कितना काम आएगा कांग्रेस का ब्रह्मास्त्र
अमेठी से जब जीतकर आए 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद, तभी से उनके भावी प्रधानमंत्री होने की बातें शुरू हो गई थीं। उस समय नए थे, राजनीति की जानकारी कम थी, शासन चलाने का अनुभव बिल्कुल नहीं था, सो उनकी माता जी ने देश की बागडोर थमा दी डॉक्टर मनमोहन सिंह के हाथों में।
जब सोनिया जी के नेतृत्व में कांग्रेस दूसरी बार सत्ता में आई 2009 के चुनाव के बाद, तो तय था कि बिहार और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के बाद राहुल गांधी बन जाएंगे प्रधानमंत्री। बन भी गए होते, अगर इन दोनों राज्यों में कांग्रेस बुरी तरह हारी न होती। बिहार का गम शायद बर्दाश्त कर लेते राहुल जी और उनके चाहने वाले, लेकिन जब उत्तर प्रदेश के लोगों ने बेवफाई की उस परिवार के वारिस से, जो उनका अपना शाही परिवार माना जाता है, तो राहुल जी थोड़ी देर के लिए राजनीति से दूर हो गए।
ऐसे बीता तकरीबन पूरा 2012, फिर वापिस सक्रिय हुए राहुल जी राजनीति में पिछले साल, जब जयपुर के कांग्रेस सम्मेलन में उनको उपाध्यक्ष बनाया गया। इस जिम्मेदारी को उन्होंने जहर समझकर स्वीकार किया और हमने इसका मतलब यह समझा कि राहुल जी वास्तव में राजनीतिक जीवन से दूर रहना चाहते हैं। राजनीति में हैं अगर, तो सिर्फ इसलिए कि वह इसको अपनी मजबूरी समझते हैं। ऐसा न था। अपनी माता जी की तरह वह दूर रहना चाहते थे किसी चीज से अगर, तो उत्तरदायित्व से। सो, कांग्रेस का उपाध्यक्ष बन जाने के बाद खूब अफवाहें फैलीं दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय से कि राहुल जी खुद प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे, बल्कि किसी और को यह जिम्मेदारी सौंपना पसंद करेंगे। कई नामों को लेकर अटकलें लगनी शुरू हो गईं, लेकिन यह सब चल ही रहा था कि नरेंद्र मोदी आ टपके राष्ट्रीय राजनीति के मंच पर धमाकेदार अंदाज में।
उन्हीं के कारण अब कांग्रेस राहुल गांधी का नाम सामने रखकर तैयारी कर रही है अगले चुनाव की। किसी को अगर कोई शक है कि राहुल जी नंबर वन हैं हमारे सबसे पुराने राजनीतिक दल में, तो कांग्रेस के नए पोस्टरों पर जरा नजर डालें, जिनमें राहुल जी की सारी तस्वीरों के साथ दिखेंगे आपको ये शब्द, राहुल जी के नौ हथियार, दूर करेंगे भ्रष्टाचार। इन शब्दों के नीचे आप पढ़ सकेंगे उन नए-नए कानूनों के बारे में, जिनके तहत राहुल जी भ्रष्टाचार दूर करना चाहते हैं।
लंबे अरसे से देश पर राज करने के बाद कांग्रेस पार्टी जानती है कि जनता को बेवकूफ बनाया जा सकता है, सो अगले चुनाव का खास संदेश यही होगा कि बेशक यूपीए-2 सरकार पर दाग है भ्रष्टाचार का, लेकिन इससे राहुल जी का कोई वास्ता नहीं। न वह प्रधानमंत्री थे, न मंत्री यानी उनको एक नया राजनेता, नौजवानों का हृदय सम्राट समझकर वोट दीजिए। इस बात को सच साबित करने के लिए पहली बार राहुल गांधी खुद पत्रकारों और आम लोगों से मिलने की कोशिश कर रहे हैं, और यह भी स्पष्ट करना चाहते हैं कि उनकी बहन, प्रियंका, राजनीति में नहीं आने वाली हैं। यह स्पष्ट करना जरूरी हो गया था, क्योंकि कुछ ही दिन पहले छिड़ गई थी बात प्रियंका का कांग्रेस का ब्रह्मास्त्र होने की। अब ब्रह्मास्त्र हैं अगर बाकी कांग्रेस के पास, तो उस ब्रह्मास्त्र का नाम है राहुल गांधी। क्या यह ब्रह्मास्त्र नरेंद्र मोदी और आम आदमी पार्टी का नाश कर पाएगा? इस सवाल का जवाब कुछ ही महीनों में देगी इस देश की जनता।
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