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04 March 2017

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, साहित्य एवं समाज में योगदान विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

संगोष्ठी में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व दिल्ली के 150 से ज्यादा प्रतिभागियों ने की शिरकत
ओढ़ां
हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी पंचकूला के सहयोग से कूका आंदोलन का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, साहित्य एवं समाज में योगदान विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन माता हरकी देवी महिला महाविद्यालय ओढ़ां में किया गया।
संगोष्ठी का शुभारंभ चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विजय कायत ने बतौर मुख्यातिथि दीप प्रज्वलित कर किया।
इस अवसर पर कॉलेज छात्राओं द्वारा सितार वादन की मनोहारी प्रस्तुति दी गई। उद्घाटन सत्र पर मुख्यातिथि डॉ. विजय कायत ने कहा कि ऐसी संगोष्ठियों का आयोजन शोध कार्यक्षेत्र में विकास के नये आयाम स्थापित करके व शोधार्थियों के सर्वांगीण विकास में अहम भूमिका का निर्वाह करता है। उन्होने कूका आंदोलन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कूकों के बलिदान की महत्ता बताई। प्राचार्या डॉ. शमीम शर्मा ने स्वागत भाषण द्वारा सभी अतिथियों का कॉलेज प्रांगण में आगमन पर हार्दिक अभिनंदन किया।  हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी पंचकूला के उपाध्यक्ष नरिन्द्र सिंह विर्क ने अध्यक्षीय भाषण द्वारा शोधार्थियों को शोधकार्य की उपयोगिता बताते हुए शोधकार्य करने के लिए प्रेरित किया। संगोष्ठी का आयोजन दो प्रमुख सत्र के अन्तर्गत किया गया।
प्रथम सत्र में प्रमुख वक्ता के तौर पर इतिहासविद् श्री स्वर्ण सिंह विर्क व पंजाब विश्वविद्यालय के प्रौफेसर डॉ. सुखदेव सिंह ने अपने विचार व्यक्त किये।

द्वितीय सत्र में लुधियाना से पधारे डॉ. हरपाल सिंह सेवक व मोगा से आए डॉ. तारा सिंह संधू ने मुख्य विषय पर अपने विचार व्यक्त किये एवं कूका आंदोलन की घटनाओं से शोधार्थियों को अवगत करवाया। यमुनानगर से पधारे विद्वान डॉ. गुरशरन सिंह ने कूका आंदोलन के सामाजिक पहलुओं को प्रकट करते हुए बताया कि इस पंथ के नायक सामाजिक सरोकारों से ओतप्रोत थे जिन्होंने सर्वप्रथम विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया व असहयोग आन्दोलन चलाया।
समारोह के अंत में संयोजक सचिव डॉ. हरमीत कौर ने संगोष्ठी के प्रमुख निष्कर्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि कूका आंदोलन के ऐतिहासिक पहलुओं को मद्देनजर रखते हुए पाठयक्रम में शामिल कर विद्यार्थी वर्ग तक पहुंचाना समय की मांग है। उल्लेखनीय है कि इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व दिल्ली से 150 से भी अधिक प्रतिभागियों ने शिरकत की और शोध-पत्र प्रस्तुत किये। साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष ने शोधालेखों के स्तर को देखते हुए घोषणा की कि शीघ्र ही कूका आंदोलन पर प्रस्तुत शोधालेखों का संकलन अकादमी की तरफ से प्रकाशित किया जाएगा। इस अवसर पर सचिव मंदर सिंह, डॉ. अमरजीत सिंह, डॉ. आशा कंबोज, डॉ. सर्वजीत कौर  डॉ. दिलराज सिंह और डॉ. हरविन्द्र सिंह सहित अन्य अनेक लोग मौजूद थे।

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