श्रीरामकथा एवं दुर्लभ सत्संग के शुभारंभ पर कलशयात्रा आयोजित
ओढ़ां
खंड ओढ़ां के गांव नुहियांवाली की श्रीरामभक्त हनुमान गोशाला में श्रीरामकथा एवं दुर्लभ सत्संग के उपलक्ष्य में ग्रामीणों द्वारा आयोजित कलशयात्रा में गांव की सैकड़ों महिलाओं व बालिकाओं ने भाग लिया। कलश यात्रा में शामिल महिलाओं व बालिकाओं ने जल से भरे कलश और श्रीराम भक्त महेंद्र ज्याणी ने श्रीरामायण को अपने शीश पर धारण किया। महेंद्र ज्याणी सहित गोशाला प्रधान बलराम सहारण, पूर्व प्रधान महेंद्र निमीवाल, भागाराम नेहरा, पूर्व सरपंच भजनलाल सहारण व राजेंद्र नेहरा, दलीप सैनी, रामचंद्र बैरागी और डॉ. भगवान दास सहित गांव के गणमान्य लोगों ने कलशयात्रा की अगुवाई की। गांव के श्री हनुमान मंदिर से प्रारंभ हुई कलशयात्रा गांव के मुख्य चौक और फिरनी सहित सभी मुख्य बाजारों, मोहल्लों और गलियों से होते हुए कथा प्रारंभ होने से पूर्व गोशाला में बनाए गए कथास्थल पर पहुंची।
श्रीरामकथा का शुभारंभ भारी संख्या में महिला पुरूष श्रद्धालुओं की उपस्थिति में गांव के सरपंच बाबूराम गैदर के हाथों मंत्रोच्चार के मध्य विधिवत पूजा अर्चना के साथ किया गया। तदुपरांत श्रीरामकथा का श्री गणेश करते हुए ऋषिकेश से आमंत्रित प्रसिद्ध कथावाचक स्वरूपदास महाराज ने बताया कि तुलसीदास जी के अनुसार सर्वप्रथम श्रीरामकथा भगवान शिव ने माता पार्वती जी को सुनाई थी। कथा पूरी होने से पूर्व माता पार्वती को नींद आ गई लेकिन वहां एक घोंसले में मौजूद एक कौवे ने पूरी कथा सुनी तथा उस कौवे का पुनर्जन्म काकभुशुण्डि के रूप में हुआ जिहोंने यह कथा गरूड जी को सुनाई। भगवान शिव के मुख से उच्चारित श्रीराम की यह आध्यात्म रामायण ही विश्व की सर्वप्रथम रामायण है। उन्होंने बताया कि श्री हरि विष्णु जी के भगवान श्रीराम के रूप में अवतरित होने का उद्देश्य मृत्युलोक में मानवजाति को आदर्श जीवन हेतु मार्गदर्शन देना तथा धर्म की पुनस्र्थापना करना था। उन्होंने बताया कि अयोध्या के राजा दशरथ ने संतान प्राप्ति हेतु गुरू वशिष्ठ की आज्ञा से पुत्रकामेष्ठि यज्ञ करवाया जिसके फलस्वरूप महारानी कौशल्या के गर्भ से प्रभु श्रीराम, कैकई के गर्भ से भरत तथा सुमित्रा के गर्भ से लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ।
No comments:
Post a Comment