जिस दिन हुआ था धरती का पहला मनुष्य पैदा
पुराणों में धरती का सबसे पहला मनुष्य
मनु को बताया गया है। इनका जन्म माघ मास की कृष्ण पक्ष की अमवस्या को हुआ
था। माना जाता है कि मनाली ही वह स्थान है जहां से मनु ने मनुष्य की वंश
परंपरा को आगे बढ़ाया। इसलिए मनाली में इनका जन्मदिवस धूम-धाम और धार्मिक
उत्साह से मनाया जाता है।
पं. मुरली झा बताते हैं कि सृष्टि के प्रथम मनुष्य का जन्मदिवस प्रत्येक मनुष्य के लिए आदरणीय है। जाने-अनजाने हमारे मुंह को कोई अपशब्द न निकले इसलिए इसदिन मौन धारण करने की बात शास्त्रों में कही गयी है। बहुत से लोग इस दिन से कम बोलने की शपथ भी लेते हैं। इसलिए इस दिन को मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
जो लोग पूरे दिन मौन नहीं रह सकते उन्हें प्रातः सूर्योदय से पूर्व उठकर कुछ बोलने से पहले स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद भगवान की पूजा करके मनु महाराज का ध्यान करना चाहिए।
मौनी अमावस्या को गंगा, यमुना एवं अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने का शास्त्रों में बड़ा महात्म्य बताया गया है। सोमवार के दिन मौनी अमावस्या पड़ने पर सबसे उत्तम माना जाता है। जिस वर्ष मौनी अमावस्या रविवार के दिन पड़ता है, उस दिन बहुत ही खास याोग बनता है।
शास्त्रों में बताया गया है कि रविवार के दिन मौनी अमवस्या हो और साथ में व्यतिपात योग एवं श्रवण नक्षत्र होने पर अर्धोदय योग बनता है। इस योग में सभी नदियां, सरोवर एवं तलाब का पानी गंगाजल के समान पवित्र हो जाता है।
पं. मुरली झा बताते हैं कि सृष्टि के प्रथम मनुष्य का जन्मदिवस प्रत्येक मनुष्य के लिए आदरणीय है। जाने-अनजाने हमारे मुंह को कोई अपशब्द न निकले इसलिए इसदिन मौन धारण करने की बात शास्त्रों में कही गयी है। बहुत से लोग इस दिन से कम बोलने की शपथ भी लेते हैं। इसलिए इस दिन को मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
जो लोग पूरे दिन मौन नहीं रह सकते उन्हें प्रातः सूर्योदय से पूर्व उठकर कुछ बोलने से पहले स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद भगवान की पूजा करके मनु महाराज का ध्यान करना चाहिए।
मौनी अमावस्या को गंगा, यमुना एवं अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने का शास्त्रों में बड़ा महात्म्य बताया गया है। सोमवार के दिन मौनी अमावस्या पड़ने पर सबसे उत्तम माना जाता है। जिस वर्ष मौनी अमावस्या रविवार के दिन पड़ता है, उस दिन बहुत ही खास याोग बनता है।
शास्त्रों में बताया गया है कि रविवार के दिन मौनी अमवस्या हो और साथ में व्यतिपात योग एवं श्रवण नक्षत्र होने पर अर्धोदय योग बनता है। इस योग में सभी नदियां, सरोवर एवं तलाब का पानी गंगाजल के समान पवित्र हो जाता है।
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