Loading

04 August 2017

बाल कटने की घटनाओं से फैलते अंधविश्वास व टोटकों के प्रति

लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से तर्कशीलों ने लगाई वर्कशॉप
ओढ़ां
ओढ़ां क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों के बाल कटने की घटनाओं से समाज में उपजे भय से लोगों को निजात दिलाने के उद्देश्य से तर्कशील सोसाइटी की टीम ने जागरूकता अभियान चलाया।
टीम में शामिल मास्टर शमशेर चोरमार, मलकीत सिंह और अजायब सिंह जलालआना ने आदर्श हाई स्कूल ओढ़ां, गल्र्ज हाई स्कूल तथा चौपाल में बाल कटने की घटनाओं के बारे में वर्कशॉप लगाई। सोसाइटी द्वारा समय समय पर अंधविश्वास के विरुद्ध व वैज्ञानिक विचारों के प्रचार प्रसार के लिए प्रोग्राम पेश किये जाते है। इन स्थानों पर तर्कशीलों ने बाल कटने की घटनाओं को मानसिक तनाव व शरारती तत्वों द्वारा किये गए कार्य बताया। उन्होंने कहा कि अक्सर गर्मी के दिनों में मानसिक तनाव से ग्रस्त लोगों की संख्या बढ़ जाती है। ऐसे रोगियों की गिनती बढऩे से बाबा गिरी करने वाले लोगों की मार्किट भी चमक उठती है। कारण साधारण इन्कम वाले लोग अस्पतालों में ईलाज करवाने की बजाय इन्हें ढोंगी बाबाओं, तांत्रिको, मौलवियों व ओझाओं के पास जाते हैं जो बाल कटने की घटना को बढ़ा चढ़ाकर पेश करते हैं। लोगों को इसका हल अनाप शनाप तरीकों जैसे घर के गेट पर मेंहन्दी या सिन्दूर का पंजा लगाना, नीम टांगना आदि बताते हैं जो अवैज्ञानिकता का प्रमाण है। जब एक दो घटनाओं के बाद मीडिया या अन्य कॉमनीकेशन के माध्यम से लोगों में ऐसी अफवाह फैलती है तो अंधविश्वासी लोग इसका शिकार बनते हैं। इसे मनोविज्ञान की भाषा में मॉस हिस्टीरिया या फोबिया (सामाजिक समूह डर) कहा गया है। जगह जगह चर्चाएं होती हैं और धीरे धीरे पूरा समाज इसकी जद में आ जाता है। मानसिक रोग से पीडि़त व्यक्ति जिसकी अपनी पर्सनल समस्या होती है वो अपनी बात को रखने या अपनी तरफ ध्यान आकर्षित करने के लिए ऐसी नैगेटिव अप्रोच को अपनाता है और घटना को स्वंय ही कर लेता है। या यूं कहें मानसिक समस्या ग्रस्त व्यक्ति दूसरों को समस्या में डालकर स्वंय सुख महसूस करता है। इस अवसर पर बच्चों व आम लोगों का डर दूर करने के लिए जादू के ट्रिक्स दिखाकर और विभिन्न प्रकार के चमत्कारों को पेश करके उन्हें जागरूक किया गया। उन्होंने लड़कियों को विशेष रूप से ऐसी घटनाओं से निपटने व समझने के लिए सुझाव दिए गए तथा वर्षों से समाज में फैल रहे अंधविश्वासों की असलियत बताई।

No comments:

Post a Comment