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02 March 2017

3 में से 2 मांगे मान ग्राम पंचायत ने दी मनरेगा मजदूरों को राहत

आज पुन: काम पर लौटेंगे मनरेगा मजदूर

ओढ़ां
ओढ़ां में मनरेगा मजदूरों द्वारा गत 10 दिनों से चले आ रहे विरोध प्रदर्शन का बुधवार को उस समय पटाक्षेप हो गया जब गांव के दर्जन भर गणमान्य लोगों ने मजदूरों और ग्राम पंचायत प्रतिनिधि की उपस्थिति में बीच का रास्ता सुझाया।
जिस पर दोनों पक्षों ने सहमति जताते हुये एक दूसरे के साथ सहयोग करने का निर्णय लिया तथा मनरेगा मजदूरों ने अपना विरोध प्रदर्शन समाप्त कर दिया।
बुधवार को 50-60 मनरेगा मजदूरों गुरदित सिंह, बलबीर सिंह, काका सिंह, बहाल सिंह, हरमेश सिंह, हंसा सिंह, कृष्ण लवली, गुरमीत सिंह, प्रगट सिंह, मंगा सिंह, मैंगल सिंह, दुर्गा दास, निर्मल सिंह, गुरतेज सिंह, देवीलाल, जंटा सिंह, पप्पू सिंह, धरा सिंह, दर्शन सिंह, महेंद्र सिंह तथा अनेक महिलाओं सहित 5 दर्जन के लगभग मजदूरों ने अनुसूचित जाति की धर्मशाला में एकत्र होकर ग्राम पंचायत और गणमान्य लोगों से उनकी समस्या को हल करने की गुहार लगाई।
इस अवसर पर मजदूरों ने मुख्य रूप से 3 मांगे रखी जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें खोदी गई मिट्टी को डालने हेतु काफी दूर जाना पड़ता है जिस पर वहां मौजूद ग्राम पंचायत प्रतिनिधि सीताराम ने कहा कि जहां आप मिट्टी की खुदाई करते हैं वहां पर ट्रैक्टर ट्राली खड़ी कर दी जायेगी और खोदी गई मिट्टी आप दूर जाने की बजाय ट्राली में डाल दिया करें। दूसरी मांग थी कि कार्यस्थल पर सहायक ज्यादा होते हैं जिसके कारण मजदूरों के काम में बाधा आती है। ग्राम पंचायत ने इस मांग को भी स्वीकार कर लिया कि आज के बाद कार्यस्थल पर दो ही सहायक रहेंगे। मजदूरों की तीसरी मांग थी कि काम पैमाईश से करवाने की बजाय दिहाड़ी पर करवाया जाये। इस मांग को पूरा करना ग्राम पंचायत के अधिकार क्षेत्र में नहीं था अत: मजदूरों की इस मांग को आगे फारवर्ड कर दिया जायेगा। मजदूरों की तीन में से दो मांगे पूरी हो जाने पर मजदूरों ने फिर से काम पर लौट आने का निर्णय लेते हुये कल से काम शुरू करने की बात कही।
उल्लेखनीय है कि ओढ़ां में गोशाला के निकट स्थित मुख्य जोहड़ को गहरा करने हेतु ग्राम पंचायत द्वारा गत 17 फरवरी को काम शुरू किया गया था। दो दिन काम करने के बाद तीसरे दिन 19 फरवरी को दोपहर बाद मजदूरों ने मजदूरी बढ़ाने की मांग को लेकर प्रदर्शन करते हुये काम बंद कर दिया था। उसके बाद मजदूर आये दिन अपनी मांग कभी एडीसी, कभी बीडीपीओ तथा कभी सरपंच के समक्ष रखते रहे लेकिन उन्हें कहीं राहत नहीं मिली। अत: मजदूरों ने आज आर या पार का निर्णय लेने का मन बना लिया था।

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