ओढ़ां न्यूज.
माता हरकी देवी महिला शिक्षा महाविद्यालय ओढ़ां में इंटरनल क्वालिटी एश्यूरेंस सैल द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में अंतरिक गुणवत्ता विकास पर मंगलवार को संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में मुख्य वक्ता जवाहर नवोदय विद्यालय ओढ़ां के प्राचार्य डॉ. जीके मिसरा थे। कॉलेज प्राचार्या सुनीता स्याल ने उनकी शैक्षणिक योग्यता व शैक्षणिक भ्रमण पर प्रकाश डालते हुए उनका अभिनंदन किया। डॉ. जीके मिसरा ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में आंतरिक गुणवत्ता उच्च स्तर पर होनी चाहिए। संस्था अध्यापक व विद्यार्थी मिलकर इस गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं। उच्च दृष्टिकोण, समायोजन, सीखने की कला, उच्च स्तरीय ज्ञान, साधनों का प्रबंध व प्रयोग, सौहार्दपूर्ण वातावरण आदि आंतरिक गुणवत्ता को बढ़ाते हैं। उन्होंने पुस्तकालय का महत्व बताते हुए कहा कि पुस्तकालय में उच्च स्तर की व ज्ञान वर्धक पुस्तकें होनी चाहिए जिनमें अच्छा व उपयोगी पाठ्यक्रम हो। उन्होंने कहा कि हम अपने ज्ञान को बढ़ाकर व कार्य करने के ढंग में बदलाव लाकर जीवन को अच्छा बना सकते हैं। वैश्वीकरण में भागीदारी करने के लिए हमें अपनी मातृभाषा के अलावा अंग्रेजी भाषा को भी अपनाना होगा ताकि हम विश्व के देशों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकें। इस अवसर पर प्राचार्या सुनीता स्याल, डॉ. सुभाषचंद्र, डॉ. बिमला साहू, राज परुथी, दीप्ति नैन, प्रीति, सुषमा चौधरी, सोनू गुप्ता, जगदीश कुमार, सुखजीत, रोहताश, गुरजीत व बीएड एवं जेबीटी की छात्राएं उपस्थित थी।
माता हरकी देवी महिला शिक्षा महाविद्यालय ओढ़ां में इंटरनल क्वालिटी एश्यूरेंस सैल द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में अंतरिक गुणवत्ता विकास पर मंगलवार को संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में मुख्य वक्ता जवाहर नवोदय विद्यालय ओढ़ां के प्राचार्य डॉ. जीके मिसरा थे। कॉलेज प्राचार्या सुनीता स्याल ने उनकी शैक्षणिक योग्यता व शैक्षणिक भ्रमण पर प्रकाश डालते हुए उनका अभिनंदन किया। डॉ. जीके मिसरा ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में आंतरिक गुणवत्ता उच्च स्तर पर होनी चाहिए। संस्था अध्यापक व विद्यार्थी मिलकर इस गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं। उच्च दृष्टिकोण, समायोजन, सीखने की कला, उच्च स्तरीय ज्ञान, साधनों का प्रबंध व प्रयोग, सौहार्दपूर्ण वातावरण आदि आंतरिक गुणवत्ता को बढ़ाते हैं। उन्होंने पुस्तकालय का महत्व बताते हुए कहा कि पुस्तकालय में उच्च स्तर की व ज्ञान वर्धक पुस्तकें होनी चाहिए जिनमें अच्छा व उपयोगी पाठ्यक्रम हो। उन्होंने कहा कि हम अपने ज्ञान को बढ़ाकर व कार्य करने के ढंग में बदलाव लाकर जीवन को अच्छा बना सकते हैं। वैश्वीकरण में भागीदारी करने के लिए हमें अपनी मातृभाषा के अलावा अंग्रेजी भाषा को भी अपनाना होगा ताकि हम विश्व के देशों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकें। इस अवसर पर प्राचार्या सुनीता स्याल, डॉ. सुभाषचंद्र, डॉ. बिमला साहू, राज परुथी, दीप्ति नैन, प्रीति, सुषमा चौधरी, सोनू गुप्ता, जगदीश कुमार, सुखजीत, रोहताश, गुरजीत व बीएड एवं जेबीटी की छात्राएं उपस्थित थी।
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