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24 June 2017

डॉ. मुखर्जी के बलिदान के कारण ही जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है : देवकुमार

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिवस मनाया
ओढ़ां
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान के कारण ही जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है तथा उनके बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा। यह बात डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस के अवसर पर ओढ़ां मंडल के गांव पिपली में मंडल अध्यक्ष सतिंद्र गर्ग की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में देवकुमार शर्मा ने कही।
उन्होंने कहा कि 1926 में इंग्लैंड से बैरिस्टर बनकर स्वदेश लौटकर उन्होंने अपने पिता का अनुसरण करते हुए अल्पायु में ही विद्याध्ययन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएं अर्जित कर ली थीं। 33 वर्ष की अल्पायु में वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के सबसे कम आयु के कुलपति बने और एक विचारक तथा प्रखर शिक्षाविद् के रूप में उनकी उपलब्धि तथा ख्याति निरन्तर आगे बढ़ती गयी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सतिंद्र गर्ग ने कहा कि डॉ. मुखर्जी सच्चे अर्थों में मानवता के उपासक और सिद्धांतवादी थे। वे सावरकर के राष्ट्रवाद के प्रति आकर्षित हुए और हिन्दू महासभा में सम्मिलित हुए। अपनी विशिष्ट रणनीति से उन्होंने बंगाल विभाजन के मुस्लिम लीग के प्रयासों को पूरी तरह से नाकाम कर दिया। वे इस धारणा के प्रबल समर्थक थे कि सांस्कृतिक दृष्टि से हम सब एक हैं अत: धर्म के आधार पर विभाजन के वे कट्टर विरोधी थे। इस मौके पर बूटा सिंह घुकांवाली, मुखत्यार सिंह, मास्टर शामलाल पिपली, जगदीश चोरमार, धमेंद्रपाल टप्पी, चानन सिंह व संतोख सिंह पाना, स्वराज चठ्ठा, गुरतेज खोखर, सूरजभान व जयप्रकाश नुहियांवाली सहित काफी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे।

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