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03 April 2011

क्रिकेट विश्व कप 2011

    राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने मुम्बई में शनिवार को हुए क्रिकेट विश्व कप के फाइनल मैच में श्रीलंका को हराकर भारत के विजेता बनने पर भारतीय क्रिकेट टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह टीम की देश के प्रति 'निष्ठा का परिणाम' है। टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी को भेजे संदेश में पाटील ने कहा, "सफलता की डगर लंबी और कठिन थी, लेकिन आप और आपकी टीम ने हर स्थिति में अपना हौसला कायम रखा।" उन्होंने कहा, "आप सभी आज करोड़ों भारतीय के धन्यवाद के पात्र हैं।"

    युवराज सिंह ने पूरे टूर्नामेंट के दौरान कुल 362 रन बनाए और 15 विकेट हासिल किए। इस दौरान उन्हें चार बार मैन आफ द मैच चुना गया। फाइनल मुकाबले में धौनी को दबाव के दौरान शानदार 91 रनों की कप्तानी पारी खेलने के लिए मैन आफ द मैच चुना गया। श्रीलंका पर मिली छह विकेट की जीत के साथ करोड़ों भारतीय क्रिकेट प्रेमियों का विश्व कप जीतने का 28 वर्ष पुराना सपना साकार हुआ। भारत ने 1983 में पहली बार विश्व खिताब जीता था

    छह विश्व कप में टीम का हिस्सा बन चुके सचिन के लिए खिताब जीतने का सपना उनके घरेलू मैदान पर पूरा हुआ। सचिन ने कहा, ''मैं खिताब से ज्यादा की इच्छा नहीं रख सकता था। विश्व कप का खिताब जीतना मेरे लिए गौरवशाली क्षण है। इसके लिए मैं साथी खिलाड़ियों को बधाई देता हूं। उनके बिना यह सम्भव नहीं हो सकता था।'' उन्होंने कहा, ''मैं जीत के लिए सहायक कर्मियों और मुझे तनाव से लड़ने में ममद करने वाले माइक हार्न को धन्यवाद देता हूं।''

    भारत को विश्वकप दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले देश के हरफनमौला खिलाड़ी युवराज सिंह ने जीत के बाद उस राज पर से पर्दा उठा दिया जिसके बारे जिक्र उन्होंने अहमदाबाद में क्वार्टर फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया पर टीम को जीत दिलाने के बाद किया था। युवराज ने कहा था कि वो किसी खास के लिए ये विश्वकप जीतना चाहते है, जो उनके दिल के बेहद करीब है। तो दोस्तों वो कई और नहीं बल्कि भारतीय क्रिकेट का भगवान सचिन तेंदुलकर है जिनके लिए युवी विश्वकप जीतना चाहते थे। युवराज ने कहा कि पिछले एक साल से जब उनका दौर अच्छा नहीं चल रहा था तबसे आज तक सचिन ही है जिन्होंने मेरा मनोबल बढ़ाया है। यहां तक की जब मै विश्वकप के लिए चुना गया था तब भी मुझ पर सवाल उठे थे लेकिन सचिन ही है जिन्होंने मेरा आत्मविश्वावास बनाये रखा। साथ ही युवराज ने पूर्व कप्तान सौरव गांगुली और मौजूदा कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को संकट के दौर में उनका साथ देने के लिये धन्यवाद दिया। आपको बता दें कि टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा 4 बार मैन ऑफ द मैच अवार्ड युवी को मिला है । वो गेंद व बल्ले से समान रूप से तूफानी प्रदर्शन करने में कामयाब रहे। इस बार कवर रीजन व पॉइंट में फील्डिंग कर चुस्ती दिलाई। उन्होंने साबित कर दिया कि यदि जीतने का जज्बा हो तो मंजिल तक पहुंचा जा सकता है। युवराज ने टूर्नामेंट में चार अर्धशतक लगाए।
    शनिवार को देश के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने छक्का क्या मारा , स्टेडियम में तिरंगा और घरो में लोग झूम उठा, क्योंकि देश जीत गया वो ट्राफी जिसे हम विश्वकप कहते है, जिसे लाने का सपना देश को 28 साल से था और क्रिकेट के भगवान सचिन को 21 साल से। जिसे पूरा कर दिखाया भारत के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने, उनकी सेना ने और उस गुरू ने जिसकी रणनीतियों ने भारत को विश्वविजयी बनाया है। जी हां हम बात कर रहे हैं, भारत के कोच गैरी कर्स्टन की। जिनका कार्यकाल विश्वकप के बाद पूरा हो रहा है। साल 2007 में जब गैरी को भारत के कोट की कमान मिली थी तो उनके कंधो पर ये जिम्मेदारी दी गई थी कि भारत विश्वकप जीतें जिसे गैरी ने पूरा कर दिया। आज भारत संतुलित टीम है, विश्वविजेता है तो उसके पीछे जितना खिलाड़ियों की मेहनत है, उतनी ही गुरू गैरी की मेहनत और वो टिप्स है जिनकी बदौलत भारत ने मुंबई जीत लिया। टीम इंडिया ने यह विश्व कप जीतकर न सिर्फ देश को बल्कि अपने कोच को भी शानदार तोहफा दिया है। गौरतलब है कि विश्व कप के बाद कर्स्टन का बीसीसीआई से करार खत्म हो रहा है ऎसे में यह टीम इंडिया के साथ उनका आखिरी अभियान था, जिसे उन्होंने सफलतापूर्वक समाप्त किया। इसके साथ ही कर्स्टन भारतीय टीम के सबसे सफल विदेशी कोच रहे। पूर्व दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज कर्स्टन ने 101 टेस्ट और 185 वनडे मैच खेले हैं जिनमें उनका प्रदर्शन सराहनीय रहा है। कर्स्टन के मार्गदर्शन में भारत ने 91 वनडे मैच खेले हैं, जिनमें से टीम को 57 में जीत हासिल हुई है। उनके रहते टीम की जीत का प्रतिशत 62.22 का रहा है। कहना गलत ना होगा कि किसी भी कोच के लिए इससे खूबसूरत विदाई नहीं हो सकती है।
    जब देश इस ऎतिहासिक जीत के नशे में झूम रहा था तब दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी खुद को इससे दूर नहीं रख पाई और आधी रात को दिल्ली की सड़कों पर उतरे फैंस के साथ मिलकर जीत का जश्न मनाया। सुरक्षा के सारे घेरों को तोड़कर राष्ट्रीय ध्वज लेकर सोनिया सड़क पर उतरी तो वहां मौजूद भीड़ उनकी एक झलक पाने को उमड़ पड़ी। सोनिया खुली गाड़ी पर खड़े होकर लोगों का अभिवादन कर रही थीं। टीम इंडिया से खुश सोनिया इस कदर रोमांचित थी कि जिसे बयां कर पाना बेहद मुश्किल है, सोनिया ने अपने ऊपर तिरंगा लपेट रखा था। और वो हाथ हिला हिला कर दिल्ली वालों को अपनी खुशी बता रही थी। सोनिया को इससे पहले मोहाली के स्टेडियम में भी अपने बेटे राहुल के साथ देखा गया था। वहा भी जब भारत जीता था तो सोनिया खुशी से उछल पड़ी थी। देश की सबसे ताकतवर महिला ने टीम इंडिया को बधाई भेजी और कहा कि आपकी वजह से देश का सिर गर्व से ऊंचा हो गया। असम में चुनावी रैली के कारण सोनिया गांधी फाइनल मुकाबला देखने के लिए मुम्बई नहीं जा पाई थी।

    विश्‍वकप के फाइनल मुकाबले में हारने के बाद श्रीलंका के कप्‍तान कुमार संगाकारा ने सबसे पहले टीम इंडिया को बधाई दी और कहा कि टीम इंडिया ही विश्‍वकप की हकदार है। उसके तुरंत बाद उन्‍होंने गेंद के जादूगर मुथैया मुरलीधरन को भावभीनि विदाई दी। उन्‍होंने कहा श्रीलंका टीम मुरली की कमी बहुत महसूस करेगी।  श्रीलंका को टीम इंडिया ने 6 विकेट से हराकर विश्‍वकप फाइलन मुकाबला जीता। श्रीलंका की इस हार के साथ उनकी टीम का मुरलीधरन को विश्‍वकप गिफ्ट करने का सपना अधूरा रह गया। मैच के बाद संगाकारा ने कहा कि मुरलीधरन हमेशा से ही आक्रामक गेंदबाज रहे हैं। वो कब किस मैच को पलट दें कोई नहीं कह सकता। इन दिनों तो वे कुछ ज्‍यादा ही प्रभावी हो गये थे। मुरलीधरन का विकल्‍प मिलना बहुत मुश्किल होगा।
मुरली सर्वश्रेष्‍ठ गेंदबाज हैं। वे पूरी तरह फिट नहीं होते हुए भी अपना जादू दिखाने में सक्षम हैं। संगाकारा ने कहा मुझे नहीं लगता कि अभी तक मुरली जैसा गेंदबाज कोई होगा भी। गौरतलब है कि विश्‍वकप का फाइनल मैच मुरलीधरन के करियर का अंतिम मैच था। इससे पहले न्‍यूजीलैंड के खिलाफ खेले गये सेमीफाइनल मुकाबले में मुरलीधरन ने कोलंबो के प्रेमदासा स्‍टेडियम में मैच जीतने के बाद दर्शकों से विदाई ली थी। उस दौरान तमाम दर्शकों की आंखों में आंसू थे। लेकिन वे अपने देश के लिए विश्‍वकप ले जाने में असफल रह गये।

    फाइनल मुकाबला जीतने और मैन ऑफ द मैच चुने गये धोनी ने कहा, "मैंने आज कुछ फैसले लिए थे। यदि हम मैच नहीं जीतते तो अश्विन और श्रीसंत को लेकर सवाल किए जाते। मैं बल्लेबाजी करने ऊपर के क्रम में क्यों आया? विराट और गौतम ने अच्छी पारियां खेलीं। हमने एक-एक रन भी खूब बनाए। ओस का फायदा उठाते हुए हमने स्पिनरों पर दबाव बनाया। मैं गम्भीर को शतक बनाते हुए देखना चाहता था।"आम तौर पर धोनी सवालों के जवाब अंग्रेजी में देते हैं, लेकिन शनिवार की रात उन्‍होंने कई बार हिन्‍दी का प्रयोग किया। उन्‍होंने कहा कि पूरी टीम के अंदर विश्‍वकप जीतने की जबर्दस्‍त भूख थी। विश्‍वकप जीतने के बाद हुई प्रेसवार्ता में पहुंचते ही युवराज सिंह ने कहा- बधाईयां हो बधाईयां... धोनी ने कहा कि मैंने अपनी भावनाओं को दर्शाने के लिए स्‍टंप उखाड़ लिया लेकिन इससे पहले मैं दर्शकों की तरफ रुख करता, युवराज सिंह ने मुझे गले लगा लिया और दोनों की आंखें नम हो गईं। उस पल में मैं समझ नहीं पा रहा था, कि मैं अपनी भावनाओं को कैसे दर्शाऊं। धोनी ने कहा, "युवराज से पहले मैदान पर मैं इसलिए आया, क्‍योंकि चेन्‍नई सुपर किंग्‍स में मैंने मुरलीधरन को काफी अच्‍छी तरह से समझा है, और इस मौके में मैं कोई रिस्‍क नहीं लेना चाहता था। मैं स्‍ट्राइक को रोटेट करना चाहता था।" वैसे धोनी देश के सबसे सफल कप्‍तान बन गये हैं। उन्‍होंने देश को ट्वेंटी 20 विश्‍वकप जीता और फिर यह विश्‍वकप। सफलता का राज पूछे जाने पर धोनी ने कहा, मैं भाग्‍यशाली हूं। मुझे हमेशा अच्‍छे खिलाड़ी मिले। मैं युवा क्रिकेटरों को हमेशा से आगे बढ़ाना चाहता हूं और इस विश्‍वकप के लिए हर खिलाड़ी ने अपना 100 प्रतिशत दिया है।

    क्रिकेट विश्‍वकप जीतने के तुरंत बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने टीम इंडिया व सहयोगी स्‍टाफ के लिए ईनाम की घोषणा की। बीसीसीआई की ओरसे यह घोषणा रवि शास्‍त्री ने की। उन्‍होंने कहा इस जीत के लिए टीम के सभी पंद्रह खिलाडि़यों को एक-एक करोड़ रुपये बतौर पुरस्कार दिये जाएंगे। इसके आलावा बोर्ड ने भारतीय टीम के प्रत्येक सहायक कर्मी को 50 लाख और प्रत्येक चयनकर्ता को 25 लाख रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा की है। बीसीसीआई ने पुरस्‍कारों की घोषणा खिलाडि़यों का मनोबल बढ़ाने के लिए की। इस घोषणा से पहले भारत ने 28 साल बाद विश्‍वकप जीता। शनिवार की शाम इतिहास के पन्‍नों पर दर्ज हो गई। जी हां 28 साल बाद एक बार फिर भारत क्रिकेट का बादशाह बन गया। कप्‍तान महेंद्र सिंह धोनी को उनकी 91 रनों की शानदार पारी के लिए मैन आफ द मैच चुना गया। वहीं इस विश्‍वकप के लगभग सभी मैचों में अहम भूमिका निभाने वाले युवराज सिंह को मैन आफ द टूर्नामेंट के खिताब से नवाजा गया।




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