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02 April 2017

भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद गीता में संसार को दुखालय कहा है : स्वामी विजयानंद गिरी

नुहियांवाली की श्रीरामभक्त हनुमान गोशाला में श्रीरामकथा एवं दुर्लभ सत्संग

ओढ़ां
खंड के गांव नुहियांवाली में श्रीरामकथा एवं दुर्लभ सत्संग के दौरान स्वामी विजयानंद गिरी ने कहा कि दुख कोई नहीं चाहता सब सदैव सुखी रहना चाहते हैं जबकि भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद गीता में इस संसार को दुखालय कहा है। जैसे वस्त्रालय से विभिन्न प्रकार के वस्त्रों के अलावा कुछ नहीं मिलता उसी प्रकार संसार में जीव को विभिन्न प्रकार के दुखों के अतिरिक्त कुछ नहीं मिलता। महापुरूषों ने स्वयं देखा और पाया कि संसार में सुख नहीं सुखों की भ्रांती है। सुख की चाह में संसार का प्राणी जितने ज्यादा हाथ पैर मारता है वो उतना ही दुखों की दलदल में धंसता चला जाता है। पैदल व्यक्ति को साइकिल वाला, साइकिल वाले को बाईक वाला तथा बाईक वाले को कार वाला सुखी लगता है जबकि कार वाला तो इतना दुखी है कि सोने के लिए भी नींद की गोली खाता है अत: कार वाले से तो पैदल सुखी है जो चैन की नींद तो सोता है, यही सुख की भ्रांती है तथा वास्तव में कोई सुखी नहीं है। संत कहते हैं 'कोई तन दुखी कोई मन दुखी कोई धन के बिना उदास, थोड़े थोड़े सब दुखी पर सुखी राम के दासÓ। अर्थात यदि संसार में रहते हुए सुख चाहते हैं तो हृदय से प्रभु को अपना लो।
स्वामी जी ने कहा कि सुख की लालसा में प्राणी इस वसुंधरा पर ऐसे ऐसे पाप कर्म करने लगा है कि वर्णन करने में संकोच होता है। एक बार जब मनुष्य की तुलना पशुओं से की गई तो पशु नाराज हो गए और बोले कि हम तो अपने पूर्वजों से सीख लेकर मेहनत करते हुए इस जन्म में पुण्य कर्म कर अपने पूर्व कर्मों का प्रायश्चित कर ऊपर को जा रहे हैं जबकि मनुष्य नित नए पाप करते हुए निरंतर नीचे को जा रहा है अत: मनुष्य जैसे आकंठ पाप में डूबे प्राणी से हमारी तुलना हमारे साथ अन्याय है। आपने देखा ही होगा कि आजकल गिद्ध दिखाई नहीं देते क्योंकि वे लुप्त हो गए हैं। आज संसार में पाप का पैमाना इस कदर भर गया है कि गंगा मैया शीघ्र ही लुप्त हो जाएगी तथा फलों का आकार छोटा हो जाएगा। भगवान कृष्ण की बुआ कुंती ने उनसे कहा बेटा पांडव तुम्हारे भाई हैं और कष्ट झेल रहे हैं तुम कृपा क्यों नहीं करते। श्रीकृष्ण बोले बुआ युधिष्ठर भाई जुए में सबकुछ हार गए लेकिन विपत्ति के समय उन्होंने एक बार भी मुझे याद नहीं किया लेकिन वस्त्र हरण के समय जब द्रोपदी ने मुझे पुकारा तो 10 हजार हाथियों के बल वाला दुशासन द्रोपदी का नाखुन भी नहीं उखाड़ सका और वस्त्रावतार हो गया। अर्थात जब कोई हृदय से मुझे पुकारता है तो उसकी रक्षा करने का जिम्मा मुझ पर आ जाता है तथा मुझे पुकारने वाले का कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता।
कथा से पूर्व श्रद्धालुओं ने गांव नुहियांवाली, बनवाला, रिसालियाखेड़ा, रामगढ़, गोरीवाला और रामपुरा बिश्नोईया सहित साथ लगते गांवों में प्रभातफेरी निकाली जिसका जिक्र आने पर स्वामी जी ने बताया कि यदि कोइ गाली देता है तो वो वायुमंडल में फैलकर नकारात्मक ऊर्जा पैदा करती है जिसका दुष्प्रभाव समस्त विश्व पर पड़ता है। इसी प्रकार प्रभातफेरी के दौरान श्रद्धालु जब प्रभु के नाम का उच्चारण करते हुए चलते हैं तो उसकी गूंज से विश्व के प्राणियों में स्वत: ही सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है अत: प्रभातफेरी हर गांव में निकाली जानी चाहिए। इस मौके पर श्रीरामभक्त हनुमान गोशाला के सेवादारों सहित अनगिनत महिला पुरूष श्रद्धालु मौजूद थे।

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