सिरसा, 22 मार्च। इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता संबंधी जानकारी देते हुए चुनाव तहसीलदार श्री चंद्रभान नागपाल ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद कई राजनीतिक पार्टियों ने ईवीएम पर सवाल उठाए। आयोग द्वारा ईवीएम मशीन की विश्वसनीयता के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा है कि ईवीएम में एक ऐसा सॉफ्टवेयर चिप डाली गई है जिसके साथ कोई हेेरफेर नहीं की जा सकती। राजनीतिक पार्टियों द्वारा हेरफेर की जो मशीन दिखाई गई है वे मुंबई के किसी गोदाम से उठवा कर दिखाई गई थी जिसका मतदान में प्रयोग नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ का मामला माननीय न्यायालय में भी किया गया था जोकि उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया है।
उन्होंने ईवीएम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आयोग द्वारा दिसंबर 1977 में इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन पर विचार प्रस्तुत किया गया था। संसद द्वारा दिसंबर 1988 में संशोधन किया गया और वोटिंग मशीन का इस्तेमाल करने के लिए आयोग को समर्थ बनाते हुए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में एक नई धारा 61(क )स्थापित की गई तथा संशोधित उपबंध 15 मार्च 1979 से लागू हुआ। उन्होंने बताया कि 1990 में सर्वसम्मति से इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल करने की सिफारिश की गई। उन्होंने बताया कि ईवीएम मशीन राज्य विधानसभाओं के 107 साधारण निर्वाचनों और 2004, 2009, 2014 में आयोजित हुए लोकसभा के तीन साधारण निर्वाचनों में इस्तेमाल हो चुकी है। उन्होंने बताया कि माननीय कर्नाटक उच्च न्यायालय तथा मद्रास उच्च न्यायालय ने ईवीएम के अनेक फायदे बताए व मतपत्र/मतपेटी निर्वाचन की प्रणाली की तुलना में ईवीएम को महत्वपूर्ण बताया, इसके साथ कोई हेरफेर नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि ईवीएम की पर्सनल कम्प्यूटर से भी तुलना नहीं की जा सकती। उन्होंने बताया कि 2009 में माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष ईवीएम छेड़छाड़ के सभी पूर्व आरोपों को उठाया गया तथा माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय भारत निर्वाचन आयोग के उत्तर से संतुष्ट था और न्यायालय द्वारा ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती इस पर न्यायालय ने मामले को खारिज किया।
उन्होंने बताया कि ईवीएम में छेड़छाड़ व गड़बड़ी को रोकने के लिए इसे इलेक्ट्रोनिक रुप से संरक्षित किया गया है। इन मशीनों में प्रयुक्त प्रोग्रोम को एक-बारगी प्रोग्रामेबल / मास्कडचिप में बर्न किया जाता है ताकि इसे बदला या इसके साथ कोई भी छेड़छाड़ न की जा सके। इसके अतिरिक्त इन मशीनों को किसी अन्य मशीन या सिस्टम द्वारा वायर या वायरलेस से नेटबद्ध नहीं किया जा सकता है। अत: ईवीएम से छेड़छाड़ की कोई गुंजाईश नहीं रहती। उन्होंने बताया कि ईवीएम से संबंधित सभी आलोचनाओं को न्यायालय द्वारा खारिज किया गया। इस संबंध में वर्ष 2014 में, आयोग ने वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा के अगले साधारण निर्वाचन में प्रत्येक मतदान केंद्र पर वीवीपीएटी के कार्यान्वयन को प्रस्तावित किया तथा सरकार से 3174 करोड़ रुपये की निधि की मांग की व उच्चतम न्यायालय ने आयोग को चरणबद्ध तरीके से वीवीपीएटी का कार्यान्वयन करने की अनुमति प्रदान की।
उन्होंने बताया कि ईवीएम की और अधिक जानकारी व सुरक्षा को जानने के लिए आमजन विभाग की वैबसाईट www.eci.in पर भी देख सकते हैं।
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