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25 February 2017

जहां करोड़ों ब्रह्मांड राशियां सूक्ष्म रूप में दिखें वही है परमात्मा का परमधाम : नित्यानंद गिरी

ओढ़ां के राधाकृष्ण मंदिर में जारी श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह सम्पन्न

ओढ़ां
ओढ़ां की श्री श्री 108 बाबा संतोखदास गोशाला में स्थित राधाकृष्ण मंदिर में जारी श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के समापन पर ऋषिकेश से आमंत्रित कथा व्यास स्वामी नित्यानंद गिरी ने कृष्ण सुदामा की मैत्री कथा का वर्णन सुंदर शब्दों में करते हुये कहा कि 'देखि सुदामा की दीन दशा, करूणा करिके करूणानिधि रोये। पानी परात को हाथ छुओ नहीं, नैनन के जल सौं पग धोये।। अर्थात सुदामा की दीन दशा देखकर चरण धोने के लिये रखे गये जल को स्पर्श करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी। करूणासागर के नेत्रों की वर्षा से ही मित्र के पैर धुल गये।
भक्तों के लक्षण गिनाते हुये उन्होंने कहा कि पृथ्वी से धैर्य, वायु से संतोष और निर्लिप्तता, आकाश से अपरिछिन्नता, जल से शुद्धता, अग्नि से निर्लिप्तता एवं माया, चन्द्रमा से क्षण भंगुरता, सूर्य से ज्ञान ग्राहकता तथा त्याग की शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए।
स्वामी जी ने बताया कि श्रीमद्भागवत पुराण में काल गणना अत्यधिक सूक्ष्म रूप से की गई है। वस्तु के सूक्ष्मतम स्वरूप को परमाणु, दो परमाणुओं से एक अणु और तीन अणुओं से मिलकर एक त्रसरेणु बनता है। तीन त्रसरेणुओं को पार करने में सूर्य किरणों को जितना समय लगता है, उसे त्रुटि कहते हैं। त्रुटि का सौ गुना कालवेध होता है और तीन कालवेध का एक लव, तीन लव का एक निमेष, तीन निमेष का एक क्षण तथा पांच क्षणों का एक काष्टा, पन्द्रह काष्टा का एक लघु, पन्द्रह लघुओं की एक नाडि़का या दंड तथा दो दंडों का एक मुहूर्त, छह मुहूर्त का एक प्रहर अथवा याम होता है। उन्होंने बताया कि एक चतुर्युग (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलियुग) में बारह हजार दिव्य वर्ष होते हैं और एक दिव्य वर्ष मनुष्यों के तीन सौ साठ वर्ष के बराबर होता है। प्रत्येक मनु 7,16,114 चतुर्युगों तक अधिकारी रहता है। ब्रह्मा के एक कल्प में चौदह मनु होते हैं जो ब्रह्मा जी की प्रतिदिन की सृष्टि है। सोलह विकारों से बना यह ब्रह्मांडकोश भीतर से पचास करोड़ योजन विस्तार वाला है जिसके ऊपर दस दस आवरण हैं। ऐसी करोड़ों ब्रह्मांड राशियां जिस ब्रह्मांड में परमाणु रूप में दिखाई देती हैं वही परमात्मा का परमधाम है। श्रीमद्भागवत कथा के समापन अवसर पर बाबा संतोखदास गोशाला की ओर से स्वामी जी ने एक एक श्रद्धालु को मंच पर बुलाकर स्मृतिचिन्ह प्रदान किये। इस मौके पर गोशाला प्रधान रूपिंद्र कुंडर, अमर सिंह गोदारा, तेजाराम, कृष्ण शर्मा, विजय गोयल, हंसराज, मदन गोदारा, कृष्ण गोयल, बसंत लाल शर्मा, जीत सिंह कुंडर और दर्शन सिंह सहित बड़ी संख्या में महिला पुरूष श्रद्धालु मौजूद थे।

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