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04 June 2017

हाव भाव के साथ प्रदर्शित की गई गतिविधि ही नृत्य कहलाती है : सुशील सारस्वत

नुहियांवाली के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में जारी है सात दिवसीय समर कैंप
ओढ़ां
खंड ओढ़ां के गांव नुहियांवाली के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में जारी सात दिवसीय समर कैंप के दौरान शनिवार को तीसरे दिन का शुभारंभ सरस्वती वंदना से किया गया।

सर्वप्रथम नृत्य प्रशिक्षक सुशील सारस्वत ने विद्यार्थयों को नृत्य के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि नृत्य चौंसठ कलाओं में से एक कला है। हावभाव के साथ की गयी गतिविधि को नृत्य कहा जाता है। नृत्य का इतिहास मानव इतिहास जितना ही पुराना है जिसका उल्लेख वेदों में मिलता है। उन्होंने बताया कि नृत्य मानवीय अभिव्यक्तियों का एक रसमय प्रदर्शन है जिसका जन्म भी मानव जीवन के साथ हुआ है। भारतीय नृत्य शास्त्रीय और लोक नृत्य दो प्रकार का नृत्य है। जिस प्रकार भारत में कोस कोस पर पानी और वाणी बदलती है उसी प्रकार नृत्य की अनेक शैलियां है। सारस्वत ने पंजाबी लोक संगीत व लोक नृत्य भांगड़ा की जानकारी दी कि यह ढोलक की ताल व कदम से कदम मिलाकर किया जाता है। खुशी के माहौल पर धमाल के साथ किया जाता है। भांगड़े में रूचि लेते हुए विद्यार्थियों ने भांगड़ा के स्टेप सीखे। संगीत प्रशिक्षक रणजीत सिंह और सतीश कुमार ने विद्यार्थियों को नई सरगमें सारेगा रेगामा गामापा मापाधा पाधानी धानीसा व सारेगामा रेगामापा गामापाधा मापाधानी पाधानीसा आरोह-अवरोह में सुरताल के साथ गाना सिखाया। बीलावल थाट और केहरवा, दादरा व तीन ताल की जानकारी दी। इस मौके पर हिंदी व्याख्याता पवन देमीवाल ने हरियाणवी रागणी 'बचपन का टेम याद आग्याÓ तथा सुनीता एंड पार्टी ने 'बता मेरे यार सुदामाÓ सुनाया। कला एवं शिल्प प्रशिक्षकों ने विद्यार्थियों को पोस्टर कलर के प्रयोग के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इसका प्रयोग सावधानी पूर्वक करना चाहिए। उन्होंने बताया कि अलग अलग रंगों के लिए अलग अलग ब्रश का प्रयोग करें तो पेंटिग सही बनती है। इस मौके पर प्रधानाचार्य अमनपाल, प्रीतम सिंह, बुटा सिंह, हरपाल सिंह, पवन देमीवाल, नीलकिरण शर्मा, माड़ूराम, म्यूजिक टीचर सतीश कुमार, रणजीत सिंह, सुशील सारस्वत, आर्ट एंड क्राफ्ट टीचर प्रिंस कुमार सहित अन्य स्टाफ सदस्य तथा विद्यार्थी उपस्थित थे।

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