गंजा, कंघी, तेल और बाल
उन्होंने यह नहीं बताया कि ये गंजे कौन हैं? वे कौन-सी वजहें थीं, जिसकी वजह से गंजत्व इस स्तर पर फैल गया? आखिर कंघी बेचने का धंधा उफान पर कैसे आया?
जो गंजों की हेयर कटिंग में लगे बताए गए हैं, उनकी दुकान की साख कैसे बनी? क्या कोई ऐसा तेल भी बेचता रहा है, जिसे सिर पर लगाने से लोग गंजे हो गए? आखिर यह तेल कौन-सी पार्टी बना रही थी?
यदि गंजे कर देने वाले तेल के परिणामस्वरूप गंजों को कंघी बेचने और उनकी हेयर कटिंग करने वालों को मौका हाथ लगा है, तो क्या बाल उगाने का नया तेल भी ईजाद किए जाने की योजना है?
मैंने ये सवाल उनसे पूछा, जो कांग्रेस के दफ्तर से चाय पीकर आ रहे थे। वे भाजपा के एक लीडर को चाय बेचने वाले की हैसियत तक रहने का सुझाव देने वाले नेता से बात करके निकले थे। बहुत प्रसन्न थे।
उन्हें उम्मीद थी कि अगली बार चाय बेचने वाले के हाथ से चाय पीने-पिलाने का मौका वही सज्जन उपलब्ध कराएंगे।
'क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि एक चाय से इतना खुश होने की कोई वजह नहीं बनती।'
'मैं चाय से खुश नहीं हूं। चाय पिलाने वाले की अदा से खुश हूं।'
'आपको इस बात से भी खुश होना चाहिए कि आपके सिर पर बाल हैं।'
'बालों का खुशी से क्या संबंध है?'
'वही जो चाय का चाय पिलाने वाले की अदा से है।'
'मैं ठीक से शैंपू करता हूं। गंजों को लेकर मेरे मन में सद्भावना है। यदि कोई उन्हें कंघी बेच रहा है, तो यह खतरनाक बात है। यह जनतंत्र की भावना के विरुद्ध तो है ही, कंघी के व्यवसाय तथा बालों की गरिमा के भी विरुद्ध है। मैं इसकी घोर निंदा करता हूं।'
'क्या आप उन गंजों को जानते हैं, जिन्हें कंघी बेचने की बात उन भावी प्रधानमंत्री ने कही है। उनके मुताबिक इन गंजों की हेयर कटिंग का मार्केट भी चल निकला है।'
'भावी प्रधानमंत्री दूरदर्शी हैं। वे जनता के अलावा किसी की बात नहीं करते। यदि उन्होंने कहा है कि गंजों को कंघी बिक रही है या उनकी हेयर कटिंग हो रही है तो हो रही है।'
'यानी जनता और जनतंत्र में ही गंजत्व का रेकॉर्ड माहौल बना हुआ है। यदि जनता इस स्तर पर गंजी हुई जा रही है और ऊपर से कंघी खरीदने और हेयर स्टाइल में दीवानी हुई जा रही है, तो देश का क्या होगा?'
'मुझे विश्वास है कि देश में तेल और हेयर प्लांट का नया ऑपरेशन चलाया जाएगा। यह भाईचारे, प्रेम और इज्जत की परंपरा को बचाए रखने का सवाल है। हम गंजों के साथ इस छल को थोड़े ही होने देंगे।'
'क्या आप इसकी भी तहकीकात कराएंगे कि जनता गंजी कैसे हुई या गंजी जनता को कंघी उसे गंजा बनाने वाले नहीं बेच रहे हैं?'
'आप सिर पर केश-सौंदर्य के विरोधी हैं। आप जैसे लोग जनता की आत्मा गंजी कर देंगे।'
उनका चेहरा तमतमाने लगा। ऐसा लगा, जैसे वे अभी उठेंगे और जनता के बीच आईना लेकर चल पड़ेंगे।
एक-एक को उसका गंजत्व दिखाएंगे, कंघी वालों को निपटाएंगे और हेयर कट वालों को जंतर-मंतर तक खदेड़ कर आएंगे।
वे अपने ही बनाए भारत को फिर बनाने की भारी जिम्मेदारी के साथ तेल का उत्पादन बढ़ाने की व्यवस्था कर देंगे। गंजी जनता के सिर पर फिर से बाल उगाएंगे।
'तेल का ठेका किसे मिलेगा?' मैंने उनसे पूछा।
उनकी आंखें खान मंत्रालय से होते हुए संचार मंत्रालय से निकलकर कॉमनवेल्थ स्टेडियम तक फैलीं। फिर मेरी ओर हिकारत से देखते हुए जनपथ की ओर गायब हो गए। पता चला है कि वे स्वयं विग की फैक्टरी खोल रहे हैं। जनता जो गंजी है, उसे उसी विग का इंतजार है।
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