नरेंद्र मोदी के पास है इतनी संपत्ति
संघर्ष से शिखर तक
भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेन्द्र
भाई मोदी की मेरठ के शताब्दी नगर में होने वाली रैली से पहले उनके संघर्ष
से भरे जीवन पर आधारित पुस्तकें भी खूब बिकी।
इनमें मोदी के चाय
बेचने वाले बचपन से लेकर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनने तक की कहानी
है। साथ ही गुजरात विधान सभा चुनावों में बताई गई उनकी संपत्ति का
ब्योरा भी है।
ऐसी ही एक पुस्तक है नरेन्द्र मोदी - संघर्ष से शिखर तक। इसके पृष्ठ संख्या 19 पर मोदी की संपत्ति का विवरण है।
पांच सालों में खूब बढ़ा बैंक बैलेंस
उन्होंने 2007 के विधान सभा चुनाव में दिए गए शपथ
पत्र में अपनी संपत्ति 30 लाख बताई थी। 2012 में यह एक करोड़ बताई गई। उनके
पास 2007 में सोने की तीन अंगूठी थीं, जो 2012 मे चार हो गई।
इन पांच सालों में मोदी का बैंक बैलेंस भी खूब बढ़ा। 2007 में उनके एकाउंट में 8,55,651 रुपये थे, जबकि 2012 में 27,24,409 हो गए। मोदी ने इन पांच सालों में 39 लाख वेतन लिया।
मोदी के पास एकमात्र प्रोपर्टी गांधीनगर में 330 वर्ग मीटर का घर है जो उन्होंने 2002 में खरीदा था। उन्होंने 2007 में नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट में 3,39,575 रुपये निवेश किया, जो 2012 में बढ़कर 4,00,917 हो गया।
इन पांच सालों में मोदी का बैंक बैलेंस भी खूब बढ़ा। 2007 में उनके एकाउंट में 8,55,651 रुपये थे, जबकि 2012 में 27,24,409 हो गए। मोदी ने इन पांच सालों में 39 लाख वेतन लिया।
मोदी के पास एकमात्र प्रोपर्टी गांधीनगर में 330 वर्ग मीटर का घर है जो उन्होंने 2002 में खरीदा था। उन्होंने 2007 में नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट में 3,39,575 रुपये निवेश किया, जो 2012 में बढ़कर 4,00,917 हो गया।
कहीं साधु न बन जाए मोदी
पुस्तक में मोदी के बारे में और भी जानकारी हैं।
गुजरात के वड़नगर गांव में 17 सितंबर 1950 को जन्मे मोदी ने राजनीति
शास्त्र में एमए किया है। उनके पिता दामोदर दास मूलचंद मोदी का 1989 में
निधन हो गया। छह भाई बहनों में मोदी तीसरे नंबर के हैं। उनके बड़े भाई
सोमभाई मोदी आज भी पैतृक गांव में रहते हैं।
किताब में एक दिलचस्प किस्सा बताया गया है। मोदी को 1958 में आठ साल की उम्र में ही गुजरात के प्रांत प्रचारक लक्ष्मण राव इनामदार उर्फ वकील साहब ने स्वयंसेवक की शपथ दिलवाई थी।
आरएसएस से जुड़ने के बाद मोदी ने नमक और तेल खाना बंद कर दिया था। इससे उनकी मां हीराबेन और भाई प्रह्लाद डर गए थे कि कहीं नरेंद्र साधु बनने तो नहीं जा रहे।
किताब में एक दिलचस्प किस्सा बताया गया है। मोदी को 1958 में आठ साल की उम्र में ही गुजरात के प्रांत प्रचारक लक्ष्मण राव इनामदार उर्फ वकील साहब ने स्वयंसेवक की शपथ दिलवाई थी।
आरएसएस से जुड़ने के बाद मोदी ने नमक और तेल खाना बंद कर दिया था। इससे उनकी मां हीराबेन और भाई प्रह्लाद डर गए थे कि कहीं नरेंद्र साधु बनने तो नहीं जा रहे।
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