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15 February 2017

सिरसा में एक बेटी ने पत्र में लिखी अपनी दर्द भरी दास्तां, कृषि मंत्री ने तुरंत भेजी मदद

सिरसा से हिसार पहुंचने से पहले ही कर दिया अमल 

सिरसा, 15 फरवरी
मैं मेरे दादा-दादी के पास रहती हूं, दादा को वेतन नहीं मिला और मेरी पढाई प्रभावित हो रही है और वर्दी तक की दिक्कत है। यह दर्द भरी पक्तियां लिखी थी प्रियंका ने।
अपना दर्द एक कागज पर लिखते वक्त प्रियंका ने अपना पता या ठिकाना तो दूर अपने दादा-दादी का नाम तक नहीं लिखा। यही दर्द भरा कागज प्रियंका ने किसी तरह हरियाणा के कृषि मंत्री ओपी धनखड़ के हाथों तक पहुंचा दिया। कृषि मंत्री के हाथ कागज आया तो उन्होंने तुरंत इस दर्द को महसूस किया और बिटिया की खोज करवाकर तुरंत 11 हजार की मदद भिजवाई। साथ ही महकमे को वेतन देने के भी आदेश दिए। मदद मिलने के बाद परिवार जहां प्रसन्न है वहीं वे कृषि मंत्री का आभार भी जताते हैं। कहते हैं कोई मंत्री इतना दयालु भी होता है, इसका सुखद एहसास उन्हें हुआ है। 

उल्लेखनीय है कि आम तौर पर छोटे बच्चे मंत्री को कागज देने नहीं आते, मगर सिरसा में एक छोटी बच्ची ने कागज दिया तो कृषि मंत्री के मन मंे  यह बात कौंध गई। सिरसा मंे कार्यक्रम करने के बाद जैसे ही मंत्री गाड़ी मंे बैठे तो उन्होंने वह बच्ची वाला कागज मांगा। उस कागज पर लिखने वाली प्रियंका ने लिखा था उसके माता-पिता की बचपन मंे मृत्यु हो गई थी और वह अपने दादा-दादी के साथ रहती हूं।
उसके दादा मत्स्य विभाग में है। मगर 9 महीने से वेतन नहीं मिला। इसलिए स्कूल में भूखे तक भी जाना पड़ता है। वर्दी तक के पैसे नहीं हैं। इन शब्दों ने मंत्री को अंदर तक हिला दिया। मंत्री ने तुरंत उस लड़की को ढूढने को कहा। चिट्ठी मंे लिखे इस क्लू से कि उसके दादा मत्स्य विभाग में हैं, मंत्री ने इसी से  अधिकारियों के माध्यम से पता लगाया कि कौन व्यक्ति है जिसका वेतन नहीं मिला और परिवार मुश्किल में है। डीएफओ के माध्यम से पता चला कि बलवंत सिंह नाम व्यक्ति मत्स्य विभाग में डेलीवेजिज पर काम करता है। इस परिवार का घर ढूढा गया और  मंत्री ओपी धनखड़ ने तुरंत परिवार की इस बेटी को अपनी ओर से सुरेंद्र आर्य के माध्यम से 11 हजार की मदद भिजवाई। डीएफओ को भी उनके घर भेजा।  डीएफओ को यह भी निर्देश दिए कि तत्काल प्रभाव से बलवंत सिंह का वेतन  दिलाएं। 

 मदद पाने वाली छात्रा प्रियंका सरकारी स्कूल मंे आठवीं कक्षा मंे पढ़ती है। प्रियंका का कहना था कि बहुत दिनांे से पैसों के अभाव मंे तंग हो रहे थे तो मेरे मन में आया कि मैं सरकार को चिट्ठी लिखूंगी। संयोग से मंत्री हमारे यहां आ रहे थे, हमें दादा के माध्यम से पता लग गया इसलिए मैंने उन्हें अपने दर्द की चिट्ठी लिख दी। मगर कुछ देर मंे ही उन्हंे मदद मिल जाएगी, ऐसा नहीं सोचा था। चिटठी तो दादा की तनख्वाह के लिए लिखी थी। प्रियंका और उसकी दादी सावित्री से फोन पर बात की गई तो प्रियंका ने धन्यवाद किया। जबकि उसकी दादी सावित्री ने तो आशीष की झड़ी लगा दी।

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