सिरसा, 7 मार्च। हैजा जैसी बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए जिलाधीश श्रीमती शरणदीप कौर ने आदेश पारित कर गले सड़े फल, सब्जियां, कटे हुए फल-सब्जियां, अप्रमाणित बर्फ की कुल्फियों, आईसक्रीम, बर्फ के गोलों आदि की बिक्री पर पूर्णत: पाबंदी लगा दी गई है।
जिलाधीश श्रीमती शरणदीप कौर बराड़ ने एपीडैमिक डिजीज एक्ट 1897 की धारा 2 के तहत राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना नंबर 46/3/73-5 एचबीआईआई की अनुपालना में गले सड़े फल, सब्जियां, कटे हुए फल-सब्जियां, अप्रमाणित बर्फ की कुल्फियों, आईसक्रीम, बर्फ के गोलों आदि की बिक्री पर पूर्णत: पाबंदी लगा दी गई है। आदेशों की अवहेलना करने वालों के खिलाफ नियमानुसार कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। उन्होंने बताया कि स्टेट बैक्टरियोलॉजिस्ट करनाल, मैडीकल कॉलेज रोहतक के माइक्रोलोजी विभाग या स्थानीय सामान्य अस्पताल के वाटर लैब के इंचार्ज द्वारा प्रमाणित पानी या पानी से बनी वस्तुएं का ही प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ-साथ फलों, जूस, गन्ने का रस, केक, मिठाईयां, बिस्कुट और अन्य प्रकार की खाद्य वस्तुओं को खुले में दर्शाने पर रोक लगाई गई है। जिलाधीश ने विभिन्न अधिकारियों को अधिकृत किया है जो जिला के विभिन्न स्थानों पर जाकर खाद्य एवं पेय पदार्थों की जांच करेंगे। इन अधिकारियों में स्थानीय सिविल सर्जन, सभी एक्जीक्यूटिव मैजिस्ट्रेट, कार्यक्रम अधिकारी जैसे डिप्टी सिविल सर्जन (हैल्थ), डिप्टी सिविल सर्जन (मैडीकल), डिप्टी सिविल सर्जन (मलेरिया), डिप्टी सिविल सर्जन (टीबी), डिप्टी सिविल सर्जन (स्कूल स्वास्थ्य), डिप्टी सिविल सर्जन (परिवार कल्याण), डिप्टी सिविल सर्जन (प्रशिक्षण), जिला के सभी वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी, चिकित्सा अधिकारी, नगरपरिषद के कार्यकारी अधिकारी, नगरपालिकाओं के सचिव, खाद्य निरीक्षक, वरिष्ठ सैनेटरी इंस्पेक्टर तथा जिला के सभी हैल्थ सुपरवाईजर शामिल है। अप्रमाणित वस्तुएं पाए जाने पर अधिकारियों द्वारा उन्हें जब्त कर नष्ट किया जाएगा।
आदेशों के तहत जिला के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में पेयजल स्त्रोतों, कुओं, जलघरों के आसपास व्यक्तियों और पशुओं के नहाने पर भी रोक लगाई गई है। इसके अलावा जिस रोगी को उल्टी, दस्त लगे हो को भी सार्वजनिक वाहन में ले जाने पर रोक लगाई है। जिला में जिलाधीश की इजाजत के बगैर किसी भी मेले इत्यादि का आयोजन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिस भी क्षेत्र में हैजा से सम्बन्धित बीमारी पाई जाती है तो उस क्षेत्र के प्रतिनिधियों एम सी, सरपंच व संस्थान के मुखिया द्वारा शीघ्र ही सिविल सर्जन को रिपोर्ट देनी अनिवार्य है। पुलिस अधीक्षक सिरसा ने सभी थाना प्रबंधकों को निर्देश दिए है कि वे जरुरत पडऩे पर जांच करने वाले अधिकारियों को पुलिस सहायता मुहैया करवाए। यह आदेश 31 दिसम्बर 2017 तक लागू रहेंगे।
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