सिरसा। स्टीकता, पूर्णता, तथ्यात्मकता व स्पष्टता लेखनी के मूलभूत तत्व होते है और इन्हीं तत्वों की वजह से विश्वसनीयता कायम होती है। मीडिया लेखन के अंदर लेखक को सबसे पहले शोध करके समाज की नब्ज को पहचानना होता है और उसके अनुरूप साहित्य सामग्री पाठको व श्रोताओं तक पहुंचानी होती है।
ये विचार चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के इंचार्ज डा. अमित सांगवान ने विभाग द्वारा आयोजित मीडिया लेखन कार्यशाला का शुभारंभ करने के उपरांत व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि मीडिया लेखन के क्षेत्र में तकनी के आने की वजह से नीत नये परिवर्तन हो रहे है और जो लेखक समय की मांग को ध्यान में रखकर माध्यम की आवश्यकता अनुसार अपनी लेखनी का कार्य करता है उसका डंका मीडिया उद्योग में बजता है। उन्होंने कहा कि एक अच्छा लेखक अध्ययनशील होने के साथ-साथ एक अच्छा मनोवैज्ञानिक भी होता है वह अपने पाठकों की सूचना सम्बंधी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये तत्परता से कार्य करता है। इसके उपरांत विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक डा. रविंद्र ने प्रतिभागियों को इलैक्ट्रानिक मीडिया के विभिन्न स्क्रिप्ट राइटरों के बारे में बताते हुए कहा कि टेलीविजन के लिये लिखते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिये। उन्होंने कहा कि आज टेलीविजन लेखन में नीत नये नवाचारित विचार आ रहे है। इसके उपरांत सहायक प्रोफेसर सुरेंद्र ने बोलते हुए कहा कि लेखनी के अंदर शब्दों में तालमेल होना अत्यंत आवश्यक है। साफ स्पष्ट व त्रुटि रहित साहित्य पाठकों की पहली पसंद होता है। उन्होंने रेडिया लेखन के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में प्रतिभागियों को अवगत करवाया और बताया कि किस प्रकार विशेष ध्वनियों के माध्यम से रेडियो के पात्रों को जीवांत किया जाता है। इसके उपरांत सहायक प्रोफेसर विकास सहारण ने विज्ञापनों की भाषा पर अपने व्याखान में कहा कि आकर्षित शब्दों का प्रयोग करके उपभोक्ताओं को अपनी और खींचने का कार्य विज्ञापन करते है। कापी लेखन के साथ-2 दृश्य सामग्री व ग्राफिक्स का प्रयोग भी आधुनिक विज्ञापनों में बढ़ चढ़कर किया जा रहा है। विभाग के प्राध्यापक राममेहर आर्य ने मंच का संचालन किया जबकि प्राध्यापिका शैफी परूथी ने फिल्मों की विषय वस्तु के बारे में प्रतिभागियों को अवगत करवाया। स्नात्तकोतर के छात्र पवन पुरी व सोमेश खींची ने अपने विचार व्यक्त किये। जबकि विभाग के छात्र विषणु नाढो़डी द्वारा फोटोग्राफी का कार्य किया गया। व्यवहारिक दक्षता प्रदान करने के उदेद्श्य से दूसरे तकनीकि सत्र में स्वच्छता अभियान के उपर नारा लेखन प्रतियोगिता का आयोजन भी करवाया गया और इस प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।बच्चों को और ज्यादा व्यवहारिक ज्ञान देने के लिये उनकों छोटी-छोटी फिल्में दिखाई गई तथा विभिन्न प्रकार के लेखन दिखाये गये। । इस प्रतियोगिता में विभाग के 32 विद्यार्थियों ने भाग लिया ।
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