गांव बनवाला में स्थित पटवारघर में तपेदिक रोग के बारे में एक कैंप लगाया गया।
इस कैंप में सुपरवाइजर डॉ. विजय कुमार ने लोगों को संबोधित करते हुए बताया कि टीबी एक भयंकर रोग होता है जिसका उपचार करने हेतु डाटस प्रणाली द्वारा अनेक साधन उपलब्ध करवाए गए हैं। उन्होंने बताया कि अपने गांव तथा आसपड़ोस के डीटीसी और डीएमसी में पहुंचकर इसका उपचार करवाना चाहिए। यह रोग किटाणु द्वारा फैलने वाला रोग है और आमतौर पर यह रोग सांस के माध्यम से फैलता है। टीबी रोग शरीर के किसी भी भाग में हो सकता है। इससे बचने के लिए समयानुसार दवाई लेनी चाहिए। इस रोग के लक्षणों में खांसी, बुखार, बलगम और कमजोरी आदि मुख्य हैं। यदि दो सप्ताह या अधिक समय तक खांसी बलगम आदि हो तो डाक्टर से चैकअप करवाना चाहिए। यह रोग 80 से 85 प्रतिशत फेफड़ों में पाया जाता है जिसकी जांच केवल बलगम माइक्रोस्कोपी से संभव है। इसके उपचार के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि डाटस पद्धति में मरीजों का दो चरण में उपचार किया जाता है और केवल दो तीन माह में इसका उपचार हो जाता है। टीबी के मरीजों को पान, तंबाकू, सुपारी, बीड़ी, सिगरेट व शराब आदि से दूर रहना चाहिए ताकि इस रोग से शीघ्र छुटकारा मिले।
इस अवसर पर सरपंच भरत सिंह डुडी, लूनाराम जाखड़, रामकुमार पटवारी, श्रवण कुमार और कालूराम, एएनएम उपदेश कुमारी, वीणा देवी और पुष्पा किरण, आशा वर्कर गीता देवी, सुदेश कुमारी और बीरपाल, आंगनबाड़ी सेंटर से सरला देवी, लिछमा देवी, कृष्णा देवी और कमला देवी सहित अनेक गांववासी उपस्थित थे।
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