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18 February 2017

गोमाता पृथ्वी, प्रकृति और परमात्मा का प्रगट स्वरूप है : स्वामी नित्यानंद गिरी

ओढ़ां गोशाला में श्रीमद् भागवत कथा शुरू

ओढ़ां
ओढ़ां स्थित श्री श्री 108 बाबा संतोखदास गोशाला के प्रांगण में स्थित श्री राधाकृष्ण मंदिर में शनिवार को श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का शुभारंभ ऋषिकेश से आमंत्रित कथा व्यास स्वामी नित्यानंद गिरी ने गोमाता की स्तुति से किया।
श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुये उन्होंने बताया कि जगतमाता गाय को भारत वर्ष में पुरातन काल से ही माता का दर्जा देकर उसकी मां के समान सेवा की जाती है। 'मातर: सर्व भूतानाम गाव: सर्व फल प्रदामÓ अर्थात वह धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के साथ-साथ और भी कोई फल है तो गोमाता वो भी प्रदान करती है।
उन्होंने कहा कि गोमाता पृथ्वी, प्रकृति और परमात्मा का प्रगट स्वरूप है। भगवान विष्णु ने मनुष्य अवतार धारण कर गोसेवा की तथा गोपाल कृष्ण कहलाए। रामावतार में गोमाता का रूप पृथ्वी ने धारण किया, भगवान राम के पूर्वज महाराजा दिलीप ने नन्दनी गाय की सेवा की जिससे रघुवंश चला और भगवान शिव का वाहन नन्दी है। तीर्थंकर ऋ षभ देव का चिन्ह बैल है, गोमाता में 33 कोटि देवताओं का वास है। गोमाता की सेवा ही राम और कृष्ण की सेवा है। जिस घर में गोमाता रहती है उस परिवार को मंदिर या तीर्थ जाने की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि 24 घंटे में एक बार प्रभु उस घर में अवश्य जाते है। गाय के गोबर में लक्ष्मी व गोमूत्र में गंगा मैया का वास होता है। उन्होंने बताया कि भगवान बुद्ध को बुद्धतत्व की प्राप्ति सुजाता द्वारा प्रदत गोदूध की खीर से हुई। बाईबल और कुरान में भी गोमाता की महिमा का वर्णन मिलता है।
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों ने सृष्टि के रहस्यों की खोजकर आधुनिक पदार्थ विज्ञान का विकास किया है, उसी प्रकार आध्यात्मिक मनीषियों ने जीवन और सृष्टि दोनों के रहस्यों को खोजकर 'गो विज्ञानÓ का विकास किया जो समस्त विश्व हेतु भारत की अनुपम देन है। भारतीय मनीषियों ने सम्पूर्ण गोवंश को मानव के अस्तित्व, रक्षण, पोषण, विकास और संवर्धन के लिए अनिवार्य बना दिया था। 'गो दुग्धÓ ने जन समाज को विशिष्ट शक्ति, बल व सात्विक बुद्धि प्रदान की। गाय के गोबर व गोमूत्र ने खेती को पोषण दिया, बैल उर्जा ने कृषि, भारवाहन, परिवहन तथा ग्रामोद्योग के लिए सम्पूर्ण टेक्नॉलॉजी विकसित करने में मदद की। इसीलिए गोसेवा व गोचर भारतीय जीवन शैली व अर्थव्यवस्था के सदैव केन्द्र बिन्दु रहे हैं। हमारे गांव प्रधान व कृषि प्रधान जैसी विशिष्टताओं वाले भारत के लिए इसका कोई विकल्प नही है अत: मानव जाति की समृद्धि गाय की समृद्धि के साथ जुड़ी हुई है। इस मौके पर नोहर राजस्थान से स्वामी शंकर नाथ, हनुमत सेवा समिति के प्रधान जोतराम शर्मा, गोशाला उपप्रधान पलविंद्र चहल, विजय गोयल, राजू सोनी, महावीर प्रसाद, रमेश कुमार, मनीराम, अमित कुमार और रामकुमार सहित अनेक श्रद्धालु मौजूद थे।

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