सावधान! इस बार मकर संक्रांति है 'अशुभ'
मकर संक्रांति जैसे मौके पर भी इस बार शादी के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं है।
8 जनवरी से 14 जनवरी तक शुक्रास्त
मकर संक्रांति, बसंत पंचमी, बैसाखी जैसे कई ऐसे शुभ मौके होते हैं जब लोग तिथि-वार नहीं देखते। इस साल शुक्र अस्त होने की वजह से यह शुभ मौका शादियों के लिए नहीं है। 8 जनवरी से 14 जनवरी तक शुक्रास्त है।
शुक्रास्त में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। यही वजह है कि इस बार 14 जनवरी यानी मकर संक्रांति के दिन शादी का कोई शुभ मुहूर्त ही नहीं है। 11 जुलाई से 4 अगस्त तक गुरु के अस्त होने की वजह से अन्य शुभ कार्य नहीं हो पाएंगे।
8 सितंबर से 23 सितंबर तक श्राद्ध हैं। श्राद्ध में शुभ कार्य वर्जित होते हैं। 2 अक्तूबर से 26 नवंबर तक फिर से शुक्रास्त हो रहा है। ऐसे में जनवरी में नौ साए, फरवरी में 15, मार्च में 5, अप्रैल में 9, मई में 18, जून में 16, जुलाई में 7 और फिर सीधे दिसंबर में चार साए ही मिल पाएंगे।
उत्तराखंड विद्वत सभा के आचार्य भरत राम तिवारी का कहना है कि इस वर्ष उत्तरायण होने पर भी 14 जनवरी को विवाह संस्कार, मुंडन, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य नहीं हो सकेंगे।
20 जनवरी से ही शुभ कार्य प्रारंभ होंगे। वहीं इस साल दो बार शुक्रास्त और बीच में गुरु के अस्त होने की वजह से शुभ कार्यो के मौके कम ही मिल पाएंगें।
स्नान-दान का विशेष महत्व
मकर संक्राति के दिन स्नान-दान आदि का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम पाठ करना, तीर्थो पर स्नान-दान किए जाने आदि का विशेष महत्व होता है।
8 जनवरी से 14 जनवरी तक शुक्रास्त
मकर संक्रांति, बसंत पंचमी, बैसाखी जैसे कई ऐसे शुभ मौके होते हैं जब लोग तिथि-वार नहीं देखते। इस साल शुक्र अस्त होने की वजह से यह शुभ मौका शादियों के लिए नहीं है। 8 जनवरी से 14 जनवरी तक शुक्रास्त है।
शुक्रास्त में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। यही वजह है कि इस बार 14 जनवरी यानी मकर संक्रांति के दिन शादी का कोई शुभ मुहूर्त ही नहीं है। 11 जुलाई से 4 अगस्त तक गुरु के अस्त होने की वजह से अन्य शुभ कार्य नहीं हो पाएंगे।
8 सितंबर से 23 सितंबर तक श्राद्ध हैं। श्राद्ध में शुभ कार्य वर्जित होते हैं। 2 अक्तूबर से 26 नवंबर तक फिर से शुक्रास्त हो रहा है। ऐसे में जनवरी में नौ साए, फरवरी में 15, मार्च में 5, अप्रैल में 9, मई में 18, जून में 16, जुलाई में 7 और फिर सीधे दिसंबर में चार साए ही मिल पाएंगे।
उत्तराखंड विद्वत सभा के आचार्य भरत राम तिवारी का कहना है कि इस वर्ष उत्तरायण होने पर भी 14 जनवरी को विवाह संस्कार, मुंडन, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य नहीं हो सकेंगे।
20 जनवरी से ही शुभ कार्य प्रारंभ होंगे। वहीं इस साल दो बार शुक्रास्त और बीच में गुरु के अस्त होने की वजह से शुभ कार्यो के मौके कम ही मिल पाएंगें।
स्नान-दान का विशेष महत्व
मकर संक्राति के दिन स्नान-दान आदि का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम पाठ करना, तीर्थो पर स्नान-दान किए जाने आदि का विशेष महत्व होता है।
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