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03 March 2018

जिन्हां दीयां गड्डियां ते लाल बत्तियां, ओह वी पीरा पहुंचे है दीदार तेरे नूं

ओढ़ां पीरखाना में धूमधाम व उत्साह से आयोजित हुआ वार्षिक दीवान
ओढ़ां
ओढ़ां में जलघर के निकट स्थित श्री पीरखाना में वार्षिक दीवान बड़ी धूमधाम व उत्साह के साथ मनाया गया। श्रद्धालुओं ने रातभर बाबा जी के दरबार में जयकारे लगाकर अपनी हाजरियां लगाई। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने पटाखों व आतिशबाजी से जहां दीवाली सा दृश्य प्रस्तुत किया तो वहीं समापन पर फूलों की होली खेली गई।

इस अवसर पर गद्दीनशीन बाबा सोहन लाल गर्ग की अध्यक्षता में जगा रामतीर्थ से अग्रवाल पीरखाना के गद्दीनशीन बाबा प्रेम कुमार गर्ग ने संगत से बाबा गेजूराम, धुनीके से पप्पू बाबा, पटियाला से प्रदीप मित्तल व किरण रानी, लुधियाना से नीटा बाबा व राजकुमार, मेहतेवाला से बाबा सुखा खान, पंचकूला से प्रवीण कुमार, बठिंडा से राकेश कुमार, ओढ़ां से बाबा सतीश गर्ग, प्रगट बाबा, पिरथी चंद गर्ग, कृष्ण लाल, लभुराम, रघुनाथ और मनोहर गर्ग सहित क्षेत्र भर के पीरखाना प्रमुखों की उपस्थिति में विधिवत पूजा अर्चना के साथ पीर बाबा लखदाता साहिब सखी सुल्तान (निगाहे वाले) व पीर बाबा हदर शेख मीरां साहिब जी मलेर कोटले वालों के वार्षिक दीवान का शुभारंभ किया। इससे पूर्व बाबा जी का अटूट लंगर बरताया गया। इस अवसर पर श्री पीरखाना चैरिटेबल ट्रस्ट ओढ़ां की ओर से गद्दीनशीन बाबा सोहनलाल गर्ग ने बाहर से आए पीरखाना प्रमुखों व बाबाओं को पगड़ी पहनाते हुए गुलदस्ते देकर तथा लंगर कमेटी के सेवादारों को पटके पहनाकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर ओढ़ां से लभुराम एंड पार्टी, आदनिया पंजाब से जस्सा एंड पार्टी और तरसेम एंड पार्टी, बहमण से सफरी रमदासिया एंड पार्टी, मांगेआना से गुरदीप एंड पार्टी और बाबर चोरमार सहित अन्य भजन गायकों ने बाबा जी का गुणगान किया। इस अवसर पर भजन गायकों ने ..जिन्हां दीयां गड्डियां ते लाल बत्तियां औह वी पीरा पहुंचे है दीदार तेरे नूं, लौने पैनगे पीरां दे दर गेड़े ते पुत्त भावें दो लै लीं, तूं मेरा बुलाया बोल बाबा बोलदा क्यों नी, उठ तड़के जाईये दर पीर करू मुरादां पूरियां, दर बचड़े उडीकदे तेरे सानू देजा दर्शन आणके, गद्दी बालेयां बुर्जुर्गां दे नाल अज्ज मैनू नच लैण दे, डोर तेरे ते दातेया छड्डी संगता दी भरके ल्यावां गड्डी तथा खड़ा हथ जोड़ मेरी सुणलै पुकार सहित अनेक भजनों से श्रद्धालुओं को पूरी रात बांधे रखा। इस दीवान में बठिंडा, डबवाली, संगत, मानसा, हनुमानगढ़, तपा, भुच्चो, सिरसा, संगरिया, पंचकूला, दिल्ली, लुधियाना, रतिया, कोटकपुरा, मोगा, जगरावां व मलोट सहित अन्य अनेक स्थानों से बाबा जी के हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। 

छायाचित्र: पीरखाना प्रमुखों को सम्मानित करते बाबा सोहनलाल गर्ग एवं बाबाजी को गुलाल लगाकर बधाई देते श्रद्धालु।

भाव के भूखे भगवन भक्त के पुकारने पर दौड़े चले आते हैं : विजयानंद गिरी

ओढ़ां की बाबा संतोखदास गऊशाला के श्री राधाकृष्ण मंदिर में दुर्लभ सत्संग
ओढ़ां
ओढ़ां की श्री श्री 108 बाबा संतोखदास गऊशाला में स्थित श्री राधाकृष्ण मंदिर परिसर में आयोजित दुर्लभ सत्संग के दौरान स्वामी विजयानंद गिरी ने सत्संग में सिरसा, ऐलनाबाद, बालासर, नुहियांवाली, ख्योवाली, तलवाड़ा और कालांवाली सहित अनेक गांवों से आए श्रद्धालुओं को होली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि अपने सभी राग द्वेष होली अलाव में दहन करके स्वयं को प्रभु प्रेम से सराबोर कर लो तो जीवन सफल हो जाए।
इस अवसर पर होली मिलन उत्सव भी आयोजित किया गया जिसमें सभी श्रद्धालुओं को तिलक लगाकर होली की शुभकामनाएं दी गई। प्रवचन प्रारंभ करते हुए स्वामी विजयानंद गिरी ने मानव के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान ने जगत की रचना भले ही जीव के लिए की हो लेकिन मानव की रचना अपने लिए की है क्योंकि जगत के सभी प्राणियों में एकमात्र मानव ही ऐसा दिव्य प्राणी है जो न केवल संसार की सेवा कर सकता है बल्कि भगवान की भूख को भी मिटा सकता है। भगवान की ये भूख किसी खाने वाली वस्तु की न होकर प्रेमभाव की भूख है जिसे कोई भक्त ही मिटा सकता है क्योंकि प्रेम का दान केवल मनूष्य कर सकता है तथा प्रेम का पान केवल भगवान। इसलिए जहां प्रेमभाव होता है प्रभु वहां दौड़े चले आते हैं। तभी तो कहते हैं कि 'हैं भाव के भूखे भगवन ये वेद बताते हैं जब भक्त पुकारे प्रेम से प्रभु दौड़े आते हैंÓ।
स्वामी जी ने कहा कि सुखी और दुखी होना मनुष्यपना नहीं बल्कि पशुपना है अत: अनुकूलता आने पर प्रसन्न होना तथा प्रतिकूलता आने पर व्यथित होना साधक को शोभा नहीं देता क्योंकि ऐसा करने वाला साधक परमानंद की प्राप्ति नहीं कर सकता। प्रेम सबके भीतर व्याप्त है लेकिन मनुष्य प्रभु से विमुख होकर संसार में उलझा हुआ है, यदि संसार से वैराग्य हो जाए तो प्रभु से ठीक वैसे ही अनुराग हो जाएगा जैसे पानी के बहाव को यदि एक ओर से बंद करके जाने से रोक दिया जाए तो पानी स्वत: ही दूसरी ओर आने लगता है। इस मौके पर पवन गर्ग, जोतराम शर्मा, मंदर सिंह सरां, अमर सिंह गोदारा, भूपसिंह मल्हान, महावीर गोदारा, विनोद गोयल, रामकुमार गोदारा, इंद्रसैन व सूरजभान कालांवाली, दलीप सोनी, राजेंद्र नेहरा व महेंद्र नुहियांवाली, मक्खन सिंह, अजयपाल, कालूराम, सतपाल, रिशव और रमेश कुमार सहित क्षेत्र के अनेक गांवों से महिला पुरूष श्रद्धालु मौजूद थे।

छायाचित्र: गऊशाला में आयोजित सत्संग में उपस्थित महिला श्रद्धालु।

मंदरसिंह ने गोसेवा करके जन्मदिन मनाया

ओढ़ां
माता हरकी देवी एजूकेशन सोसाइटी ओढ़ां के कोषाध्यक्ष मंदर सिंह सरां ने कथावाचक स्वामी विजयानंद गिरी के प्रवचनों से प्रभावित होकर अपना जन्मदिन गऊशाला में गोसेवा करके मनाया।
इस अवसर पर उन्होंने अपने हाथों से दलिया बनाकर गोवंश को खिलाते हुए बताया कि आगे से वे अपना हर जन्मदिन गोसेवा करके मनाएंगे क्योंकि ऐसा करने से उन्हें जो शांति और आत्मसंतुष्टि मिली है उसे केवल अनुभव किया जा सकता है। इस अवसर पर उन्होंने श्री राधाकृष्ण मंदिर में चल रहे दुर्लभ सत्संग में श्रद्धालुओं को बूंदी का प्रसाद वितरित किया। इस मौके पर उनके साथ रामकुमार गोदारा, जोतराम शर्मा, सुखदेव पोटलिया, नछतर पंडित, तेजाराम, राधाकृष्ण गोदारा और महावीर गोदारा सहित अनेक गोभक्त श्रद्धालु मौजूद थे।

छायाचित्र: ओढ़ां गऊशाला में गोवंश के लिए दलिया तैयार करते मंदर सिंह।