14 फरवरी भारत के इतिहास में काला दिन : एडवोकेट कंवरजीत चहल
यही है वो मनहूस दिन जब शहीद भगत सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई थी
ओढ़ां
हमारे देश के युवा जो 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे जैसे पश्चिमी दिवस मनाते हैं, उनको संभवत: यह ज्ञान ही नहीं होगा कि 14 फरवरी को हम भारतीय काले दिवस के रूप में मनाते हैं क्योंकि यही वो मनहूस दिन है जब शहीद भगत सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई थी।
ये उद्गार राजकीय मिडल स्कूल सालमखेड़ा में शहीद भगत सिंह की स्मृति में आयोजित एक कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि बोलते हुये किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष एडवोकेट कंवरजीत चहल ने कहे। शहीद भगत सिंह के चित्र पर पुष्प अर्पित करके कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुये उन्होंने कहा कि शहीद भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव 23 मार्च 1931 को देश के लिये हंसते हंसते फांसी पर झूल गये थे। हमें उन वीर शहीदों को हमेशा याद रखना चाहिये। धरने पर बैठे लोगों के बारे में उन्होंने कहा कि हमें भाईचारा और सद्भावना बनाये रखना चाहिये।
अध्यापक संदीप कुमार ने कहा कि हमारी संस्कृति सबसे पुरातन होने के साथ साथ अपने में जिन संस्कारों को संजोए हुये है उनसे विमुख होकर हमारी युवा पीढ़ी पश्चिम की झूठी चकाचौध की ओर आकर्षित हो रही है जो चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा कि यह दिन हमारे शहीदों को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने का दिन है जिनके बलिदान की बदौलत हम आज स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं, इस हेतु हम हमेशा शहीदों के ऋणी रहेंगे। इस मौके पर स्कूल के मुख्याध्यापक नेकीराम, ओढ़ां के पूर्व मंडल अध्यक्ष मुखत्यार सिंह तगड़, चामल के भाजपा मंडल अध्यक्ष पवन गोयल, रवींद्र पारीक, रवींद्र कुमार, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय मिठडी के प्राचार्य भारत भूषण मित्तल, मास्टर सिकंदर सिंह, रमेश कुमार, बलवान शास्त्री, जगजीत सिंह, सुरेंद्र सिंगला एडवोकेट और हरबंस लाल कंबोज सहित अनेक ग्रामीण मौजूद थे।
No comments:
Post a Comment