ओढ़ां के राधाकृष्ण मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह
ओढ़ां
ओढ़ां स्थित श्री श्री 108 बाबा संतोखदास गोशाला के प्रांगण में स्थित श्री राधाकृष्ण मंदिर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के दौरान ऋषिकेश से आमंत्रित कथा व्यास स्वामी नित्यानंद गिरी ने कथा महात्म्य के अंतर्गत बताया कि भक्ति महारानी अपने पुत्रों ज्ञान और वैराग्य के साथ पुष्ट होती है। भागवत भक्तों की भक्ति को पुष्टता प्रदान करती है जिससे ज्ञान और वैराग्य पुष्ट होते हैं अत: बिना ज्ञान और वैराग्य के भक्ति को बांझ कहा गया है।
उन्होंने बताया कि भागवत सप्ताह श्रवण से धुंधुकारी जैसा प्रेत भी सद्गति को प्राप्त हुआ अत: पापी से पापी व दुराचारी व्यक्ति भी भगवान की शरणागति एवं भागवत श्रवण से पापमुक्त हो सद्गति को प्राप्त होता है। भक्ति के बिना ज्ञान रूपी फल की प्राप्ति संभव नहीं तथा ज्ञान का फल वैराग्य है जिसका अर्थ परिवार को छोडऩा नहीं है बल्कि परिवार रूपी कमल को खिलाना है। आत्मज्ञान प्राप्त करने का सबसे सहज मार्ग गीता है। जब हम आत्मदर्शन का प्रयास करेंगे तो परमात्मा का दर्शन होगा और जिसने आत्मा का दर्शन किया उसे परमात्मा का भी दर्शन हुआ है परंतु मन पर नियंत्रण के बिना यह संभव नहीं है जैसे आप क्रोध नहीं करना चाहते लेकिन फिर भी हो जाता है तथा बाद में अफसोस भी होता है। उन्होंने कहा कि कलियुग में सत्संग दुर्लभ है क्योंकि पाखंड की अधिकता है। तुलसीदास जी संत और असंत की तुलना हंस और बगुले से करते हुये कहा है कि संत वह है जो जीव मात्र का संबंध भगवान से करवाये लेकिन जो जीव का संबंध मात्र अपने जोड़कर अपनी पूजा करवाये अथवा छायाचित्र पुजवाये वह असंत है। कथा के दौरान उन्होंने भजनों.. नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोबिंदा और गोबिंद मेरो है गोपाल मेरो है आदि से गोशाला के वातावरण को भक्तिमय बना दिया। इस अवसर पर श्री हनुमत सेवा समिति के प्रधान जोतराम शर्मा, गोशाला समिति सदस्य, विजय गोयल, राजू सोनी, महावीर प्रसाद, रमेश कुमार, मनीराम, रामकुमार और अशोक कुमार सहित अनेक महिला पुरूष श्रद्धालु मौजूद थे।
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