हाल ही में हमने मज़ाक़ मज़ाक़ में बनने वाले एक शब्द ‘बोगस’ के बारे में बात की थी आज हम एक ऐसे शब्द के बारे में बात कर रहे हैं जिसकी उत्पत्ति में कई रोचक बातें शामिल हैं और यह शब्द भी अमरीका में ही पहली बार प्रयोग में आया.
आज का हमारा शब्द है ‘जीप’ (JEEP)
जी हाँ, यह वही गाड़ी है जो आज से पहले सबसे अधिक दिखने वाले वाहनों में आती थी और जिसे आज भी नागरिक जीवन और सेना में फ़ौजियों और सामानों को लाने ले जाने में बड़ी हद तक प्रयोग में लाया जाता है लेकिन फ़ौजियों को ढोने से पहले इसके बारे में कई रोचक बातें भी प्रचलित हुईं.जब यह अजीब सा बक्सानुमा वाहन (मानो जैसे माचिस की खुली डिब्बिया में पहिया लगा दिया गया हो) अपनी उत्पत्ति के दौर से गुज़र रहा था उसी दौरान यह शब्द ‘जीप’ अपने नए नए अर्थों में सामने आ रहा था.
चार पहियों वाली इस आधा टन भारी गाड़ी को अमरीकी फ़ौज के ख़ास उद्देश्य के लिए सितंबर 1940 में तैयार किया गया लेकिन इस के डिज़ाइन की तैयारी और इसके नाम की शुरुआत 30 के दशक में ही शुरू हो चुकी थी.
वास्तव में इसी प्रकार की एक गाड़ी का डिज़ाइन एक टैंक कैप्टेन ने 1932 में तैयार किया था लेकिन उसने उसका कोई नाम नहीं रखा था. उसके बाद से इस पूरे दशक में इसकी तैयारी में कम से कम तीन विभिन्न निर्माता शामिल रहे. इसी बीच शब्द जीप भी अपने विकास के चरणों से गुज़रता रहा.
उसी ज़माने में 16 मार्च 1936 में ‘यूजीन दी जीप’ (Eugene the Jeep) का पात्र पोपाइ कॉमिक्स (Popeye Comics) में शामिल किया गया. यह पात्र यूजीन देखने में यूं तो छोटा था लेकिन वह बहुत शक्तिशाली प्राणी था जोकि ‘जीप जीप’ चिल्लाया करता था.
शब्द जीप की इस पृष्ठभूमि और इसके विभिन्न अर्थों में प्रयोग ने फ़ौजी और आम जनता के इस नए वाहन को जीप का नाम दे दिया जोकि आने वाली नई नसल के लिए दुनिया भर में एक ही अर्थ में प्रयोग होने वाला शब्द बन गया.
और दूसरे विश्व-युद्ध में अमरीकी फ़ौजियों ने जीप और उसके अर्थ को पूरे विश्व में फैला दिया. विश्व-युद्ध के बाद जीप ने सामान्य नागरिक में अपनी पकड़ बनाई और इस डब्बे-नुमा चार पहिया वाहन (जो चारों ओर से खुली हुई होता था) का सामान्य और जोखिम भरे कार्यों के लिए प्रयोग में होने लगा.
यहाँ तक कि इस शब्द को बड़े अक्षरो में लिख कर इस ट्रेड मार्क के तौर पर प्रयोग में लाया गया. आज यह गाड़ी आधी शताब्दी पहले से कहीं अधिक पसंद की जाती है और इसका प्रयोग अधिकतर भारी कामों और दुर्गम रास्तों पर अधिक होता है.
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