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21 February 2017

ब्रह्मांड का सर्वोत्तम शिक्षालय है गर्भावस्था : नित्यानंद गिरी

ओढ़ां के राधाकृष्ण मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह

ओढ़ां
जननी जने तो भक्त जने, या दाता या शूर।
नहीं तो रहे बांझ भली, काहे गंवावे नूर....।।

 उक्त शब्द ओढ़ां की श्री श्री 108 बाबा संतोखदास गोशाला के प्रांगण में स्थित श्री राधाकृष्ण मंदिर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के दौरान ऋषिकेश से आमंत्रित कथा व्यास स्वामी नित्यानंद गिरी ने सोमवार को श्रीमद् भागवत कथा के आरंभ में श्रद्धालुओं को विशेष संस्कारों, स्थितियो एवं परवरिश के प्रतिफल का सुंदर व गहन ज्ञान वितरित करते हुये कहे।

उन्होंने बताया कि गर्भावस्था को सर्वोच्च शिक्षा केंद्र इसलिये कहा गया है क्योंकि मनुष्य गर्भावस्था के दौरान 9 माह में जितना सीखता हे उतना वो अपने 90 वर्ष के पूर्ण जीवनकाल में भी नहीं सीख सकता अर्थात 9 माह के संस्कार एक तरफ और 90 वर्ष के संस्कार एक तरफ। उन्होंने बताया कि उस समय मां का जो भाव होता है, जो संस्कार होता है, जो खानपान होता है तथा जो रहन सहन होता है, गर्भस्थ शिशु वो सब सहज ही सीख लेता है अत: उस समय हमारी बहन बेटियों को अत्यधिक सावधान रहने की आवश्यकता होती है। गर्भावस्था के दौरान मां को संतों की जीवनियां, भक्तों के चरित्र तथा भगवान की कथायें पढऩी और सुननी चाहिये ताकि तेजस्वी बालक पैदा हो। उन्होंने बताया कि शूरवीरों की गाथायें पढऩे व सुनने से शूरवीर बालक पैदा होते हैं। आज हमारे देश में भक्तों, शूरवीरों एवं दाताओं का अभाव इसलिये हो रहा है, क्योंकि हमारी मातायें आजकल महापुरूषों को जन्म नहीं दे रही हैं।

स्वामी नित्यानंद गिरी ने बताया कि प्रह्लाद जी अपनी मां के गर्भ से ही नवधा भक्ति के आचार्य बनकर पैदा हुये थे क्योंकि उनकी मां कयाधू भगवान की बहुत बड़ी भक्त थी और देवर्षि नारद जी का सत्संग करती थी। प्रह्लाद जी ने बचपन में एक घटना देखी जिससे उनके जीवन में आस्तिक्ता (भगवान के प्रति विश्वास) पैदा हो गई। एक कुम्हार ने भूलवश आवे में एक घड़े में रखे बिल्ली के बच्चों को आग के हवाले कर दिया। जब प्रह्लाद जी को इस बात का पता चला तो वे उनके लिये भगवान के समक्ष हृदय से प्रार्थना करने लगे तथा भगवान ने बिल्ली के बच्चों को बचा लिया। उस दिन के बाद प्रह्लाद जी को यह बात जंच गई कि जो परमात्मा बिल्ली के बच्चों की रक्षा कर सकता है वो मनुष्य के बच्चों की रक्षा क्यूं नहीं करेगा? इस विश्वास ने ही उनको दुष्ट हिरण्यकश्यप द्वारा दी गई सभी यातनाओं से सकुशल बचा लिया। अंत में उन्होंने सभी माताओं से विनम्र आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को धु्रव और प्रह्लाद के चरित्र अवश्य सुनायें।
इस मौके पर श्री हनुमत सेवा समिति के प्रधान जोतराम शर्मा, गोशाला के प्रधान रूपिंद्र कुंडर, जगदीश मायला, सूरजभान कालांवाली, भूषण गोयल ओढ़ां, धर्मबीर बैनिवाल बनवाला, मंजू देवी फूलकां, महावीर गोदारा, सतनारायण गर्ग, सतपाल घोडेला, सिरसा से लालचंद व अन्य, श्री करणी माता सेवा समिति बाजेकां से मदनलाल, रामकुमार व अन्य, मास्टर झम्मन लाल, मुखत्यार सिंह तगड़, हंसराज, विजय गोयल, राजू सोनी, रमेश कुमार, रामकुमार, अशोक कुमार और अमित कुमार सहित बड़ी संख्या में महिला पुरूष श्रद्धालु मौजूद थे।

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