स्वाहा का निर्धारित अर्थ सही रीति से पहुंचाना होता है : दीपक भृगुवंशी
ओढ़ां
गोशाला रोड पर स्थित इच्छापूर्ण भगवान शनिदेव मंदिर ओढ़ां में अखिल विश्व कल्याण एवं रोग शांति हेतु श्रावण मास के पावन अवसर पर श्री रूद्राभिषेक सवा लाख महामृत्युंजय जाप व महायज्ञ में नौवें दिन पंडित दीपक भृगुवंशी की देखरेख में अन्य ब्राह्मणों ने जजमानों के हाथों मंत्रोच्चार के मध्य विधिवत पूजा अर्चना के साथ पूजन करवाते हुए 2501 आहुतियां पूर्णाहुति से पूर्व डालवाई।
इस अवसर पर उपस्थित अमित झूंझ, वीरपाल कौर, सीताराम थोरी, सरजो थोरी, चरणजीत सिंधू, गगन खुरल, रमनदीप सिमरा और बेलिया गोदारा सहित सभी श्रद्धालुओं को हवन यज्ञ के बारे में जानकारी देते हुए पंडित दीपक भृगुवंशी ने बताया कि हवन यज्ञ के दौरान मंत्र पाठ करते हुए स्वाहा का उच्चारण कर निर्धारित हवन सामग्री का भोग अग्नि के माध्यम से देवताओं को पहुंचाया जाता है और स्वाहा का निर्धारित अर्थ सही रीति से पहुंचाना होता है। कोई भी यज्ञ तब तक सफल नहीं माना जा सकता है जब तक कि हविष्य का ग्रहण देवता न कर लें। किंतु देवता ऐसा ग्रहण तभी कर सकते हैं जबकि अग्नि के द्वारा स्वाहा के माध्यम से अर्पण किया जाए। यहां अग्नि और स्वाहा संबंधी पौराणिक आख्यान भी बेहद रोचक हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार स्वाहा दक्ष प्रजापति की पुत्री और अग्निदेव की पत्नी थी तथा रोचक तथ्य है कि अग्निदेव अपनी पत्नी स्वाहा के माध्यम से ही हविष्य ग्रहण करके प्रसन्न होते हैं। इससे पूर्व शुभारंभ पर श्री गणेश गौरी पूजन तथा अंत में सामुहिक आरती एवं यज्ञ भस्म प्रसाद वितरित किया गया। इस मौके पर काफी संख्या में महिला पुरूष श्रद्धालु मौजूद थे।
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