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23 February 2011

लघु नाटिका व वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया

सिरसा, 23 फरवरी। वायुसेना केन्द्र में महिला सशक्तिकरण को आगे बढ़ाने व महिलाओं को भारतीय सेना की और आकर्षित करने के उद्देश्य से आज यहां एयरफोर्स वाईफस वैलफेयर एसोसिएशन के सौजन्य से एक लघु नाटिका व वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता अफवा की अध्यक्षा श्रीमती आशिमा सभ्रवाल ने की। विशेष अतिथि श्रीमती दिव्या गुप्ता धर्मपत्नी पुलिस अधीक्षक सतेन्द्र गुप्ता थीं। समारोह का आयोजन 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रुप में मनाने के उपलक्ष्य को लेकर किया गया था।
    श्रीमती आशिमा सभरवाला ने कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण से जुड़े कार्यक्रम आगामी दो सप्ताह तक यानी 8 मार्च तक जारी रहेंगे। इस कार्यक्रम के तहत कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा तथा साक्षरता जैसे अति महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील मुद्दों के प्रति नारी शक्ति को जागृत करने के लिए अफवा ने महिला उत्सव के कार्यक्रम का 15 दिन पहले ही आगाज करने की पहल की है।
    उन्होंने यह भी बताया कि गत वर्ष अफवा द्वारा गांव मीरपुर की महिलाओं को साक्षर बनाने की ओर ठोस कदम बढ़ाए जिसमें शत् प्रतिशत सफलता भी मिली। उन्होंने अफवा (एल) सदस्यों की कार्यक्रमों की सफलता में अहम भूमिका की प्रशंसा की।
    इस अवसर पर सांस्कृतिक लघु नाटिका में अशिक्षा और रूढि़वादिता पर जबरदस्त व्यंग्य किया गया और लघु नाटिका के माध्यम से बताया कि आज घर के आंगन चूल्हे चौके तक ही सीमित नहीं है बल्कि भारतीय सेनाओं के साथ-साथ वायुसेना में भी देश की सरहदों की रक्षा करने में भी तत्पर है। आज वायुसेना के विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर देश की बेटियां शोभायमान है। इसके साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में देश की बेटियों ने सफलता के झंडे गाड़े है। इसलिए आमजन को चाहिए कि वे उनकी बेटियों की परवरिश बेटों से भी बढ़कर करे ताकि राष्ट्र निर्माण में लड़कियां भी उतना ही योगदान दे सके जितना लड़के देते है।
    नाटिका में आगे विडम्बना भी दिखाई गई कि जुड़वां बच्चियों में एक काली तथा दूसरी बच्ची गोरे रंग की है। बच्चे-बच्चियों के रंग को लेकर यह अत्यंत मार्मिक प्रस्तुति रही। काले रंग की बच्ची को गोद देने के बहाने त्याग दिया जाता है जिसे उसके दत्तक माता-पिता शिक्षित बना वायुसेना की उच्च अधिकारी बना देते हैं जबकि गोरे रंग की बच्ची को दहेज से लाद देने के बावजूद दहेज के लोभियों द्वारा अत्याचारों की अंतिम सीमा तक प्रताडि़त किया जाता है। अंत में काले रंग रूप लिए बहन उसकी हर तरह से मदद करती है।
    नाटक में श्रीमती ऋतु कश्यप, शीतल दवेन, पूनम राय, नीता गुप्ता, शांति वर्मा, मधु डोगरा, सुप्रणा पांडे, साधना पायेन आदि कलाकारों ने रंग भर दिया। इस नाटक को सफल बनाने में श्रीमती हेमा लूदरा व श्रीमती अटबाल का विशेष सहयोग रहा।

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