संसार में रहते हुए सबकी सेवा करो और भगवान को अपना मानो : स्वामी विजयानंद गिरी
ओढ़ां
ओढ़ां की श्री श्री 108 बाबा संतोखदास गऊशाला में स्थित श्री राधाकृष्ण मंदिर परिसर में आयोजित दुर्लभ सत्संग का शुभारंभ करते हुए स्वामी विजयानंद गिरी ने कहा कि आपकी तरह भाग्यशाली होते हैं वे लोग जिन्हें सत्संग श्रवण का अवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य इसी जन्म में प्रभु मिलन जैसे महान आनंद को प्राप्त कर सकता है फिर चाहे वो महिला पुरूष, अमीर गरीब, शिक्षित अशिक्षित कोई भी क्यों ना हो तथा इसमें कोई संशय नहीं है।
स्वामी जी ने बताया कि प्रह्लाद ने अपनी माता कयादू के गर्भ में रहते ही स्वीकार कर लिया था कि ये शरीर माता पिता का है, यही कारण है कि अपने पिता हिरण्याकशिपू द्वारा उसे मारने के उद्देश्य से दी गई 52 प्रकार की यातनाएं उसने हंसते हंसते स्वीकार करली लेकिन अपने पिता से एक बार भी नहीं बोला कि ये आप क्या कर रहे हैं। प्रह्लाद का भगवान पर विश्वास इतना दृढ़ था कि उसने भगवान को सुखे पत्थर से प्रकट कर लिया। नरसिंह भगवान ने जब प्रह्लाद से कहा कि चलो पुत्र अपने धाम चले तो प्रह्लाद बोले संसार में इतने दुखी प्रणियों को छोड़कर मैं नहीं जा सकता इसलिए आप इन्हें भी साथ ले चलो। भगवान बोले ठीक है पूछ लो इनसे जो जाना चाहते हैं चलें लेकिन कोई जाने को तैयार ही नहीं हुआ क्योंकि सभी के अनेक कार्य अभी अधूरे थे जो उन्हें जाने नहीं दे रहे थे। जिस घर में हम रहते हैं वो असली नहीं नकली घर है क्योंकि सबको पता है कि इस घर से एक दिन जाना है, असली घर तो वो धाम है जहां जाकर कहीं अन्यत्र जाने की आवश्यकता ही नहीं रहती। उन्होंने कहा कि अक्सर देखा जाता है कोई कितनी भी अच्छी जगह पर चला जाए लेकिन उसके मन को शांति तभी मिलती है जब वो वापिस अपने घर पहुंच जाता है। जब नकली घर में पहुंचकर इतनी शांति मिलती है तो सोचिए अपने असली घर अर्थात प्रभु के धाम पहुंचकर तो खुशी का पारावार नहीं रहेगा।
स्वामी विजयानंद गिरी ने कहा कि मात्र 600 वर्ष पूर्व इसी कलियुग में मीराबाई ने भगवान से ऐसा संबंध जोड़ा कि उसका जड़ शरीर भी चेतन हो गया, ठीक वैसा ही संबंध भगवान से हमारा भी है लेकिन आवश्यकता मीरा जैसी लगन पैदा करने की है। भगवान ने श्रीमद्भगवद् गीता में कहा है कि संसार के सभी प्राणियों में मनुष्य उन्हें सबसे प्रिय लगता है। कलियुग में मात्र थोड़ा सा प्रयास करने पर भी प्रभु मिलन संभव है लेकिन प्रयास सच्चा होना चाहिए। इसका सबसे आसान तरीका बताते हुए उन्होंने कहा कि संसार में रहते हुए सबकी सेवा करो और भगवान को अपना मान लो। मनुष्य चाहे जैसा हो भगवान सबको मिल सकते हैं इसलिए भगवान के प्रति सच्ची लगन पैदा करो। इस मौके पर पवन गर्ग ओढ़ां, जोतराम शर्मा, मंदर सिंह सरां, अमर सिंह गोदारा, भूपसिंह मल्हान, सूरजभान कालांवाली, दलीप सोनी व महेंद्र सिंह नुहियांवाली, मास्टर हरीराम गोयल, कालूराम, सुरेंद्र बांसल सहित क्षेत्र के अन्य गांवों से आए श्रद्धालु तथा काफी संख्या में महिला पुरूष श्रद्धालु मौजूद थे।
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