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15 February 2017

तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन्न समारोह 


साहित्यकारों का राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान : कृषि मंत्री


सिरसा 15 फरवरी।
 साहित्यकारों का राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है। समाज की नवज को पहचानकर साहित्यकारों द्वारा अपने कृतियों, लेखों आदि का  सृजन किया जाता है और समय के हिसाब से तैयार की गई इन रचनाओं से आने वाली पीढि़यां लाभान्वित होती है। 


    ये विचार हरियाणा सरकार के कृषि मंत्री श्री ओमप्रकाश धनखड़ ने आज चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के बहुउद्ेश्शीय हॉल में अंग्रेजी विभाग द्वारा शेक्सपियर की रचनाओं पर आधारित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन्न समारोह में बतौर मुख्यअतिथि बोलते हुए व्यक्त की। कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने विधिवत रूप सेे सरस्वती मां के समक्षदीप प्रज्जवलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया। 
उन्होंने कहा कि शेक्सपियर के कृतियों में भी हमें रोमन नाटकों का परिवर्तित रूप मिलता है और उनके नाटकों की खासियत ये है कि उनके अन्दर सुखद व दुखद दोनों ही प्रकार की घटनाओं का उल्लेख मिलता है। इस अवसर पर उन्होंने प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र भी वितरित किये। इन नाटकों की खुबी यह भी है कि इनमें पात्रों के अन्तरद्धंद्ध की स्थिति भी झलकती है जिससे उनके सभी पात्र जीवान्त प्रतीत होते हैं। उन्होंने बड़े ही बेहतरीन ढ़ंग से विद्यार्थियों को लक्ष्य निर्धारित करके जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया ताकि वे अच्छे पदों पर आसीन होकर समाज व राष्ट्र के नवनिर्माण में अपना पूरा योगदान दे सकें। उन्होंने कहा  कि शेक्सपियर के विचारों के आज भी प्रासंगिकता है और उन द्वारा लिखित नाटकों को पढ़ने से पता चलता है कि व्यक्ति का पतन के पीछे मुख्यतः तीन कारण होते हैं प्रथम व्यक्ति का स्वभाव द्धितीय निर्णायक क्षमता की कमी और तृतीय चरित्र शामिल हैं। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को अपनी ऊर्जा का सही इस्तेमाल करने के लिए अध्यात्तम की तरफ भी ध्यान देना चाहिए ताकि अच्छे संस्कार विकसित किये जा सकें।
 
    इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 विजय कायत ने की और उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति है। उन्होंने कहा कि यदि भारतीय इतिहास पर नजर डालेंगे तो पायेंगे कि शिक्षा के क्षेत्र में भारत विश्व के अग्रणी राष्ट्रों में रहा है नालंदा और तक्षशीला जैसे विश्वविद्यालयों ने भारत का नाम विश्व के मानचित्र पर रोशन किया है। उन्होंने कहा कि शेक्सपियर व कालीदास जैसे लेखकों लेखकों एवं बृद्धीजीवियों ने समाज के अन्दर मानवीय मूल्य विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति के अन्दर विश्व की लगभग सभी संस्कृतियों की झलक दिखती है। इस अवसर पर मेहमानों का स्वागत विभाग की अध्यक्षा प्रो0 अन्नु शुक्ला ने किया। तीन दिन की गतिविधियों का ब्यौरा विभाग की प्राध्यापिका डा0 सीमा मिगलानी ने दिया और मेहमानों का धन्यवाद प्रो0 उमेद सिंह ने किया। इस अवसर पर महिला विकास निगम की अध्यक्षा श्रीमती रेणु शर्मा,  जिला भाजपा अध्यक्ष श्री यतिन्द्र सिंह एडवोकेट, वरिष्ठ भाजपा नेता डा0 वेद बेनिवाल, पूर्व विधायक मनीराम केहरवाला, श्री अमन चौपड़ा, विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो0 असीम मिगलानी, प्रो0 राजकुमार सिवाच, प्रो0 जे0एस0 जाखड़, प्रो0 दिलबाग सिंह, कार्यकारी अभियन्ता एस0के0विज, राजेश छिकारा, श्री आदित्य चौटाला, श्री प्रदीप रातुसरिया, राजेन्द्र सिंह देसुजोघा, धर्मपाल बिसल्ला, जगत ककड़, श्री सुशील बामनिया, कर्ण दुग्गल, नरेश गुज्जर, राजेन्द्र रेणु, अमित मेहता, रोहतास जांगड़ा, दिनेश पंवार आदि उपस्थित थे।  

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