हिन्दी
मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
हिन्दी | ||||
---|---|---|---|---|
हिन्दी, हिंदी | ||||
बोली जाती है | भारत एवं पाकिस्तान (हिन्दुस्तानी) | |||
कुल बोलने वाले | प्रथम भाषा: ~ ४९ करोड़ (२००८)[1] द्वितीय भाषा: १२-२२.५ करोड़ (१९९९)[2] | |||
श्रेणी | 2 [निवासी] | |||
भाषा परिवार | हिन्द-यूरोपीय
| |||
लेखन प्रणाली | देवनागरी (मुख्यतः), कैथी, लातिन, एवँ विभिन्न क्षेत्रीय लिपियाँ | |||
आधिकारिक स्तर | ||||
आधिकारिक भाषा घोषित | भारत (मानक हिन्दी, उर्दू, मैथिली) फ़िजी (हिन्दुस्तानी) | |||
नियामक | केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय (भारत),[4] | |||
भाषा कूट | ||||
ISO 639-1 | hi | |||
ISO 639-2 | hin | |||
ISO 639-3 | hin | |||
| ||||
|
- हिन्दी का प्रवेशद्वार भी देखें: प्रवेशद्वार:हिन्दी
हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जानेवाली भाषा है। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है।
हिन्दी और इसकी बोलियाँ उत्तर एवं मध्य भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं । भारत और अन्य देशों में ६० करोड़ से अधिक लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना,सूरीनाम की अधिकतर और नेपाल की कुछ जनता हिन्दी बोलती है।
हिन्दी राष्ट्रभाषा, राजभाषा, सम्पर्क भाषा, जनभाषा के सोपानों को पार कर विश्वभाषा बनने की ओर अग्रसर है। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी।
- 1 हिन्दी शब्द की व्युत्पत्ति
- 2 हिन्दी एवं उर्दू
- 3 परिवार
- 4 हिन्दी का निर्माण-काल
- 5 इतिहास क्रम
- 6 हिन्दी की विशेषताएँ एवं शक्ति
- 7 हिन्दी का मानकीकरण
- 8 हिन्दी की शैलियाँ
- 9 हिन्दी की बोलियाँ
- 10 शब्दावली
- 11 स्वर शास्त्र
- 12 भारत की राजभाषा के रूप में हिन्दी
- 13 हिन्दी की गिनती
- 14 व्याकरण
- 15 हिन्दी और कम्प्यूटर
- 16 हिन्दी और जनसंचार
- 17 हिन्दी का वैश्विक प्रसार
- 18 संदर्भ
- 19 इन्हें भी देखें
- 20 बाहरी कड़ियाँ
हिन्दी शब्द की व्युत्पत्ति
हिन्दी शब्द का सम्बन्ध संस्कृत शब्द सिन्धु से माना जाता है। 'सिन्धु' सिन्ध नदी को कहते थे ओर उसी आधार पर उसके आस-पास की भूमि को सिन्धु कहने लगे। यह सिन्धु शब्द ईरानी में जाकर ‘हिन्दू’, हिन्दी और फिर ‘हिन्द’ हो गया। बाद में ईरानी धीरे-धीरे भारत के अधिक भागों से परिचित होते गए और इस शब्द के अर्थ में विस्तार होता गया तथा हिन्द शब्द पूरे भारत का वाचक हो गया। इसी में ईरानी का ईक प्रत्यय लगने से (हिन्द ईक) ‘हिन्दीक’ बना जिसका अर्थ है ‘हिन्द का’। यूनानी शब्द ‘इन्दिका’ या अंग्रेजी शब्द ‘इण्डिया’ आदि इस ‘हिन्दीक’ के ही विकसित रूप हैं। हिन्दी भाषा के लिए इस शब्द का प्राचीनतम प्रयोग शरफुद्दीन यज्+दी’ के ‘जफरनामा’(१४२४) में मिलता है।
प्रोफ़ेसर महावीर सरन जैन ने अपने " हिन्दी एवं उर्दू का अद्वैत " शीर्षक आलेख में हिन्दी की व्युत्पत्ति पर विचार करते हुए कहा है कि ईरान की प्राचीन भाषा अवेस्ता में 'स्' ध्वनि नहीं बोली जाती थी। 'स्' को 'ह्' रूप में बोला जाता था। जैसे संस्कृत के 'असुर' शब्द को वहाँ 'अहुर' कहा जाता था। अफ़ग़ानिस्तान के बाद सिन्धु नदी के इस पार हिन्दुस्तान के पूरे इलाके को प्राचीन फ़ारसी साहित्य में भी 'हिन्द', 'हिन्दुश' के नामों से पुकारा गया है तथा यहाँ की किसी भी वस्तु, भाषा, विचार को 'एडजेक्टिव' के रूप में 'हिन्दीक' कहा गया है जिसका मतलब है 'हिन्द का'। यही 'हिन्दीक' शब्द अरबी से होता हुआ ग्रीक में 'इन्दिके', 'इन्दिका', लैटिन में 'इन्दिया' तथा अंग्रेज़ी में 'इण्डिया' बन गया। अरबी एवँ फ़ारसी साहित्य में हिन्दी में बोली जाने वाली भाषाओं के लिए 'ज़बान-ए-हिन्दी', पद का उपयोग हुआ है। भारत आने के बाद मुसलमानों ने 'ज़बान-ए-हिन्दी', 'हिन्दी जुबान' अथवा 'हिन्दी' का प्रयोग दिल्ली-आगरा के चारों ओर बोली जाने वाली भाषा के अर्थ में किया। भारत के गैर-मुस्लिम लोग तो इस क्षेत्र में बोले जाने वाले भाषा-रूप को 'भाखा' नाम से पुकराते थे, 'हिन्दी' नाम से नहीं।
प्रोफ़ेसर महावीर सरन जैन ने अपने " हिन्दी एवं उर्दू का अद्वैत " शीर्षक आलेख में हिन्दी की व्युत्पत्ति पर विचार करते हुए कहा है कि ईरान की प्राचीन भाषा अवेस्ता में 'स्' ध्वनि नहीं बोली जाती थी। 'स्' को 'ह्' रूप में बोला जाता था। जैसे संस्कृत के 'असुर' शब्द को वहाँ 'अहुर' कहा जाता था। अफ़ग़ानिस्तान के बाद सिन्धु नदी के इस पार हिन्दुस्तान के पूरे इलाके को प्राचीन फ़ारसी साहित्य में भी 'हिन्द', 'हिन्दुश' के नामों से पुकारा गया है तथा यहाँ की किसी भी वस्तु, भाषा, विचार को 'एडजेक्टिव' के रूप में 'हिन्दीक' कहा गया है जिसका मतलब है 'हिन्द का'। यही 'हिन्दीक' शब्द अरबी से होता हुआ ग्रीक में 'इन्दिके', 'इन्दिका', लैटिन में 'इन्दिया' तथा अंग्रेज़ी में 'इण्डिया' बन गया। अरबी एवँ फ़ारसी साहित्य में हिन्दी में बोली जाने वाली भाषाओं के लिए 'ज़बान-ए-हिन्दी', पद का उपयोग हुआ है। भारत आने के बाद मुसलमानों ने 'ज़बान-ए-हिन्दी', 'हिन्दी जुबान' अथवा 'हिन्दी' का प्रयोग दिल्ली-आगरा के चारों ओर बोली जाने वाली भाषा के अर्थ में किया। भारत के गैर-मुस्लिम लोग तो इस क्षेत्र में बोले जाने वाले भाषा-रूप को 'भाखा' नाम से पुकराते थे, 'हिन्दी' नाम से नहीं।
हिन्दी एवं उर्दू
मुख्य लेख : हिन्दी एवं उर्दू
भाषाविद हिन्दी एवं उर्दू को एक ही भाषा समझते हैं । हिन्दी देवनागरी लिपि में लिखी जाती है और शब्दावली के स्तर पर अधिकांशत: संस्कृत के शब्दों का प्रयोग करती है । उर्दू, फ़ारसी लिपि में लिखी जाती है और शब्दावली के स्तर पर उस पर फ़ारसी और अरबी भाषाओं का प्रभाव अधिक है। व्याकरणिक रुप से उर्दू और हिन्दी में लगभग शत-प्रतिशत समानता है - केवल कुछ विशेष क्षेत्रों में शब्दावली के स्त्रोत (जैसा कि ऊपर लिखा गया है) में अंतर होता है। कुछ विशेष ध्वनियाँ उर्दू में अरबी और फ़ारसी से ली गयी हैं और इसी प्रकार फ़ारसी और अरबी की कुछ विशेष व्याकरणिक संरचना भी प्रयोग की जाती है। उर्दू और हिन्दी को खड़ी बोली की दो शैलियाँ कहा जा सकता है।
परिवार
हिन्दी हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार परिवार के अन्दर आती है । ये हिन्द ईरानी शाखा की हिन्द आर्य उपशाखा के अन्तर्गत वर्गीकृत है। हिन्द-आर्य भाषाएँ वो भाषाएँ हैं जोसंस्कृत से उत्पन्न हुई हैं। उर्दू, कश्मीरी, बंगाली, उड़िया, पंजाबी, रोमानी, मराठी नेपाली जैसी भाषाएँ भी हिन्द-आर्य भाषाएँ हैं।
हिन्दी का निर्माण-काल
अपभ्रंश की समाप्ति और आधुनिक भारतीय भाषाओं के जन्मकाल के समय को संक्रांतिकाल कहा जा सकता है। हिन्दी का स्वरूप शौरसेनी और अर्धमागधी अपभ्रंशों से विकसित हुआ है। १००० ई. के आसपास इसकी स्वतंत्र सत्ता का परिचय मिलने लगा था, जब अपभ्रंश भाषाएँ साहित्यिक संदर्भों में प्रयोग में आ रही थीं। यही भाषाएँ बाद में विकसित होकर आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं के रूप में अभिहित हुईं। अपभ्रंश का जो भी कथ्य रुप था - वही आधुनिक बोलियों में विकसित हुआ।
अपभ्रंश के सम्बंध में ‘देशी’ शब्द की भी बहुधा चर्चा की जाती है। वास्तव में ‘देशी’ से देशी शब्द एवं देशी भाषा दोनों का बोध होता है। प्रश्न यह कि देशीय शब्द किस भाषा के थे ? भरत मुनि ने नाट्यशास्त्र में उन शब्दों को ‘देशी’ कहा है ‘जो संस्कृत के तत्सम एवं सद्भव रूपों से भिन्न हैं। ये ‘देशी’ शब्द जनभाषा के प्रचलित शब्द थे, जो स्वभावतया अप्रभंश में भी चले आए थे। जनभाषा व्याकरण के नियमों का अनुसरण नहीं करती, परंतु व्याकरण को जनभाषा की प्रवृत्तियों का विश्लेषण करना पड़ता है, प्राकृत-व्याकरणों ने संस्कृत के ढाँचे पर व्याकरण लिखे और संस्कृत को ही प्राकृत आदि की प्रकृति माना। अतः जो शब्द उनके नियमों की पकड़ में न आ सके, उनको देशी संज्ञा दी गई।
इतिहास क्रम
मुख्य लेख : हिन्दी भाषा का इतिहास
हिन्दी की विशेषताएँ एवं शक्ति
हिंदी भाषा के उज्ज्वल स्वरूप का भान कराने के लिए यह आवश्यक है कि उसकी गुणवत्ता, क्षमता, शिल्प-कौशल और सौंदर्य का सही-सही आकलन किया जाए। यदि ऐसा किया जा सके तो सहज ही सब की समझ में यह आ जाएगा कि -
- संसार की उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है
- वह सबसे अधिक सरल भाषा है
- वह सबसे अधिक लचीली भाषा है
- वह एक मात्र ऐसी भाषा है जिसके अधिकतर नियम अपवादविहीन हैं तथा
- वह सच्चे अर्थों में विश्व भाषा बनने की पूर्ण अधिकारी है
- हिन्दी लिखने के लिये प्रयुक्त देवनागरी लिपि अत्यन्त वैज्ञानिक है।
- हिन्दी को संस्कृत शब्दसंपदा एवं नवीन शब्दरचनासामर्थ्य विरासत में मिली है। वह देशी भाषाओं एवं अपनी बोलियों आदि से शब्द लेने में संकोच नहीं करती। अंग्रेजी के मूल शब्द लगभग १०,००० हैं, जबकि हिन्दी के मूल शब्दों की संख्या ढाई लाख से भी अधिक है।
- हिन्दी बोलने एवं समझने वाली जनता पचास करोड़ से भी अधिक है।
- हिन्दी का साहित्य सभी दृष्टियों से समृद्ध है।
- हिन्दी आम जनता से जुड़ी भाषा है तथा आम जनता हिन्दी से जुड़ी हुई है। हिन्दी कभी राजाश्रय की मुहताज नहीं रही।
- भारत के स्वतंत्रता-संग्राम की वाहिका और वर्तमान में देशप्रेम का अमूर्त-वाहन
- भारत की सम्पर्क भाषा
- भारत की राजभाषा
हिन्दी के विकास की अन्य विशेषताएँ
- हिन्दी पत्रकारिता का आरम्भ भारत के उन क्षेत्रों से हुआ जो हिन्दी-भाषी नहीं थे/हैं (कोलकाता, लाहौर आदि।
- हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का आन्दोलन अहिन्दी भाषियों ( महात्मा गांधी, दयानन्द सरस्वती आदि) ने आरम्भ किया।
- हिन्दी पत्रकारिता की कहानी भारतीय राष्ट्रीयता की कहानी है।
- हिन्दी के विकास में राजाश्रय का कोई स्थान नहीं है; इसके विपरीत, हिन्दी का सबसे तेज विकास उस दौर में हुआ जब हिन्दी अंग्रेजी-शासन का मुखर विरोध कर रही थी। जब-जब हिन्दी पर दबाव पड़ा, वह अधिक शक्तिशाली होकर उभरी है।
- जब बंगाल, उड़ीसा, गुजरात तथा महाराष्ट्र में उनकी अपनी भाषाएँ राजकाज तथा न्यायालयों की भाषा बन चुकी थी उस समय भी संयुक्त प्रान्त (वर्तमान उत्तर प्रदेश) की भाषा हिन्दुस्तानी थी (और उर्दू को ही हिन्दुस्तानी माना जाता था जो फारसी लिपि में लिखी जाती थी)।
- १९वीं शताब्दी तक उत्तर प्रदेश की राजभाषा के रूप में हिन्दी का कोई स्थान नहीं था। परन्तु २० वीं सदी के मध्यकाल तक वह भारत की राष्ट्रभाषा बन गई।
- हिन्दी के विकास में पहले साधु-संत एवं धार्मिक नेताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उसके बाद हिन्दी पत्रकारिता एवं स्वतंत्रता संग्राम से बहुत मदद मिली; फिर बंबइया फिल्मों से सहायता मिली और अब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (टीवी) के कारण हिन्दी समझने-बोलने वालों की संख्या में बहुत अधिक वृद्धि हुई है।
हिन्दी का मानकीकरण
मुख्य लेख : हिन्दी वर्तनी मानकीकरण
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से हिन्दी और देवनागरी के मानकीकरण की दिशा में निम्नलिखित क्षेत्रों में प्रयास हुये हैं :-
- हिन्दी व्याकरण का मानकीकरण
- वर्तनी का मानकीकरण
- शिक्षा मंत्रालय के निर्देश पर केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय द्वारा देवनागरी का मानकीकरण
- वैज्ञानिक ढंग से देवनागरी लिखने के लिये एकरूपता के प्रयास
- यूनिकोड का विकास
हिन्दी की शैलियाँ
भाषाविदों के अनुसार हिन्दी के चार प्रमुख रूप या शैलियाँ हैं :
(१) उच्च हिन्दी - हिन्दी का मानकीकृत रूप, जिसकी लिपि देवनागरी है। इसमें संस्कृत भाषा के कई शब्द है, जिन्होंने फ़ारसी और अरबी के कई शब्दों की जगह ले ली है। इसे शुद्ध हिन्दी भी कहते हैं। आजकल इसमें अंग्रेज़ी के भी कई शब्द आ गये हैं (ख़ास तौर पर बोलचाल की भाषा में)। यह खड़ीबोली पर आधारित है, जो दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्रों में बोली जाती थी।
(२) दक्खिनी - हिन्दी का वह रूप जो हैदराबाद और उसके आसपास की जगहों में बोला जाता है। इसमें फ़ारसी-अरबी के शब्द उर्दू की अपेक्षा कम होते हैं।
(४) उर्दू - हिन्दी का वह रूप जो देवनागरी लिपि के बजाय फ़ारसी-अरबी लिपि में लिखा जाता है। इसमें संस्कृत के शब्द कम होते हैं,और फ़ारसी-अरबी के शब्द अधिक। यह भी खड़ीबोली पर ही आधारित है।
हिन्दी और उर्दू दोनों को मिलाकर हिन्दुस्तानी भाषा कहा जाता है । हिन्दुस्तानी मानकीकृत हिन्दी और मानकीकृत उर्दू के बोलचाल की भाषा है । इसमें शुद्ध संस्कृत और शुद्ध फ़ारसी-अरबी दोनों के शब्द कम होते हैं और तद्भव शब्द अधिक । उच्च हिन्दी भारतीय संघ की राजभाषा है (अनुच्छेद ३४३, भारतीय संविधान) । यह इन भारयीय राज्यों की भी राजभाषा है : उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तरांचल, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा, और दिल्ली। इन राज्यों के अतिरिक्तमहाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, पंजाब, और हिन्दी भाषी राज्यों से लगते अन्य राज्यों में भी हिन्दी बोलने वालों की अच्छी संख्या है। उर्दू पाकिस्तान की और भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर की राजभाषा है । यह लगभग सभी ऐसे राज्यों की सह-राजभाषा है; जिनकी मुख्य राजभाषा हिन्दी है । दुर्भाग्यवश हिन्दुस्तानी को कहीं भी संवैधानिक दर्जा नहीं मिला हुआ है ।
हिन्दी की बोलियाँ
शब्दावली
हिन्दी शब्दावली में मुख्यतः दो वर्ग हैं-
- तत्सम शब्द- ये वो शब्द हैं जिनको संस्कृत से बिना कोई रूप बदले ले लिया गया है। जैसे अग्नि, दुग्ध दन्त , मुख ।
- तद्भव शब्द- ये वो शब्द हैं जिनका जन्म संस्कृत या प्राकृत में हुआ था, लेकिन उनमें काफ़ी ऐतिहासिक बदलाव आया है। जैसे-- आग, दूध, दाँत , मुँह ।
इसके अतिरिक्त हिन्दी में कुछ देशज शब्द भी प्रयुक्त होते हैं। देशज का अर्थ है - 'जो देश में ही उपजा या बना हो' । जो न तो विदेशी हो और न किसी दूसरी भाषा के शब्द से बना है। ऐसा शब्द जो न संस्कृत हो, न संस्कृत का अपभ्रंश हो और न किसी दूसरी भाषा के शब्द से बना हो, बल्कि किसी प्रदेश के लोगों ने बोल-चाल में जों ही बना लिया हो। जैसे- खटिया, लुटिया
इसके अलावा हिन्दी में कई शब्द अरबी, फ़ारसी, तुर्की, अंग्रेज़ी आदि से भी आये हैं। इन्हें विदेशी शब्द कह सकते हैं।
जिस हिन्दी में अरबी, फ़ारसी और अंग्रेज़ी के शब्द लगभग पूरी तरह से हटा कर तत्सम शब्दों को ही प्रयोग में लाया जाता है, उसे "शुद्ध हिन्दी" कहते हैं ।
स्वर शास्त्र
विस्तृत लेख - हिंदी स्वरविज्ञान
देवनागरी लिपि में हिन्दी की ध्वनियाँ इस प्रकार हैं :
स्वर
ये स्वर आधुनिक हिन्दी (खड़ीबोली) के लिये दिये गये हैं ।
वर्णाक्षर | “प” के साथ मात्रा | आईपीएउच्चारण | "प्" के साथ उच्चारण | IASTसमतुल्य | अंग्रेज़ी समतुल्य | हिन्दी में वर्णन |
---|---|---|---|---|---|---|
अ | प | / ə / | / pə / | a | short or long en:Schwa: as the a in above or ago | बीच का मध्य प्रसृत स्वर |
आ | पा | / α: / | / pα: / | ā | long en:Open back unrounded vowel: as the a in father | दीर्घ विवृत पश्व प्रसृत स्वर |
इ | पि | / i / | / pi / | i | short en:close front unrounded vowel: as i in bit | ह्रस्व संवृत अग्र प्रसृत स्वर |
ई | पी | / i: / | / pi: / | ī | long en:close front unrounded vowel: as i in machine | दीर्घ संवृत अग्र प्रसृत स्वर |
उ | पु | / u / | / pu / | u | short en:close back rounded vowel: as u in put | ह्रस्व संवृत पश्व वर्तुल स्वर |
ऊ | पू | / u: / | / pu: / | ū | long en:close back rounded vowel: as oo in school | दीर्घ संवृत पश्व वर्तुल स्वर |
ए | पे | / e: / | / pe: / | e | long en:close-mid front unrounded vowel: as a in game (not a diphthong) | दीर्घ अर्धसंवृत अग्र प्रसृत स्वर |
ऐ | पै | / æ: / | / pæ: / | ai | long en:near-open front unrounded vowel: as a in cat | दीर्घ लगभग-विवृत अग्र प्रसृत स्वर |
ओ | पो | / ο: / | / pο: / | o | long en:close-mid back rounded vowel: as o in tone (not a diphthong) | दीर्घ अर्धसंवृत पश्व वर्तुल स्वर |
औ | पौ | / ɔ: / | / pɔ: / | au | long en:open-mid back rounded vowel: as au in caught | दीर्घ अर्धविवृत पश्व वर्तुल स्वर |
<none> | <none> | / ɛ / | / pɛ / | <none> | short en:open-mid front unrounded vowel: as e in get | ह्रस्व अर्धविवृत अग्र प्रसृत स्वर |
इसके अलावा हिन्दी और संस्कृत में ये वर्णाक्षर भी स्वर माने जाते हैं :
- ऋ -- आधुनिक हिन्दी में "रि" की तरह
- अं -- पंचचम वर्ण - न्, म्, ङ्, ञ्, ण् के लिए या स्वर का नासिकीकरण करने के लिए (अनुस्वार)
- अँ -- स्वर का अनुनासिकीकरण करने के लिए (चन्द्रबिन्दु)
- अः -- अघोष "ह्" (निःश्वास) के लिए (विसर्ग)
व्यंजन
जब किसी स्वर प्रयोग नहीं हो, तो वहाँ पर 'अ' माना जाता है । स्वर के न होने को हलन्त् अथवा विराम से दर्शाया जाता है । जैसे क् ख् ग् घ् ।
स्पर्श (Plosives) | |||||
अल्पप्राण अघोष | महाप्राण अघोष | अल्पप्राण घोष | महाप्राण घोष | नासिक्य | |
---|---|---|---|---|---|
कण्ठ्य | क / kə / k; अंग्रेजी: skip | ख / khə / kh; अंग्रेजी: cat | ग / gə / g; अंग्रेजी: game | घ / gɦə / gh; Aspirated /g/ | ङ / ŋə / n; अंग्रेजी: ring |
तालव्य | च / cə / or / tʃə / ch; अंग्रेजी: chat | छ / chə / or /tʃhə/ chh; Aspirated /c/ | ज / ɟə / or / dʒə / j; अंग्रेजी: jam | झ / ɟɦə / or / dʒɦə / jh; Aspirated /ɟ/ | ञ / ɲə / n; अंग्रेजी: finch |
मूर्धन्य | ट / ʈə / t; अमेरिकी अं.: hurting | ठ / ʈhə / th; Aspirated /ʈ/ | ड / ɖə / d; अमेरिकी अं.: murder | ढ / ɖɦə / dh; Aspirated /ɖ/ | ण / ɳə / n; अमेरिकी अं.: hunter |
दन्त्य | त / t̪ə / t; Spanish: tomate | थ / t̪hə / th; Aspirated /t̪/ | द / d̪ə / d; Spanish: donde | ध / d̪ɦə / dh; Aspirated /d̪/ | न / nə / n; अंग्रेजी: name |
ओष्ठ्य | प / pə / p; अंग्रेजी: spin | फ / phə / ph; अंग्रेजी: pit | ब / bə / b; अंग्रेजी: bone | भ / bɦə / bh; Aspirated /b/ | म / mə / m; अंग्रेजी: mine |
स्पर्शरहित (Non-Plosives) | ||||
तालव्य | मूर्धन्य | दन्त्य/ वर्त्स्य | कण्ठोष्ठ्य/ काकल्य | |
---|---|---|---|---|
अन्तस्थ | य / jə / y; अंग्रेजी: you | र / rə / r; Scottish Eng: trip | ल / lə / l; अंग्रेजी: love | व / ʋə / v; अंग्रेजी: vase |
ऊष्म/ संघर्षी | श / ʃə / sh; अंग्रेजी: ship | ष / ʂə / sh; Retroflex /ʃ/ | स / sə / s; अंग्रेजी: same | ह / ɦə / or / hə / h; अंग्रेजी home |
- ध्यातव्य
- इनमें से ळ (मूर्धन्य पार्विक अन्तस्थ) एक अतिरिक्त वयंजन है जिसका प्रयोग हिन्दी में नहीं होता है। मराठी और वैदिक संस्कृत में सभी का प्रयोग किया जाता है ।
- संस्कृत में ष का उच्चारण ऐसे होता था : जीभ की नोक को मूर्धा (मुँह की छत) की ओर उठाकर श जैसी आवाज़ करना । शुक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिनि शाखा में कुछ वाक़्यात में ष का उच्चारण ख की तरह करना मान्य था । आधुनिक हिन्दी में ष का उच्चारण पूरी तरह श की तरह होता है ।
- हिन्दी में ण का उच्चारण कभी-कभी ड़ँ की तरह होता है, यानी कि जीभ मुँह की छत को एक ज़ोरदार ठोकर मारती है । परन्तु इसका शुद्ध उच्चारण जिह्वा को मूर्धा (मुँह की छत. जहाँ से 'ट' का उच्चार करते हैं) पर लगा कर न की तरह का अनुनासिक स्वर निकालकर होता है।
नुक़्तायुक्त ध्वनियाँ
ये ध्वनियाँ मुख्यत: अरबी और फ़ारसी भाषाओं से उधार ली गयी हैं। इनका स्रोत संस्कृत नहीं है। देवनागरी लिपि में ये सबसे क़रीबी संस्कृत के वर्णाक्षर के नीचे नुक़्ता(बिन्दु) लगाकर लिखे जाते हैं किन्तु आजकल हिन्दी में नुक्ता लगाने की प्रथा को लोग अनावश्यक मानने लगे हैं और ऐसा माना जाने लगा है कि नुक्ते का प्रयोग केवल तब किया जाय जब अरबी/उर्दू/फारसी वाले अपनी भाषा को देवनागरी में लिखना चाहते हों।
वर्णाक्षर (आईपीए उच्चारण) | उदाहरण | वर्णन | अंग्रेज़ी में वर्णन | ग़लत उच्चारण |
क़ (/ q /) | क़त्ल | अघोष अलिजिह्वीय स्पर्श | Voiceless uvular stop | क (/ k /) |
ख़ (/ x or χ /) | ख़ास | अघोष अलिजिह्वीय या कण्ठ्य संघर्षी | Voiceless uvular or velar fricative | ख (/ kh /) |
ग़ (/ ɣ or ʁ /) | ग़ैर | घोष अलिजिह्वीय या कण्ठ्य संघर्षी | Voiced uvular or velar fricative | ग (/ g /) |
फ़ (/ f /) | फ़र्क | अघोष दन्त्यौष्ठ्य संघर्षी | Voiceless labio-dental fricative | फ (/ ph /) |
ज़ (/ z /) | ज़ालिम | घोष वर्त्स्य संघर्षी | Voiced alveolar fricative | ज (/ dʒ /) |
ड़ (/ ɽ /) | पेड़ | अल्पप्राण मूर्धन्य उत्क्षिप्त | Unaspirated retroflex flap | ड (/ ɖ /) |
ढ़ (/ ɽh /) | पढ़ना | महाप्राण मूर्धन्य उत्क्षिप्त | Aspirated retroflex flap | ढ (/ ɖʱ /) |
हिन्दी में ड़ और ढ़ व्यंजन फ़ारसी या अरबी से नहीं लिये गये हैं, न ही ये संस्कृत में पाये जाये हैं। वास्तव में ये संस्कृत के साधारण ड, "ळ" और ढ के बदले हुए रूप हैं।
भारत की राजभाषा के रूप में हिन्दी
देवनागरी लिपी में लिखित हिन्दी भारत की प्रथम राजभाषा है। भारतीय संविधान में इससे सम्बन्धित प्राविधानों की जानकारी के लिये विस्तृत लेख भारत की राजभाषा के रूप में हिन्दी देखेँ।
हिन्दी की गिनती
हिन्दी की गिनती दशमलव पर आधारित है।
हिन्दी अंक :- १ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ ०
व्याकरण
देखिये हिन्दी व्याकरण
हिंदी मे दो लिंग होते हैं - पुल्लिंग और स्त्रीलिंग। संज्ञा में तीन शब्द-रूप हो सकते हैं -- प्रत्यक्ष रूप, अप्रत्यक्ष रूप और संबोधन रूप। सर्वनाम में कर्म रूप और सम्बन्ध रूप भी होते हैं, पर सम्बोधन रूप नहीं होता। संज्ञा और आ-कारन्त विशेषण में प्रत्यय द्वारा रूप बदला जाता है। सर्वनाम में लिंग-भेद नहीं होता। क्रिया के भी कई रूप होते हैं, जो प्रत्यय और सहायक क्रियाओं द्वारा बदले जाते हैं। क्रिया के रूप से उसके विषय संज्ञा या सर्वनाम के लिंग और वचन का भी पता चल जात है। हिन्दी में दो वचन होते हैं-- एकवचन और बहुवचन । किसी शब्द की वाक्य में जगह बताने के लिये कई कारक होते हैं, जो शब्द के बाद आते हैं (postpositions)। यदि संज्ञा को कारक के साथ ठीक से रखा जाये तो वाक्य में शब्द-क्रम काफ़ी मुक्त होता है।
हिन्दी और कम्प्यूटर
विस्तृत विवरण के लिये देखें -
- हिन्दी कम्प्यूटरी
- हिन्दी टाइपिंग
- कम्प्यूटर और हिन्दी
- हिन्दी कम्प्यूटिंग का इतिहास
- मोबाइल फोन में हिन्दी समर्थन
- अन्तरजाल पर हिन्दी के उपकरण (सॉफ्टवेयर)
कम्प्यूटर और इन्टरनेट ने पिछ्ले वर्षों मे विश्व मे सूचना क्रांति ला दी है । आज कोई भी भाषा कम्प्यूटर (तथा कम्प्यूटर सदृश अन्य उपकरणों) से दूर रहकर लोगों से जुड़ी नही रह सकती। कम्प्यूटर के विकास के आरम्भिक काल में अंग्रेजी को छोडकर विश्व की अन्य भाषाओं के कम्प्यूटर पर प्रयोग की दिशा में बहुत कम ध्यान दिया गया जिससे कारण सामान्य लोगों में यह गलत धारणा फैल गयी कि कम्प्यूटर अंग्रेजी के सिवा किसी दूसरी भाषा(लिपि) में काम ही नही कर सकता। किन्तु यूनिकोड(Unicode) के पदार्पण के बाद स्थिति बहुत तेजी से बदल गयी।
इस समय हिन्दी में सजाल (websites), चिट्ठे (Blogs), विपत्र (email), गपशप (chat), खोज (web-search), सरल मोबाइल सन्देश (SMS) तथा अन्य हिन्दी सामग्री उपलब्ध हैं। इस समय अन्तरजाल पर हिन्दी में संगणन के संसाधनों की भी भरमार है और नित नये कम्प्यूटिंग उपकरण आते जा रहे हैं। लोगों मे इनके बारे में जानकारी देकर जागरूकता पैदा करने की जरूरत है ताकि अधिकाधिक लोग कम्प्यूटर पर हिन्दी का प्रयोग करते हुए अपना, हिन्दी का और पूरे हिन्दी समाज का विकास करें।
इस समय हिन्दी में सजाल (websites), चिट्ठे (Blogs), विपत्र (email), गपशप (chat), खोज (web-search), सरल मोबाइल सन्देश (SMS) तथा अन्य हिन्दी सामग्री उपलब्ध हैं। इस समय अन्तरजाल पर हिन्दी में संगणन के संसाधनों की भी भरमार है और नित नये कम्प्यूटिंग उपकरण आते जा रहे हैं। लोगों मे इनके बारे में जानकारी देकर जागरूकता पैदा करने की जरूरत है ताकि अधिकाधिक लोग कम्प्यूटर पर हिन्दी का प्रयोग करते हुए अपना, हिन्दी का और पूरे हिन्दी समाज का विकास करें।
हिन्दी और जनसंचार
विस्तृत विवरण के लिये देखें:
- हिन्दी के संचार माध्यम (हिन्दी मीडिया)
- हिन्दी सिनेमा
हिन्दी सिनेमा का उल्लेख किये बिना हिन्दी का कोई भी लेख अधूरा होगा। मुम्बई मे स्थित "बॉलीवुड" हिन्दी फ़िल्म उद्योग पर भारत के करोड़ो लोगों की धड़कनें टिकी रहती हैं। हर चलचित्र में कई गाने होते हैं । हिन्दी और उर्दू (खड़ीबोली) के साथ साथ अवधी, बम्बइया हिन्दी, भोजपुरी, राजस्थानी जैसी बोलियाँ भी संवाद और गानों मे उपयुक्त होती हैं । प्यार, देशभक्ति, परिवार, अपराध, भय, इत्यादि मुख्य विषय होते हैं । अधिकतर गाने उर्दू शायरी पर आधारित होते हैं । कुछ लोकप्रिय चलचित्र हैं: महल (१९४९), श्री ४२० (१९५५), मदर इंडिया (१९५७), मुग़ल-ए-आज़म (१९६०), गाइड (१९६५), पाकीज़ा (१९७२), बॉबी (१९७३), ज़ंजीर (१९७३), यादों की बारात (१९७३), दीवार (१९७५), शोले (१९७५), मिस्टर इंडिया (१९८७), क़यामत से क़यामत तक (१९८८), मैंने प्यार किया (१९८९), जो जीता वही सिकन्दर (१९९१), हम आपके हैं कौन (१९९४), दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे (१९९५), दिल तो पागल है (१९९७), कुछ कुछ होता है (१९९८), ताल (१९९९), कहो ना प्यार है (२०००), लगान (२००१), दिल चाहता है (२००१), कभी ख़ुशी कभी ग़म (२००१), देवदास (२००२), साथिया (२००२), मुन्ना भाई एमबीबीएस (२००३), कल हो ना हो (२००३), धूम (२००४), वीर-ज़ारा (२००४), स्वदेस (२००४), सलाम नमस्ते (२००५), रंग दे बसंती (२००६) इत्यादि।
हिन्दी का वैश्विक प्रसार
मुख्य लेख : आधुनिक हिंदी का अंतर्राष्ट्रीय विकास
सन् 1998 के पूर्व, मातृभाषियों की संख्या की दृष्टि से विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं के जो आँकड़े मिलते थे, उनमें हिन्दी को तीसरा स्थान दिया जाता था । सन् 1997 में सैन्सस ऑफ़ इंडिया का भारतीय भाषाओं के विश्लेषण का ग्रन्थ प्रकाशित होने तथा संसार की भाषाओं की रिपोर्ट तैयार करने के लिए यूनेस्को द्वारा सन् 1998 में भेजी गई यूनेस्को प्रश्नावली के आधार पर उन्हें भारत सरकार के केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के तत्कालीन निदेशक प्रोफेसर महावीर सरन जैन द्वारा भेजी गई विस्तृत रिपोर्ट के बाद अब विश्व स्तर पर यह स्वीकृत है कि मातृभाषियों की संख्या की दृष्टि से संसार की भाषाओं में चीनी भाषा के बाद हिन्दी का दूसरा स्थान है। चीनी भाषा के बोलने वालों की संख्या हिन्दी भाषा से अधिक है किन्तु चीनी भाषा का प्रयोग क्षेत्र हिन्दी की अपेक्षा सीमित है। अँगरेज़ी भाषा का प्रयोग क्षेत्र हिन्दी की अपेक्षा अधिक है किन्तु मातृभाषियों की संख्या अँगरेज़ी भाषियों से अधिक है।
विश्व के लगभग बीसवीं शती के अंतिम दो दशकों में हिंदी का अंतर्राष्ट्रीय विकास बहुत तेजी से हुआ है. वेब, विज्ञापन, संगीत, सिनेमा और बाजार के क्षेत्र में हिंदी की मांग जिस तेजी से बढी है वैसी किसी और भाषा में नहीं। विश्व के लगभग 150 विश्वविद्यालयों तथा सैंकडों छोटे-बडे क़ेंद्रों में विश्वविद्यालय स्तर से लेकर शोध स्तर तक हिंदी के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था हुई है। विदेशों से 25 से अधिक पत्र-पत्रिकाएं लगभग नियमित रूप से हिंदी में प्रकाशित हो रही हैं। यूएई क़े 'हम एफ-एम' सहित अनेक देश हिंदी कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं, जिनमें बीबीसी, जर्मनी के डॉयचे वेले, जापान के एनएचके वर्ल्ड और चीन के चाइना रेडियो इंटरनेशनल की हिंदी सेवा विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
संदर्भ
- ↑ 258 million "non-Urdu Khari Boli" and 400 million Hindi languages per 2001 Indian census data, plus 11 million Urdu in 1993 Pakistan, adjusted to population growth till 2008
- ↑ non-native speakers of Standard Hindi, and Standard Hindi plus Urdu, according to SIL Ethnologue.
- ↑ Dhanesh Jain; George Cardona (2003). The Indo-Aryan languages. Routledge. प॰ 251. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780700711307.
- ↑ Central Hindi Directorate regulates the use of Devanagari script and Hindi spelling in India. Source: Central Hindi Directorate: Introduction
इन्हें भी देखें
- हिन्दी साहित्य
- हिन्दी और सरकारी प्रयास
- हिन्दी व्याकरण
- भारत की भाषाएँ
- फ़ीजी हिन्दी
- हिन्दको भाषा
- हिन्दी की लघु-पत्रिकायें
- हिन्दी की साहित्यिक पत्रिकायें
- हिंदी की विभिन्न बोलियाँ और उनका साहित्य
- देवनागरी
- हिन्दी से सम्बन्धित प्रथम
- अन्तरजाल पर हिन्दी सामग्री - क्या कहाँ है?
- हिन्दी विक्षनरी
- हिन्दी विकिकोट
- हिन्दी विकिपुस्तक
- हिन्दी विकिस्रोत - हिन्दी के कापीराइट-मुक्त पुस्तकों का संग्रह
बाहरी कड़ियाँ
- हिन्दी की अंतरराष्ट्रीय भूमिका : प्रोफ़ेसर महावीर सरन जैन
- हिन्दी की अखिल भारतीयता का इतिहास
- हिन्दीकुंज : हिन्दी साहित्य व भाषा की वेब पत्रिका
- हिन्दी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी (अंग्रेज़ी)
- विश्व में हिंदी फिर पहले स्थान पर (डॉ. जयंती प्रसाद नौटियाल द्वारा कृत भाषा शोध अध्ययन 2007 का निष्कर्ष)
- कविता कोश : हिन्दी काव्य का अकूत खज़ाना
- हिन्दी समय (हिन्दी की सम्पूर्ण सामग्री, सबके लिये)
- सृजनगाथा : साहित्य, संस्कृति और भाषा की गंभीर एकमात्र पत्रिका
- अभिव्यक्ति : हिंदी की वेब पत्रिका
- अनुभूति : विश्वजाल पर हिंदी की पद्य पत्रिका
- शब्दांकन : हिन्दी की ई-पत्रिका
- हिन्दी_नेस्ट : हिन्दी की विविध सामग्री से परिपूर्ण साहित्यिक पत्रिका
- अनुरोध: भारतीय भाषाओं के प्रतिष्ठापन को समर्पित जाल-पत्रिका
- हिन्दी : गानों की भाषा, किसानों की भाषा, विद्वानों की भाषा
- देवनागरी परिचय (अंग्रेज़ी)
- हिन्दी वर्णमाला (अंग्रेज़ी)
- हिन्दी फ़्रेजबुक (अंग्रेज़ी)
- हिन्दी माध्यम से ५० भाषाएँ सीखें (Goethe-Verlag)
- हिन्दी-पुस्तकालय - सम्पूर्ण देश के विश्वविद्यालयों में पढ़ाये जाने वाले हिन्दी साहित्य के पाठ्यक्रम तथा उससे संबंधित तमाम जानकारियां एवं पाठ्य सामग्री का संग्रह
- भारत की हिन्दीसेवी संस्थाएं
- हिन्दी की पुस्तकें डाउनलोड करें
- जनमानस (हिन्दी भाषा मंच)
- हिंदी भाषा के विकास में पत्र-पत्रिकाओं का योगदान (प्रो. ऋषभदेव शर्मा)
- हिन्दी अनुसंधान (गूगल पुस्तक ; लेखक - विजय पाल सिंह)
- राजभाषा हिन्दी (गूगल पुस्तक ; लेखक - भोलानाथ तिवारी)
- हिन्दी में करियर (रोजगार समाचार)
- हिन्दी हितार्थ - हिन्दी के विकास के विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित लेखों का संग्रह
|
No comments:
Post a Comment