कर रहा है.

जीपीआरएस

जनरल पैकेट रेडियो सर्विस को फ़ोन का ‘सदैव ऑन’ फ़ीचर के रूप में भी जाना जाता है. ये तकनीक 2जी फ़ोन्स की ताक़त बढ़ाती है और डाटा ट्रांस्फ़र में तेज़ी लाता है.
जीपीआरएस कनेक्शन का मतलब है कि फ़ोन नेटवर्क से जुड़ा हुआ है और तुरंत डाटा ट्रांस्फ़र कर सकता है.

रोमिंग

मोबाइल नंबर जिस शहर या सर्किल से जारी करवाया गया हो उस सर्किल के नेटवर्क से बाहर जाने की स्थिती में मोबाइल ‘रोमिंग’ मोड पर आ जाता है यानी मोबाइल गृह नेटवर्क से बाहर 'सैर' पर होता है.
अलग अलग मोबाइल कंपनियों के टॉक प्लान और देशों पर निर्भर करता है कि रोमिंग के लिए यूज़र को कितना अतिरिक्त शुल्क देना पड़ेगा.

सेल ब्रॉडकास्ट

आपका मोबाइल नेटवर्क आपको कभी-कभी एसएमएस के ज़रिए ज़रूरी जानकारियां देता है. जैसे की सरकारी नियमों में फेर-बदल या अन्य सार्वजनिक सूचनाएं.
मोबाइल कंपनियों की ओर से एसएमएस के ज़रिए जानकारियां दिए जाने की प्रक्रिया को सेल ब्रॉडकास्ट कहते है.

कवरेज

कवरेज उस इलाक़े को कहते हैं जिसमें मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध हो. अगर आप कवरेज इलाक़े में हैं, तो आप कॉल, एसएमएस और इंटरनेट का प्रयोग कर सकेंगे.
डुअल बैंड और ट्राई-बैंड मोबाइल नेटवर्क कई अलग-अलग फ्रीक्वेंसियों पर काम करते हैं.
विभिन्न देशों में अलग-अलग फ्रीक्वेंसियों पर मोबाइल चलते हैं. डुअल बैंड फ़ोन उन मोबाइलों को कहते हैं जो दो अलग-अलग फ्रीक्वेंसियों पर काम करने में सक्षम होते हैं.
ठीक ऐसे ही ट्राई-बैंड मोबाइल हैंडसेट जीएसएम तकनीक के तीन बैंड्स पर चल सकते हैं. ट्राई बैंड फ़ोन सौ से ज़्यादा देशों में कारगर होते हैं.

जीएसएम

जीएसएम यानी ग्लोबल सिस्टम फ़ॉर मोबाइल कम्युनिकेशन डिजिटल सेलुलर तकनीक हैं जिसके ज़रिए कॉल और डाटा सेवाएं प्रदान की जाती है.
जीएसएम युक्त फ़ोन्स की ख़ासियत ये होती है कि ये दुनियाभर में स्टैंडर्ड हैं. टेरेस्टेरियल जीएसएम नेटवर्क अब दुनियाभर की 90 फ़ीसदी आबादी तक पहुंचती है.

सीडीएमए

सीडीएमए यानी कोड डिविज़न मल्टीपल एक्सेस जीएसएम की तरह ही एक सेलुसर तकनीक है. दोनों तकनीकों के बीच असल फ़र्क़ इतना ही है कि दोनों अलग-अलग तरीक़े से डाटा प्रोसेस और ट्रांस्मिट करती है. सीडीएमए उत्तरी अमरीका जैसे देशों में काफ़ी लोकप्रिय है.

वॉयस एक्टिवेटेड डायलिंग

आप जिसे कॉल करना चाहते हैं उसका नाम फ़ोन के सामने पुकारकर कॉल लगाने की तकनीक को वॉयस डायलिंग कहते हैं. शर्त सिर्फ़ ये है कि जिनका नाम आप पुकारते हैं उनका नंबर फ़ोनबुक में सेव होना चाहिए. कार चलाने वाले लोगों के बीच ये तकनीक काफ़ी आम है.

वॉयसमेल

ये मोबाइल नेटवर्कों द्वारा दी जाने वाली एक सुविधा है जिसमें आपके कॉल ना उठा पाने की अवस्था में कॉलर का ऑडियो मैसेज रिकॉर्ड हो जाता है.

एयर टाइम

फ़ोन पर जितनी देर बातचीत होती है उसे एयर टाइम कहते हैं. मोबाइल कंपनियां अलग-अलग प्लानों में मिनट्स और सेकंड्स के आधार पर एयर टाइम निर्धारित करती है.

पे एस यू गो (Pay As You Go)

ये आम तौर पर प्रीपेड मोबाइल फ़ोन सर्विस को कहा जाता है. इस सेवा के तहत उपभोक्ता मोबाइल कंपनी को सेवाओं के बदले पहले ही पैसा दे देता है और यूज़र जितना उपयोग करता जाता है, उसके मोबाइल नंबर खाते से उतना पैसा कटता रहता है.

पीसी केबल

ये मोबाइल के साथ मिलने वाला वो तार होता है जिसके ज़रिए आप अपने मोबाइल फ़ोन को कंप्यूटर से कनेक्ट कर सकते हैं.

ब्लूटूथ

छोटी दूरी में डिवाइसों के बीच डाटा ट्रांकस्फ़डर के लिए उपयोग की जाने वाली वायरलेस तकनीक को ब्लूटूथ का नाम दिया गया.
आम तौर पर हम इसे हैंड्सफ्री डिवाइस के तौर पर भी जानते हैं जो फोन से कनेक्ट होकर कॉल करने में मदद करता है.

मल्टीमीडिया मैसेजिंग

मोबाइलों के बीच तस्वीरों, ऑडियो या वीडियो युक्त मैसेजेस के आदान प्रदान को मल्टीमीडिया मैसेजिंग कहते हैं.

डेस्कटॉप चार्जर

हमारे घरों, गाड़ियो और डेस्क पर आम तौर पर दिखने वाले मोबाइल चार्जरों को पारंपरिक तकनीकी लहजे में डेस्कटॉप चार्जर कहा जाता है.

पीक और ऑफ़-पीक

पीक उस समय को कहते हैं जब फ़ोन नेटवर्क सबसे ज़्यादा व्यस्त होते हैं, यानी दिन का सामान्य व्यापारिक समय. कई देशों में मोबाइल कंपनियां पीक टाइम पर कॉल रेट बढ़ा देती है. इसी तरह से ऑफ़-पीक वो समय होता है जब नेटवर्क व्यस्त न हो.

पॉलीफ़ोनिक रिंगटोन

ये शुरूआती दौर के मोबाइलों में प्रयोग होने वाला रिंगटोन है जिसमें 40 अलग अलग तरह म्यूज़िकल नोट्स का प्रयोग होता है.
कुछ साल पहले तक भारत में बॉलीवुड के गानों की धुनों पर पॉलिफ़ोनिक रिंगटोन बनाए जाने का चलन था.

सिम

सिम यानी की सब्स्क्राइबर आइडेंटिटी मॉड्यूल आम सिम कार्ड को कहते हैं. ये वो चिप होता है जिसके ज़रिए मोबाइल कंपनियों के सर्वर मोबाइल नंबर और यूज़र को पहचानते हैं.
सिम कार्ड में बेहद महत्वपूर्ण डाटा होता है जिसमें कॉल इंनकमिंग और आउटगोइंग का भी रिकॉर्ड होता है.

एसएमएस

शॉर्ट मैसेजिंग सर्विस सामान्य फ़ोन मैसेजिंग को कहते हैं. इसके ज़रिए एक फ़ोन से दूसरे तक टेक्स्ट संदेश भेजे जाते हैं. कुछ वर्ष पहले तक भारत में एसएमएस का प्रयोग इतना अधिक होता था कि त्योहारों में मोबाइल नेटवर्क ही बैठ जाते थे.
सरकारी नीतियां और व्हाट्सऐप जैसी सेवाएं एसएमएस के आदान प्रदान में कमी का कारण बनीं हैं.

स्टैंडबाई टाइम

बिना कॉल, एसएमएस या कोई अन्य उपयोग किए मोबाइल फोन की बैटरी जितनी देर चलती है उसे स्टैंडबाई टाइम कहते हैं.

टी9

मोबाइलों में पहले से ही शब्दकोश मौजूद होती है, ये इनपुट किए गए कैरेक्टर से शब्द का अंदाज़ा लगाने की कोशिश करती है.
इस सर्विस का उपयोग किए जाने से शब्द जल्दी टाइप भी हो जाते हैं और शाब्दिक गल्तियां होने की भी संभावनाए कम होती है.

गोरिल्ला ग्लास

आज कल टच स्क्रीन फ़ोन्स चलन में हैं और इसकी बड़ी डिसप्ले स्क्रीन होने की वजह से इसे खासा पसंद भी किया जाता है. लेकिन बड़ी सक्रीन स्क्रैच के खतरे को भी बढ़ाती हैं. गोरिल्ला ग्लास इसी समस्या से निजात दिलाने के लिए बनाई गई मज़बूत स्क्रीन को कहते हैं.
इस तकनीक से बने मोबाइल डिसप्ले स्क्रीनों पर जल्दी स्क्रैच नहीं लगते और ये जल्दी टूटते भी नहीं. लेकिन फिर भी ये सौ फ़ीसदी अनब्रेकेबल नहीं होते.

क्वेर्टी (QWERTY)

अंग्रेज़ी कीबोर्ड की सामान्य रूपरेखा और बटनों के निर्धारित क्रम को आम बोल-चाल की भाषा में क्वेर्टी बोलते हैं. दो-तीन साल पहले तक क्वेर्टी कीपैड वाले फ़ोन्स काफ़ी पसंद किए जाते थे.
मोबाइल निर्माता कंपनी ब्लैकबेरी की अधिकतर हैंडसेट्स क्वेर्टी कीपैड युक्त थी और यही इस कंपनी की ख़ासियत भी थी.

जीपीएस

जीपीएस यानी ग्लोबल पोज़ीशनिंग सिस्टम सैटेलाइट युक्त नेविगेशन सिस्टम को कहते हैं. आम तौर पर सभी नए स्मार्टफ़ोन्स में जीपीएस डाटा रिसीव करते की तकनीक मौजूद होती है.
जीपीएस के ज़रिए यूज़र मोबाइल पर रियलटाइम मैप, यूज़र की सटीक लोकेशन जैसी जानकारियां मिल सकती है.

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