ब्रह्मविद्या विहंगम योग आश्रम रोहिडांवाली में रविवारीय सत्संग आयोजित
ओढ़ां
मनुष्य जीवन का उद्देश्य ईश्वर आज्ञा के अनुकूल आचरण करते हुए इस लोक और परलोक के सब दुखों से छूटकर-परमगति अर्थात मोक्ष को प्राप्त करना है तथा वह मोक्ष अथवा मुक्ति ब्रह्मविद्या के बिना प्राप्त नहीं की जा सकती। यह बात खंड के गांव रोहिडांवाली में स्थित ब्रह्मविद्या विहंगम योग आश्रम में रविवारीय सत्संग के दौरान साधक राजाराम गोदारा ने श्रद्धालुओं के समक्ष प्रवचन पढ़ते हुए कही।
उन्होंने कहा कि जो कहने में ही नहीं करने में भी विश्वास करते हैं। जो कहते हैं वैसा आचरण करते हैं, परमेश्वर में जिनका अटल विश्वास है, वचनों पर श्रद्धा रखते हैं और जो धर्म के व्रत का पालन करते हैं, वही इस ब्रह्मविद्या को ग्रहण कर सकते हंै। ब्रह्मविद्या के रहस्य को वही व्यक्ति जान सकता है, जिसकी भगवान में परम भक्ति होती है तथा जैसी भगवान में भक्ति वैसी ही श्रद्धा गुरू में होती है। वास्तव में ब्रह्मविद्या को वही प्राप्त कर सकते हैं जो ब्रह्म के प्रति पूर्णतया समर्पित हैं। जिन्होंने परमेश्वर के आज्ञापालन रूपी धर्म को अपने आचरण में आत्मसात् कर लिया है। जो प्रत्येक कर्म करने से पूर्व यह देखते हैं कि वह अंतरात्मा की आवाज के अनुकूल है या नहीं। जो परमेश्वर के सर्वव्यापक, न्यायकारी सच्चिदानन्द स्वरूप का ध्यान करते हैं वे ब्रह्मविद्या के रहस्य को प्राप्त कर लेते हैं। इस मौके पर अनेक महिला पुरूष श्रद्धालु मौजूद थे।
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