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03 March 2018

भाव के भूखे भगवन भक्त के पुकारने पर दौड़े चले आते हैं : विजयानंद गिरी

ओढ़ां की बाबा संतोखदास गऊशाला के श्री राधाकृष्ण मंदिर में दुर्लभ सत्संग
ओढ़ां
ओढ़ां की श्री श्री 108 बाबा संतोखदास गऊशाला में स्थित श्री राधाकृष्ण मंदिर परिसर में आयोजित दुर्लभ सत्संग के दौरान स्वामी विजयानंद गिरी ने सत्संग में सिरसा, ऐलनाबाद, बालासर, नुहियांवाली, ख्योवाली, तलवाड़ा और कालांवाली सहित अनेक गांवों से आए श्रद्धालुओं को होली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि अपने सभी राग द्वेष होली अलाव में दहन करके स्वयं को प्रभु प्रेम से सराबोर कर लो तो जीवन सफल हो जाए।
इस अवसर पर होली मिलन उत्सव भी आयोजित किया गया जिसमें सभी श्रद्धालुओं को तिलक लगाकर होली की शुभकामनाएं दी गई। प्रवचन प्रारंभ करते हुए स्वामी विजयानंद गिरी ने मानव के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान ने जगत की रचना भले ही जीव के लिए की हो लेकिन मानव की रचना अपने लिए की है क्योंकि जगत के सभी प्राणियों में एकमात्र मानव ही ऐसा दिव्य प्राणी है जो न केवल संसार की सेवा कर सकता है बल्कि भगवान की भूख को भी मिटा सकता है। भगवान की ये भूख किसी खाने वाली वस्तु की न होकर प्रेमभाव की भूख है जिसे कोई भक्त ही मिटा सकता है क्योंकि प्रेम का दान केवल मनूष्य कर सकता है तथा प्रेम का पान केवल भगवान। इसलिए जहां प्रेमभाव होता है प्रभु वहां दौड़े चले आते हैं। तभी तो कहते हैं कि 'हैं भाव के भूखे भगवन ये वेद बताते हैं जब भक्त पुकारे प्रेम से प्रभु दौड़े आते हैंÓ।
स्वामी जी ने कहा कि सुखी और दुखी होना मनुष्यपना नहीं बल्कि पशुपना है अत: अनुकूलता आने पर प्रसन्न होना तथा प्रतिकूलता आने पर व्यथित होना साधक को शोभा नहीं देता क्योंकि ऐसा करने वाला साधक परमानंद की प्राप्ति नहीं कर सकता। प्रेम सबके भीतर व्याप्त है लेकिन मनुष्य प्रभु से विमुख होकर संसार में उलझा हुआ है, यदि संसार से वैराग्य हो जाए तो प्रभु से ठीक वैसे ही अनुराग हो जाएगा जैसे पानी के बहाव को यदि एक ओर से बंद करके जाने से रोक दिया जाए तो पानी स्वत: ही दूसरी ओर आने लगता है। इस मौके पर पवन गर्ग, जोतराम शर्मा, मंदर सिंह सरां, अमर सिंह गोदारा, भूपसिंह मल्हान, महावीर गोदारा, विनोद गोयल, रामकुमार गोदारा, इंद्रसैन व सूरजभान कालांवाली, दलीप सोनी, राजेंद्र नेहरा व महेंद्र नुहियांवाली, मक्खन सिंह, अजयपाल, कालूराम, सतपाल, रिशव और रमेश कुमार सहित क्षेत्र के अनेक गांवों से महिला पुरूष श्रद्धालु मौजूद थे।

छायाचित्र: गऊशाला में आयोजित सत्संग में उपस्थित महिला श्रद्धालु।

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