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17 March 2017

परंपरागत फसलों के साथ नगदी फसलों का उत्पादन कर किसान मजबूत करें आर्थिक स्थिति

सिरसा, 17 मार्च। उत्पादन क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से आज किसान अपनी फसलों में तरह-तरह के कीटनाशक व खादों का प्रयोग कर रहे हैं जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति कम होती जा रही है। 
उक्त विचार हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के सेवानिवृत प्रो. पी.पी. जैन ने स्थानीय कृृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित कृषि मेले में किसानों को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि फसलों का उत्पादन बढ़ाने व अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से ऑर्गेनिक खेती को अधिक से अधिक अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि परंपरागत फसलों के साथ-साथ नगदी फसलों का उत्पादन भी करना चाहिए ताकि किसान अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सके। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे इस प्रकार से आयोजित होने वाले कृषि मेलों में अधिक से अधिक भाग लेकर तकनीकी जानकारी प्राप्त करें और फसलों का उत्पादन बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि फसलें अधिक होगी तो किसानों को लाभ होगा तथा उनका जीवन स्तर ऊंचा होगा।
इस मौके पर कृषि विज्ञान केंद्र में बीजों व दवाओं की अलग-अलग स्टालें लगाई हुई थी जिन पर पहुंच कर किसानों ने तकनीकी जानकारी प्राप्त की। इस अवसर पर किसानों ने परंपरागत खेती को छोड़ कर नकदी फसलों व अन्य फसलों को अपना कर मोटा मुनाफा कमाने के गुर सीखे। इस अवसर पर कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों की फसलों में होने वाले बीमारियों के समाधान के तौर तरीके बताए। वैज्ञानिकों ने किसानों से कहा कि इन मेलों के माध्यम से बहुत लाभदायक जानकारी मिलती है जिससे किसान लाभ उठा कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं। इस अवसर पर किसानों ने बताया कि इस प्रकार के मेलों से ही लाभ लेकर आज वे परंपरागत खेती को छोड़ कर फूल, सब्जी व तरह-तरह की पौध तैयार कर अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। किसानों ने बताया कि इस प्रकार के मेलों में वे बढ़चढ़ कर भाग ले रहे हैं। 
इस अवसर पर वार्ड न. 5 से पार्षद सुमन शर्मा के साथ आई महिलाओं ने किसान मेले में लगी हुई स्टॉलों में पहुंच कर विभिन्न चीजों के बारे में जानकारी हांसिल की। श्रीमती सुमन शर्मा ने महिलाओं को हरियाणा सरकार द्वारा चलाई गई केशलेस योजना के बारे में भी जानकारी दी। 
इस मौके पर सेवा निवृत डा. मिल्खराज, मिट्टी वैज्ञानिक डा. विनोद कुमार, डा. दलीप कुमार, डा. पवन कुमार, डा. ओम प्रकाश, डा. एमएस भादू, डा. कुलवीर सिंह, डा. नरेश कुमार सहित अन्य कृषि वैज्ञानिक उपस्थित थे।

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