ओढ़ां
माता हरकी देवी महिला महाविद्यालय ओढ़ां की प्राचार्या डॉ. शमीम शर्मा ने अपनी फेसबुक वॉल पर एक कविता लिखकर लगाई थी जिस पर यूएन वूमेन की डिप्टी डायरेक्टर लक्ष्मी पुरी की नजर पड़ी तो उन्होंने यह कविता यूएन वूमेन की वेबसाइट पर लगाने का आदेश दिया है। इस सन्दर्भ में डॉ. शमीम शर्मा को यूएन वूमेन की ओर से मेल भी मिल चुकी है।
शमीम की अवधारणा है कि साहित्य ना केवल मानव मन की संवेदनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम है बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक बदलाव लाने में एक हथियार का काम करता है।
उल्लेखनीय है कि अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर डॉ. शमीम शर्मा को सिरसा की उपायुक्त शरणदीप कौर बराड़ ने सम्मानित करते हुये महिला मॉडल के खिताब से नवाजा। जिला सिरसा के महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से कल अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस का भव्य आयोजन पुलिस लाइन्स में किया गया था जिसमें विविध क्षेत्रों में योगदान देने वाली लगभग 10 महिलाओं को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर शमीम शर्मा ने अपनी हाल में प्रकाशित कविता 'अब मैं अपने पास हूं... का पाठ भी किया जो इस प्रकार है।
अब मैं अपने बहुत पास हूँ।
अपने मंगल सूत्र कंगन
टीके और तागड़ी के
सारे सोने को तोड़मरोड़ कर
अपनी रीढ़ को सजा लिया है
और वह फौलाद सी मज़बूत
दुनिया का सामना करने में
एक योद्धा की तरह तनी खड़ी है.
हिस्से आई मेहँदी और लिपस्टिक के रंगों से
रंगबिरंगे सपने रंग लिए हैं
जीवंत तस्वीरों का कोलाज बना लिया है
अब इंद्रधनुष मेरी हथेली पर सजा है.
अपने हिस्से की काजल और सुरमे की स्याही
लेखनी में सहेज कर
अपने भाग्य की
इबारत लिख ली है
किस्मत मेरी कलम के इशारे पर नाचती है अब.
अपनी चूडिय़ों की खनक
और पायल की रुनझुन के सारे संगीत को
अपनी मु_ी में भर रखा है मैंने
जब चाहता है सुनती हूँ गुनगुनाती हूँ
अपनी धुन में नाचती-गाती हूँ
किसी से कोई भी शिकायत
नहीं है आज मुझे
मन से मन की जि़न्दगी जी रही हूँ
जिसमें मेरी मजऱ्ी के रंग हैं
कवितायेँ हैं, संगीत है, स्वाद है
सपने पूरे होने के प्रमाणपत्र हैं
लोगों के तानों-उलाहनों से सात समुद्र की दूरी है
अब मैं अपने बहुत पास हूँ।
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