फ़ेसबुक के 10, बीबीसी हिंदी फ़ेसबुक के दस लाख
मंगलवार, 4 फ़रवरी, 2014
जिस बीबीसी हिंदी सेवा को आप पहले
रेडियो और फिर वेबसाइट के माध्यम से जानते थे वो 20 जुलाई 2011 को फ़ेसबुक
के ज़रिए आपकी सोशल ज़िंदगी से जुड़ी.
तब से अब तक बीबीसी हिंदी के फ़ेसबुक पन्ने पर दस
लाख लोग हमसे जुड़ चुके हैं. पाठकों के साथ ढाई साल का ये सफ़र हमारे लिए
बेहद सुखद रहा है.
हमारा फ़ेसबुक पन्ना वो माध्यम है
जिसके ज़रिए आप वेबसाइट और रेडियो से एक क़दम आगे सीधे बीबीसी की कवरेज से
जुड़ सकते हैं. यानी फ़ेसबुक पर आपके और हमारे बीच दूरी है केवल एक क्लिक
की.
ढाई साल के इस सफ़र में हमने लगातार आपको कई तरह
की कहानियों से जोड़ा और ये कोशिश की कि सोशल मीडिया की नब्ज़ पर हमारे
ज़रिए आपकी पकड़ हो. हमने आपको बताया कि फ़ेसबुक पन्नों से कैसे दुनिया भर
में लोग अपनी पहुँच बढ़ा रहे हैं.
सोशल मीडिया पर राजनीतिक हलचल
हमने आपको बताया कि किस तरह भारत की कई महिला पत्रकारों के साथ क्लिक करें
सोशल मीडिया में बदसलूकी हो रही है और इन महिलाओं को इनके काम
के लिए 'सामूहिक बलात्कार' की धमकियां दी जाती हैं. बीबीसी की इस ख़बर पर
हमारे फ़ेसबुक पाठकों ने जमकर अपनी क्लिक करें
प्रतिक्रिया सामने रखी और हमने कोशिश की कि इस दौरान आपको इंटरनेट पर होने वाली अभद्रता से क्लिक करें
निपटने के उपाय भी बताएँ.
फ़ेसबुक पर लाखों लोग फ़ोन के ज़रिए देश-दुनिया से जुड़े हैं और हमने अपनी ख़बरों के ज़रिए क्लिक करें
'कॉन्सटेंट कनेक्टिविटी' के इस माहौल को भी टटोला. पुलिस किस
तरह आपके फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल पर नज़र रखे है और सोशल मीडिया से क्यों लोग बन
रहे हैं शक्की इस तरह की कहानियां हमारे पाठकों ने काफ़ी शेयर कीं.
फेसबुक के कार्टून कलाकार
साथ ही हमने आपको बताया कि सोशल मीडिया पर फैले क्लिक करें
कार्टून कलाकारों और आम आदमी के 'सेंस ऑफ़ ह्यूमर' ने किस तरह नेताओं को 'क्लीन बोल्ड' कर दिया है.
हमारे बहुत से श्रोता शिक्षा और प्रवेश परीक्षाओं
की तैयारी के लिए बीबीसी से मिलने वाली जानकारी का लाभ उठाते हैं. शायद यही
वजह है कि करियर कॉर्नर नाम की हमारी पेशकश पाठकों के बीच बेहद लोकप्रिय
रही.
फ़ेसबुक एक ऐसी चौपाल है जहां मिल बैठकर हंसी चुहल
भी हो सकती है और कई मुद्दों पर बहस भी. महिलाओं की सुरक्षा, मुसलमानों को
एक ख़ास पहचान में बांधने की मानसिकता, खाप पंचायतों के फ़रमान या गांवों
में निराले अंदाज़ में फैलती मोबाइल और इंटरनेट तकनीक. मुद्दा कोई भी हो
फ़ेसबुक पर जब भी हमने कोई मुद्दा उछाला हमें आपकी राय भी मिली और कई सुझाव
भी.
हमारी आपकी फेसबुक गोष्ठी
बीबीसी हिंदी फ़ेसबुक के इस सफ़र में कई बड़े नाम
भी हमारे साथ जुड़े. वे लोग जिनकी बातें चैट के ज़रिए फ़ेसबुकिया अंदाज़
में हमने आप तक पहुंचाईं. फिर वे मनोज बाजपेयी, पियूष पांडेय या ब्रिजेंद्र
काला जैसे ऑफ़बीट बॉलीवुड कलाकार हों या उमा भारती और दिग्विजय सिंह जैसे क्लिक करें
तेज़ तर्रार नेता.
साहित्य जगत आमतौर पर मुख्यधारा की पत्रकारिता की
नज़र से दूर होता जा रहा है लेकिन बीबीसी पर नई से नई कोशिशों के ज़रिए
लगातार हमने आपको साहित्य से भी जोड़ा. फिर चाहे वो फ़ेसबुक या ट्विटर पर
शेर अर्ज़ करते क्लिक करें
शायरों की कहानी हो या हिंदी क्षेत्र के क्लिक करें
बड़े नामों के साथ कराई गई क्लिक करें
अजब-अनोखी फ़ेसबुक गोष्ठी.
जोड़ा आपको दुनिया से
बीबीसी फ़ेसबुक के ज़रिए हमने आपको दुनियाभर से
जोड़ने की कोशिश की है. एक महीना चली हमारी ख़ास सीरिज़ डिजिटल इंडियन ने
आपको डिजिटल क्षेत्र में दुनिया भर में तहलका मचा रहे भारतीयों से रुबरू
कराया. आपको मौक़ा दिया गूगल के बेन गोम्स, फ़ेसबुक से जुड़ी रुची सांघवी
और नौकरी डॉटकॉम के संस्थापक संजीव बिखचंदानी जैसे नामों को क़रीब से जानने
का.
बीबीसी हिंदी फ़ेसबुक पन्ने के ज़रिए हम आप तक केवल ख़बरें ही नहीं पहुंचाते बल्कि आपके साथ बातचीत का एक मंच खोलते हैं.
ये सफ़र की शुरुआत भर है और कई पड़ाव अभी बाक़ी
हैं. आने वाले दिनों में हम आपके बीच, आपके शहरों, स्कूल-कॉलेजों तक
पहुंचेंगे ताकि नए दौर में, नए औज़ारों के ज़रिए नई तरह से आपको अपनी बात
कहने का मौक़ा मिले.
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