झाडफ़ूंक नहीं प्रारंभिक चरण में समुचित उपचार से मरीज हो सकते हैं लाभान्वित
सिरसा 28 मार्च। क्षेत्र के प्रमुख न्यूरो सर्जन एवं ऑल इंडिया स्पाईन एंड न्यूरो होस्पिटल के संचालक डा. गौरव बांसल का कहना है कि मिर्गी के दौरों को गंभीरता से लिए जाने की जरूरत है। सरकार को भी अपने स्तर पर मिर्गी जागरूकता कार्यक्रम चलाने चाहिएं। उन्होंने कहा कि सरकार अब तक इस बीमारी को लेकर गंभीरता से कोई ठोस अभियान नहीं चला रही। उन्होंने कई देशों का हवाला देते हुए कहा कि वहां कि सरकार इस दिशा में कई कार्यक्रम चला रही है। भारत सरकार को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए। डा. बांसल ने बताया कि उनकी ओर से लगातार मिर्गी की बीमारी की रोकथाम और निवारण के लिए शिविर लगाए जा रहे हैं। इन शिविरों के माध्यम से मिर्गी के दौरों से पीडि़त मरीजों और उनके परिजनों को जागरूक किया जा रहा है।
डा. बांसल आज अपने अस्पताल में पत्रकारवार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने मिर्गी और मिर्गी के दौरों को लेकर विभिन्न जटिलताओं पर रोशनी डाली। उन्होंने बताया कि मानव शरीर में मस्तिष्ट एक जटिल अंग है जिसमें कई तरह की जटिल कौशिकाएं विद्युतीय गविधियां संचालित करती हैं। मस्तिष्क तथा शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली के लिए यही कौशिकाएं जिम्मेदार होती हैं। मिर्गी कौशिका सम्बंधी विकार है जिसमें अचानक जरूरत से ज्यादा विद्युतीय गतिविधियों के कारण मानव के व्यवहार में परिवर्तन होने लगता है। मिर्गी के कई प्रकार हैं। डा. बांसल ने बताया कि प्रारंभिक अवस्था को सामान्य तौर पर लोग ठीक से समझ नहीं पाते और इसी वजह से उपचार नहीं लेते। लोग अंधविश्वास के चलते झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ जाते हैं। इससे मरीज की हालत बिगड़ जाती है और जान तक चली जाती है। डा. बांसल ने बताया कि समय रहते उपचार करवाया जाए तो इस गंभीर बीमारी का ईलाज संभव है। उन्होंने बताया कि वे समय-समय पर सिपला जैसी कम्पनियों के सहयोग से जागरूकता शिविर लगाते हैं जिनमें नाममात्र के शुल्क पर मरीज को उपचार और परामर्श उपलब्ध करवाया जाता है।
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